हरसिमरत बादल के इस्तीफे का प्रभाव पंजाब में गठबंधन पर पड़ना स्वाभाविक: भूपिंद्र हुड्डा

Edited By Isha, Updated: 19 Sep, 2020 05:13 PM

harsimrat badal s resignation is bound to have an impact on the alliance

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व् नेता प्रतिपक्ष भूपिंद्र सिंह हुड्डा का कहना है की हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा बहुत देरी से लिया गया कदम है |भजपा -अकाली दल के पुराने गठबंधन पर भी इस इस्तीफे के प्रभाव पड़ेंगें कयोंकि कोई भी गठबंधन हमेशा मुद्दों पर...

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व् नेता प्रतिपक्ष भूपिंद्र सिंह हुड्डा का कहना है की हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा बहुत देरी से लिया गया कदम है |भजपा -अकाली दल के पुराने गठबंधन पर भी इस इस्तीफे के प्रभाव पड़ेंगें कयोंकि कोई भी गठबंधन हमेशा मुद्दों पर आधारित  होता है | मुद्दों पर  विरोधाभास के कारण ही इस्तीफ़ा हुआ है |  हुड्डा नेकहा खा की इनेलो सरकार में कंडेला में  हुई किसानों की हत्या के बाद लोगों ने उसको सत्ता से बाहर कर दिया था।भजपा गठबंधन सरकार के साथ भी यही बनेगी|   हाई कोर्ट के सिटिंग जज से लाठीचार्ज मामले की जांच हो दूध का दूध ,पानी का पानी हो जाएगा | 

प्रस्तुत ही भूपिंद्र सिंह हुड्डा से हुयी ख़ास बातचीत के प्रमुख अंश --

प्रश्न -हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को कैसे देखतें हैं ?
उत्तर --
हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा बहुत देरी से उठाया गया कदम है |  ये अकाली दल द्वारा देर से लिया गया मामूली फ़ैसला है। हरियाणा सरकार में गठबंधन सहयोगी जेजेपी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन सहयोगी किसान हितैषी होते तो अबतक सरकार से अलग हो गए होते। लेकिन उन्हें किसानहित से ज़्यादा, कुर्सी प्यारी है।   

प्रश्न -रसिमरत कौर बादल के इस्तीफे  से क्या क्या अकाली दल बादल और बीजेपी के पुराने गठबंधन पर कोई प्रभाव भविष्य में पड़ सकता है ? 
उत्तर --
भजपा -अकाली दाल के पुराने गठबंधन पर भी इस इस्तीफे के प्रभाव पड़ेंगें कयोंकि कोई भी गठबंधन हमेशा मुद्दों पर आधारित  होता है | मुद्दों पर  विरोधाभास के कारण ही इस्तीफ़ा हुआ है |  

प्रश्न -तीन अध्या देशों में  ऐसा क्या है जो विरोध किया जा रहा है ?
उत्तर --
मौजूदा सरकार शुरुआत से ही एमएसपी  विरोधी रही है। क्योंकि इन बिलों से पहले भी मौजूदा सरकार किसानों को  एमएसपी देने  में नाकाम थी। किसान को उसकी फसल का भाव देने के बजाय सरकार धान, चावल, सरसों और बाजरा ख़रीद जैसे घोटालों को अंजाम देने में लगी थी। आज भी मंडियों में 1509 और परमल धान पिट रही है। हमारी सरकार के दौरान 1509 धान 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकती थी, लेकिन आज उसकी बिकवाली सिर्फ 1800 से 2100 रुपये के बीच हो रही है। परमल के लिए तो किसान को MSP भी नहीं मिल पा रही है और मजबूरी में उसे अपना पीला सोना 1100 से 1200 रुपये में बेचना पड़ रहा है। धान ही नहीं बाजरा किसानों के साथ भी ऐसा ही अन्याय हो रहा है। 2150 रुपये MSP वाला बाजरा 1200 से 1300 रुपये में बिक रहा है।  

प्रश्न -भपअ का तो दावा है की यह किसान हितेषी अध्देयादेश हैं | 
उत्तर -स
भी पार्टियां किसानहित में एकसाथ इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं। पंजाब की तर्ज़ पर विधानसभा का सत्र बुलाकर इन तीनों क़ानूनों को सिरे से खारिज किया जाए। इन क़ानूनों पर सदन में चर्चा करवाई जाए ताकि लोगों को भी पता चले कि कौन सी पार्टी और विधायक किसान समर्थक है और कौन सी विरोधी। किसान विरोधी 3 अध्यादेशों समेत कई मुद्दों पर चर्चा के लिए स्थगन और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे। लेकिन सरकार ने मुख्यमंत्री, स्पीकर और कई विधायकों के संक्रमित होने का हवाला देते हुए चर्चा से इंकार कर दिया था। इसलिए कांग्रेस की मांग है कि राज्यपाल इन तमाम मुद्दों पर चर्चा के लिए अब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं। क्योंकि अब मुख्यमंत्री, स्पीकर, कृषि मंत्री और सभी विधायक स्वस्थ हैं। प्रदेश की जनता और विपक्ष सरकार से कई मुद्दों पर जवाब चाहते हैं। इसके लिए ज़रूर है कि सदन बैठे और सत्तापक्ष उनके सवालों का जवाब दे। 

