Edited By vinod kumar, Updated: 25 May, 2020 12:04 AM
राजस्थान बाॅर्डर पर टिड्डी दल पहुंच गया है। हरियाणा में फसलाें काे टिड्डी दल से बचाने कि लिए राज्य कृषि विभाग ने कमर कस ली है। राजस्थान से साथ लगते जिलों में टिड्डी दल हमले को देखते हुए विभाग ने किसानों में इसके प्रति जागरुक करने का काम शुरु कर दिया...
हिसार/चंडीगढ़ (विनाेद/धरणी): राजस्थान बाॅर्डर पर टिड्डी दल पहुंच गया है। हरियाणा में फसलाें काे टिड्डी दल से बचाने कि लिए राज्य कृषि विभाग ने कमर कस ली है। राजस्थान से साथ लगते जिलों में टिड्डी दल हमले को देखते हुए विभाग ने किसानों में इसके प्रति जागरुक करने का काम शुरु कर दिया है। सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर गांव में किसानों को जागरूक करने के लिए कहा है।
इसके लिए कृषि विभाग ने डॉ. अरूण कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। विभाग ने किसानाें काे खेताें से टिड्डी दल काे भगाने के तरीके बताए हैं। अगर खेताें में टिड्डी दल आ जाता है। तो किसान डीजे, थाली, ढोल, पीपे बजा कर उन्हें उड़ाने का काम करे।
झुंड में चलता है टिड्डी दल
इसके बारे जानकारी देते हुए डिप्टी डारेक्टर विनोद कुमार फोगाट ने बताया कि टिड्डी दल झुंड के रूप में चलता है तथा मादा टिड्डी नरम मिट्टी में छेद करके 5 से 15 सेंटीमीटर गहरी उचित नमी में 60 से 80 अंडे देती है। अंडे चावल के दाने के समान 7 से 9 मी.मी. लंबे तथा पीले रंग के होते हैं।
टिड्डी दल रात को झाडिय़ों एवं पेड़ों पर करता है विश्राम
उन्होंने बताया कि टिड्डी के उड़ने की क्षमता 13 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसका झुण्ड 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। टिड्डी दल रात को झाडिय़ों एवं पेड़ों पर विश्राम करता है। उन्होंने बताया कि टिड्डी दल दिखाई देने पर डीजे, थाली, ढोल एवं खाली पीपे इत्यादि बजाकर जितना संभव हो सके फसल पर बैठने से रोकें।