Edited By Isha, Updated: 10 Nov, 2024 07:13 PM
बिना सेनापति के कांग्रेस की सेना 13 अक्टूबर से शुरू होने वाले हरियाणा विधानसभा सत्र में नजर आएगी। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में बयान देकर स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र के चुनाव के बाद ही हरियाणा...
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): बिना सेनापति के कांग्रेस की सेना 13 नवंबर से शुरू होने वाले हरियाणा विधानसभा सत्र में नजर आएगी। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में बयान देकर स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र के चुनाव के बाद ही हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव होगा।
गौरतलब है कि कांग्रेस आलाकमान पर नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगाने का अंतिम काम छोड़ा गया है। विधायकों की संख्या के बल पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के पास 30 के करीब विधायक है। विधायकों की संख्या के बल पर 2014 से लेकर 2024 तक अतीत में हुड्डा गुट आला कमान पर अपना प्रभाव और दवाब दिखाता रहा है। 2014 में जब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर हुआ करते थे, तब और 2019 में जब कांग्रेस की अध्यक्षा कुमारी सैलजा थी, दोनों ही दौर में विधायकों की अधिकांश संख्या के बल पर हड्डा खेमे ने अपना सिक्का चलाकर दिखाया है। 2014 में कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने बनाई थी, लेकिन उस समय अधिकांश विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कोठी पर विधायक दल की मीटिंग में मौजूद रहते थे। किरण चौधरी ज्यादातर अकेले ही नजर आती थी।
2024 के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस आलाकमान अब क्या तेवर दिखाएगी, यह देखने वाला पहलू रहेगा, क्योंकि मिशन 2024 में विधानसभा चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में पूरी तरह से हरियाणा में लड़े गए। हुड्डा के मन पसंद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी, कुमारी सैलजा को हटाकर की गई थी।
20 साल बाद इतना लंबा इंतजार
हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में 20 साल बाद ऐसा हो रहा है कि किसी पार्टी को प्रदेश में नेता विपक्ष का नाम तय करने में इतना समय लग रहा है। इसका मुख्य कारण कांग्रेस की ओर से लगातार तीन चुनाव का हारना और सभी संभावनाओं और एग्जिट पोल के बावजूद बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाना है, साथ ही कांग्रेस नेताओं की आपसी खिंचतान भी इसका एक बड़ा कारण है। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम घोषित होने के करीब दो सप्ताह के दौरान ही नेता विपक्ष चुन लिए गए थे, लेकिन 2024 के संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अब तक अपने नेता का नाम तय नहीं कर पाई है। इससे पहले 2005 के चुनाव में 27 फरवरी को परिणाम घोषित किए गए और पहले सप्ताह में ही ओपी चौटाला को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया गया। 2009 में भी चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ओपी चौटाला को ही नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया। 2014 में चुनावी परिणाम घोषित होने के 8 दिन के भीतर ही अभय चौटाला के नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया। 2019 में 24 अक्टूबर को विधानसभा का चुनावी परिणाम घोषित किया गया और 2 नवंबर को भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।
ऑब्जर्वर भी नहीं ले पाए थे फैसला
हरियाणा में कांग्रेस की ओर से सदन के नेता का नाम तय करने के लिए चार ऑब्जर्वर नियुक्त किए थे। इनमें राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, राज्यसभा सदस्य अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल थे। इन सभी ने बीती 18 अक्टूबर को हरियाणा कांग्रेस के विधायकों के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग भी की थी, लेकिन उस समय वह सदन के नेता का नाम घोषित नहीं कर पाए थे। ऐसे में फैसला हाई कमान पर छोड़ दिया गया है। फिलहाल यदि भूपेंद्र हुड्डा के स्थान पर पार्टी किसी अन्य को नेता प्रतिपक्ष बनाती है तो उनमें गीता भुक्कल, पूर्व स्पीकर अशोक अरोड़ा और पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम चल रहे हैं। इनमें गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा पूर्व सीएम भूपेंद्र के हुड्डा के माने जाते हैं, जबकि चंद्रमोहन को सैलजा गुट से संबंधित माना जाता है। चंद्रमोहन बिश्नोई के पिता भजनलाल हरियाणा में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 13 नवंबर से शुरू होने वाले हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की सभी तैयारियां समय रहते पूरी हो जाएगी। साथ ही यह भी उम्मीद है कि सत्र से पहले कांग्रेस की ओर से सदन में अपने नेता का नाम तय कर उसकी घोषणा कर दी जाएगी, जोकि विधानसभा में नेता विपक्ष होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हरियाणा विधानसभा के सेशन में शायद यह पहला मौका होगा, जब किसी विधानसभा के पहले सत्र की शुरूआत नेता विपक्ष के बिना होगी।
गुटबाजी के चलते नहीं हो पा रहा नेता विपक्ष का चयन
कांग्रेस में चल रही गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। इसी गुटबाजी के चलते जहां सत्ता कांग्रेस के पास आते-आते रह गई। वहीं, इसी गुटबाजी के चलते एक महीने के करीब का समय गुजर जाने के बावजूद कांग्रेस सदन में अपने नेता का चुनाव नहीं कर पाई है। एक ओर जहां भूपेंद्र हुड्डा गुट चुनाव में मिली हार के बावजूद हरियाणा कांग्रेस में अपना दबदबा कायम रखना चाहता है। वहीं, कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा गुट किसी भी सूरत में हुड्डा को पार्टी में इस बार मजबूत नहीं होने देना चाह रहा। यहीं कारण है कि उनकी ओर से भूपेंद्र हुड्डा और गुट के नेताओं की ओर से की जाने वाली कार्रवाई पर लगातार पलटवार किया जा रहा है।
13 नवंबर से शुरू होगा सत्र
हरियाणा में विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र अब 13 नवंबर से शुरू होगा। विधानसभा का यह सत्र तीन चार का हो सकता है। बताया जा रहा है कि 13, 14 व 15 नवंबर को तीन दिन तक लगातार सत्र चलेगा। इसके बाद 16 व 17 नवंबर को शनिवार और रविवार का अवकाश होगा। इसके बाद 18 नवंबर को फिर से सत्र की कार्यवाही होगी। इस सत्र में कई मुद्दों पर चर्चा होने के साथ ही अंतरिम बजट का प्रारूप भी पेश किया जा सकता है।