गर्मियों में गर्म पानी व बिना पंखों से पढ़ रहे है राजकीय स्कूल के बच्चे, उल्टी व चक्कर आने से हुए बीमार

Edited By Manisha rana, Updated: 22 Jul, 2022 12:02 PM

government school children studying in summer hot water without fans

शिक्षा व स्वास्थ्य पर सरकार बेशक पानी की तरह पैसा बहा रही है लेकिन ऐसे पैसे के प्रयोग के सार्थक परिणाम सामने आते नजर नहीं आ रहे ...

ऐलनाबाद (सुरेन्द्र सरदाना) : शिक्षा व स्वास्थ्य पर सरकार बेशक पानी की तरह पैसा बहा रही है लेकिन ऐसे पैसे के प्रयोग के सार्थक परिणाम सामने आते नजर नहीं आ रहे है। आलम यह है कि खण्ड तलवाडा खुर्द के राजकीय स्कूल की बात करें तो उक्त स्कूल के बच्चे बिना बिजली के बन्द पड़े पंखों के नीचे बिना हवा पढ़ने के लिए मजबूर है। पंखों की हवा के अभाव में क्लास में पढ़ रहे बच्चों द्वारा ऐसी असहनीय गर्मी में मजबूरन अपनी किताबों को ही पंखा बनाया जाता है। जब छात्र किताब को ही पंखा बनाएंगे तो ऐसे छात्र किस तरह की पढ़ाई कर पाएंगे। 

इस का अंदाज़ा सहज रूप से ही लगाया जा सकता है। बात पंखों की हवा तक ही सिमट कर नहीं रह जाती। इससे भी बढ़ कर बात और यह है कि स्कूल में बच्चों को ऐसी गर्मी में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। बच्चे स्कूल में बनी एक ऐसी पानी की टंकी जिसमें वाटर बॉक्स का गंदा पानी जो सीधे रूप में ही उस टंकी में चढ़ता है, वह गर्म व गंदगी युक्त पानी पीने को छात्र मजबूर है। जिसके चलते कल अनेकों छात्रों ने उल्टी व चक्कर आने की शिकायत की ओर कुछ अभिभावकों ने अपना नाम न बताने की शर्त पर समाजसेवी भीम साई को इस बात की शिकायत की। भीम साईं ने आज जब अभिभावकों की शिकायत पर स्कूल में उक्त समस्या की जांच की तो आज भी वस्तुस्थिती पाई गई और बच्चे गर्म-पानी पीते हुए व गर्मी में किताबों को पंखा बना हवा करते नज़र आए। भीम साई ने बताया कि छात्रों ने पेट दर्द व उल्टी की। 

भीम साईं द्वारा जब स्कूल में जांच की गई तो बच्चों द्वारा बताई गई एक अन्य समस्या भी सामने आई कि सातवीं क्लास के सभी छात्रों को अभी तक किताबे मुहैया नहीं करवाई गई। कुछ छात्रों को किताबे मुहैया करवाई भी गई है तो वह तीन या चार साल पुरानी किताबे दी गई है। ऐसे में सरकार की निःशुल्क किताबे दिए जाने वाली योजना भी बेमानी सा लगता है। उक्त समस्या को लेकर कब स्कूल के इंचार्ज से बात जाननी चाही तो उपस्तिथ स्टाफ ने यह कह कर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया कि वह कुछ भी बोलने के लिए अधिकृत नही है चूंकि वर्ष 2013 से यानी 9 वर्ष से इंचार्ज की सीट खाली पड़ी है।

अब सवाल यह है कि आखिर 9 साल से तलवाडा खुर्द के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में प्रिंसिपल की सीट का जिम्मेवार कौन है? स्कूल की व्यवस्था की जिम्मेवारी किसके हाथों में सौंपी गई है? आखिर गंदे पानी को पीने से और गर्मी के चलते किसी छात्र के साथ कोई घटना घट जाती है तो इसका जिम्मेवार कौन है? क्यों नही स्कूलों में छात्रों को निशुल्क किताबे मुहैया नहीं करवाई जा रही? इन बातों का जवाब बेशक नहीं मिला है लेकिन समाजसेवी भीम साई ने उक्त समस्याओं के निदान के लिए शिक्षा मंत्री को एक पत्र जरूर लिखा है। देखना बाकी है कि तलवाडा खुर्द के राजकीय स्कूल की सुध कब ली जाती है या फिर ली ही नहीं जाती और क्षेत्र के बच्चों का स्वास्थ्य व शिक्षा राम भरोसे ही रहती है।

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