Edited By Isha, Updated: 21 Mar, 2025 05:49 PM

हरियाणा में अपर जिला जज की नियुक्ति के लिए सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को झटका लगा है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रिटेन और ओरल एग्जाम में सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए एडीजे चयन
चंडीगढ़: हरियाणा में अपर जिला जज की नियुक्ति के लिए सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को झटका लगा है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रिटेन और ओरल एग्जाम में सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए एडीजे चयन मानदंड को बरकरार रखा है। एडीजे की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया।
क्या कहा हाई कोर्ट ने
हाईकोर्ट ने माना है कि याचिकाकर्ता, जो पहले से तय न्यूनतम अंक प्राप्त करने में नाकाम रहा, नियुक्ति के लिए अयोग्य था। कोर्ट ने ग्रेस नंबर देने की याचिका को भी निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसी मांग कानूनी रूप से अस्वीकार्य है और सार्वजनिक रोजगार में निष्पक्षता और समानता के संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक पदों के लिए सर्वोच्च योग्यता वाले उम्मीदवारों का चयन सुनिश्चित करने के लिए पात्रता की शर्तें निर्धारित करने का विशेषाधिकार प्राधिकारी के पास है। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने कहा कि न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की आवश्यकता महज एक प्रक्रियात्मक औपचारिकता नहीं है और न ही यह कोई ऐसी सीमा है, जिसे न्यायिक विवेक पर नजरअंदाज किया जा सकता है। यह पात्रता के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
याचिकाकर्ता ने 50 प्रतिशत योग्यता अंक मानदंड में छूट की मांग की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि प्रतिस्पर्धी चयन प्रक्रिया में कोई निश्चित सीमा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि न्यायिक पदों के लिए उच्चतम क्षमता वाले उम्मीदवारों के चयन को सुनिश्चित करने के लिए पात्रता शर्तें निर्धारित करने का विशेषाधिकार निर्धारित करने वाले प्राधिकारी के पास है।
कोर्ट ने कहा कि पात्रता की शर्तें, एक बार कानूनी रूप से तय हो जाने के बाद, किसी व्यक्तिगत उम्मीदवार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कम नहीं की जा सकती या उनमें कोई फेरबदल नहीं किया जा सकता। सार्वजनिक नियुक्तियों के क्षेत्र में अतिरिक्त या अनुग्रह अंक प्रदान करना, निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।