प्रश्न -पीपली लाठीचार्ज को लेकर कांग्रेस का क्या स्टैंड है ?
उत्तर --
पीपली रैली में पहुंचे किसानों पर लाठियां बरसा कर गठबंधन सरकार ने घोर पाप किया है। जिस भी सरकार ने किसान पर लाठी या गोली बरसाई है, वह ज्यादा देर नहीं टिक पाई। उन्होंने कंडेला कांड का जिक्र करते हुए कहा कि इनेलो सरकार में कंडेला में  हुई किसानों की हत्या के बाद लोगों ने उसको सत्ता से बाहर कर दिया था।भजपा गठबंधन सरकार के साथ भी यही बनेगी |  उस वक़्त भी हमने किसानों के साथ खड़े होकर लड़ाई लड़ी थी और आज भी लड़ेंगे। हमने  सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया हुआ है । इस आंदोलन में शामिल जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, वो वापस लिए जाएं, नहीं तो हमें बड़ा आंदोलन छेड़ना पड़ेगा। हाई कोर्ट के सिटिंग जज से लाठीचार्ज मामले की जांच हो दूध का दूध ,पानी का पानी हो जाएगा |  

प्रश्न -3 कृषि अध्यादेशों में तकनीकी खामी क्या हैं |  
उत्तर --
3 कृषि अध्यादेशों को लेकर बिना एम् एस पी और किसी तरह के सरकारी नियंत्रण वाले इन अध्यादेश के जरिए मंडी और  एम् एस पी व्यवस्था को ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है। बार-बार विरोध करने के बावजूद सरकार इन अध्यादेशों को तानाशाही तरीके से थोपने पर लगी है जिसका विरोध हर सिमरत कौर बादल ने किया है |  इसीलिए किसान को मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। लेकिन सरकार कोरोना का डर दिखाकर उसकी आवाज़ को दबाना चाहती है।

प्रश्न -3 कृषि अध्यादेशों पर कांग्रेस या आप क्या चाहतें हैं ? 
उत्तर --
अगर सरकार इन्हें लागू करना चाहती है तो साथ में स्वामीनाथन के सी 2 फार्मूले के तहत एमएसपी की गारंटी का अध्यादेश भी लेकर आए। अगर सरकार अपना बिल नहीं लाती है तो हम प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएंगे। सरकार उसको पास करके किसानों को एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करे। अगर सरकार यह भी करने को तैयार नहीं है तो पंजाब की तर्ज पर इन तीनों बिलों को पूरी तरह खारिज किया जाए।  

प्रश्न -बेरोजगारी व् उद्योगों को लेकर क्या कहेंगे ?
उत्तर --
हरियाणा की ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में गिरावट से  हरियाणा तीसरे पायदान से 13 स्थान गिरकर 16 वें स्थान पर पहुंचना सरकार की सभी दावों की पोल खोलता है और लोगों के सामने साफ हो गया है कि हरियाणा बेरोजगारी में नंबर 1 के स्थान पर कैसे पहुंचा।भाजपा के 6 साल के दिशाहीन शासन ने प्रदेश में काम-काज और कारोबार की ऐसी हालत कर दी है कि नए उद्योग लगना तो दूर, चलते उद्योग भी प्रदेश छोड़कर जा रहें हैं। जहां एक और सरकार लाखों करोड़ों के निवेश का दावा कर रही है, वहीं सच यह है कि प्रदेश में काम कर रहे उद्योग भी सरकार की दिशाहीनता और प्रदेश में बढ़ते अपराध के कारण दूसरे प्रदेश में जा रहे हैं।2015 हैपनिंग हरियाणा का आयोजन किया था और 5.87 लाख करोड़ के एमओयू साईन करने का दावा किया था। 2019 में दायर की गई आरटीआई में सरकार ने यह माना था केवल 4 प्रतिशत निवेश आया था जिसमें अब भी कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। निजी क्षेत्र की बुरी हालत और सरकारी क्षेत्र में छटनी के कारण हरियाणा बेरोजगारी में नंबर 1 पर पहुंच गया है और प्रदेश का युवा नाउम्मीद होकर घर बैठने को मजबूर है। इसके कारण प्रदेश में अपराध की संख्या बढ़ गई है जिससे कारण नशे में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है।गिरती साख का असर प्रदेश की आर्थिक हालत पर भी पड़ा है जिसके कारण हरियाणा कर्ज के बोझ के तले दबता जा रहा है। उन्होंने कहा की इस चिंताजनक हालत पर प्रदेश सरकार को विचार करना चाहिए और रणनीति बनानी चाहिए।

प्रश्न -सरकार स्कुल खोलने  है ?क्या कहेंगे ?
उत्तर --
यह सरकार के निर्णय हैं परन्तु अब जब कोरोना पीक पर है तो सरकार कोई भी निर्णय जल्दबाजी से लेने से पहले डब्लयू एच ओ व् आई सी एम्  गाइड लाइन्स को फॉलो करे | 

प्रश्न -करोना  के प्रबंधों पर क्या कहेंगे ?
उत्तर --
कोरोना से सावधानी ,को लेके सरकार हर मोर्चे पर फ़ैल है ,किया ही क्या सरकार ने | हस्पतालों में एडमिट नहीं करते ,जो डॉक्टर्स व् स्टाफ है उन्हें प्रोटोकाल के तहत सामान नहीं मिलता | डॉक्टर्स व् स्टाफ खुद पोस्टिव हो रहे हैं | वैकल्पिक इंतजाम क्या है सब चुप हैं |  

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