'पीने' वालों को अच्छी क्वालिटी की शराब पिलाना चाहती है हरियाणा सरकार

Edited By Shivam, Updated: 11 Jan, 2020 07:38 PM

haryana government wants to give good quality wine to drinkers

आने वाले दिनों में शराब की बिक्री स्टोर्स में शुरू करने के लिए हरियाणा सरकार विचार कर सकती है। हरियाणा के आबकारी एवम कराधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि आजकल नई एक्साइज पॉलिसी बनाने को लेकर काम चल रहा है। नई एक्साइज पॉलिसी...

चंडीगढ़ (धरणी): आने वाले दिनों में शराब की बिक्री स्टोर्स में शुरू करने के लिए हरियाणा सरकार विचार कर सकती है। हरियाणा के आबकारी एवम कराधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि आजकल नई एक्साइज पॉलिसी बनाने को लेकर काम चल रहा है। नई एक्साइज पॉलिसी में लो-एल्कोलिक प्रोडक्ट्स की तरफ सरकार ध्यान दे रही है। इस वर्ष हमारा टारगेट 6600 से 6700 करोड़ का है। अगले वर्ष के लिए राजस्व का टारगेट 7250 करोड़ का रखा जाएगा।

रस्तोगी ने बताया कि फरीदाबाद, गुरुग्राम, रेवाड़ी, करनाल, पानीपत, अम्बाला व पंचकूला में माईक्रो बेवरेजेस (लो एल्कोलेकिल प्रोडेक्ट) चल रहे हैं।  नई नीति में लो -एल्कोलिक प्रोडक्ट्स की बिक्री को सरकार तवज्जो दे सकती है। हरियाणा की नई आबकारी नीति फरवरी माह तक आएगी, जिसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी। 

उन्होंने बताया कि आबकारी नीति बनाने के दौरान सरकार का प्रयास रहता है कि जो लोग शराब का सेवन करते हैं, वे अच्छी गुणवत्ता की शराब का सेवन करें। ताकि उनके किसी भी तरीके के नुकसान की संभावना न रहे। इसे देखते हुए हमारा हमेशा प्रयास रहता है कि जहां शराब का सेवन करने वाले लोग हैं वहां अधिकृत ठेके हों। जबकि जहां लोग शराब का सेवन नही करना चाहते वहां ठेके न हो। वहीं ग्राम सभाओं के ठेके न खोलने के प्रस्ताव के अधिकार मिलने पर उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें 80 के करीब ऐसे प्रस्ताव मिल चुके हैं। अभी कुछ दिन और बकाया हैं।

अनुराग रस्तोगी ने कहा कि लो अल्कोहलिक प्रोडक्ट्स में जहां तक वाइन का सवाल है। वाइन्स को प्रमोट करने में सरकार निरंतर प्रयासरत रही है और वाइनरी लाइसेंस ही एक ऐसा लाइसेंस है, जिसकी हमने नामात्र फीस रखी है। उन्होंने कहा हालांकि इसका प्रचलन शहरी इलाकों में अधिक है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में वाइन्स का इतना रुझान नहीं है। उन्होंने कहा कि एक्ससाइज को न हम रोक सकते हैं और न ही इसे प्रमोट करना चाहते हैं। जबकि यह मानकर चला जाता है कि हर साल जितना इन्फ्लेशन हो उतना ही राजस्व बढ़े तो इसे पर्याप्त माना जाता है।

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