11 दिनों से पानी की टंकी पर चढ़े हैं किसान और अब 16 अगस्त को राष्ट्रीय राजमार्ग करेंगे जाम

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 13 Aug, 2023 09:08 PM

farmers have climbed the water tank for 11 days

सिरसा जिला के गांव नारायणखेड़ा में पिछले 11 दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर पानी की 110 फुट ऊंची टंकी पर चढ़े हुए हैं और अब इन किसानों ने अल्टीमेटम दिया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान न दिया तो वे 16 अगस्त को सिरसा-हिसार राष्ट्रीय...

सिरसा (संजय अरोड़ा) : सिरसा जिला के गांव नारायणखेड़ा में पिछले 11 दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर पानी की 110 फुट ऊंची टंकी पर चढ़े हुए हैं और अब इन किसानों ने अल्टीमेटम दिया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान न दिया तो वे 16 अगस्त को सिरसा-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग को गांव भावदीन के पास जाम कर देंगे। उल्लेखनीय है कि 2022 में नाथूसरी चोपटा खंड के कई गांवों में नरमे की फसल को नुक्सान पहुंचा था। फसल की गिरदावरी भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक किसानों को बीमा क्लेम नहीं मिला है। बीमा क्लेम की राशि न मिलने से गुस्साए किसान 11 दिन पहले गांव नारायणखेड़ा की टंकी पर चढ़ गए और अनेक गांवों के किसान जलघर परिसर में धरना दिए हुए हैं। अब किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि 16 अगस्त तक बीमा क्लेम की राशि नहीं मिली तो उसके बाद वे गांव भावदीन में नैशनल हाइवे पर बने टोल प्लाजा के पास रास्ता अवरुद्ध करते हुए जाम लगा देंगे।

गौरतलब है कि सिरसा जिला प्रदेश का प्रमुख नरमा उत्पादक जिला है। साल 2022 में भी सिरसा जिला में करीब सवा दो लाख हैक्टेयर में नरमा की काश्त की गई। मानसून में तेज बरसात के चलते सिरसा जिला में नरमा की फसल को भारी नुकसान हुआ था। इस वजह से उत्पादन भी न के बराबर हुआ। प्रति एकड़ औसतन 2 से 3 क्विंटल ही उत्पादन हो सका। इसको लेकर प्रशासन की ओर से विशेष गिरदावरी भी करवाई गई। कुल 337 गांवों में से करीब 273 गांवों में बीमा कंपनी ने गलत क्रॉप कटिंग का हवाला देते हुए किसानों को मुआवजा ही नहीं दिया। कंपनी की ओर से निश्चित अवधि में किसानों से प्रीमियम पहले ही ले लिया जाता है। सिरसा जिला में करीब 641 करोड़ रुपए की बीमा राशि बकाया है। ऐसे में बीमा क्लेम की मांग को लेकर सबसे पहले पैंतालिसा क्षेत्र से आवाज उठी और नारायणखेड़ा के किसानों ने आंदोलन करने का बिगुल बजा दिया। 11 दिन पहले गांव नारायणखेड़ा के किसान भरत सिंह, नाथूसरी से जे.पी., शक्कर मंदौरी से दीवान सहारण एवं नरेंद्र सहारण गांव के जलघर में बनी करीब 110 फुट ऊंची टंकी पर चढ़ गए। तब से यह किसान टंकी पर चढ़े हुए हैं। किसानों की सिरसा जिला के उपायुक्त पार्थ गुप्ता से भी वार्ता हुई, लेकिन किसान मुआवजा देने की जिद्द पर अड़े हैं। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर भी पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। किसानों का स्पष्ट कहना है कि जब उनका प्रीमियम हर बार तय तारीख पर काट लिया जाता है, तो मुआवजा भी समय पर दिया जाना चाहिए।

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लगातार किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं गोकुल सेतिया

अनेक किसान नेता व राजनेता भी इस धरने को समर्थन दे चुके हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, किसान नेता प्रह्लाद भारुखेड़ा, माकपा नेता मंगेज चौधरी, युवा नेता गोकुल सेतिया, इनैलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक चौ. अभय सिंह चौटाला, राज्यसभा के सदस्य दीपेंद्र हुड्डा भी आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचकर शासन-प्रशासन पर हमला बोल चुके हैं। खास बात यह है कि सबसे पहले युवा नेता गोकुल सेतिया ने किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया था और खुद भी पानी की टंकी पर किसानों के साथ बैठने को कहा था, जिस पर किसानों ने सेतिया का आभार जताते हुए उन्हें टंकी पर चढऩे से रोक लिया। गोकुल सेतिया पहले दिन से ही किसानों के आंदोलन में डटे हुए हैं और किसानों के संघर्ष में साथ दे रहे हैं और वे पिछले 11 दिनों से लगातार किसानों के धरने में शामिल हो रहे हैं। गोकुल का कहना है कि पहले से ही किसान महंगाई की मार झेल रहा है। जमीन की जोत कम हो रही है। महंगे तो डीजल, खाद, कीटनाशकों ने खेती की लागत को बढ़ा दिया है। हर बार खरीफ में नरमा की फसल का प्रीमियम बीमा कंपनियों की ओर से तय तारीख पर किसान के बैंक खाते से काट लिया जाता है, लेकिन बीमा क्लेम के लिए किसानों को आंदोलन करना पड़ता है। नरमा की फसल पिछले साल खराब हुई थी। करीब 10 माह बाद भी किसानों को बीमा क्लेम नहीं मिला है और पूरे जिला में 640 करोड़ रुपए से अधिक का क्लेम बाकी है। सेतिया ने स्पष्ट किया है कि किसानों को जब तक बीमा क्लेम की राशि नहीं मिलती है उनका आंदोलन जारी रहेगा।

चढूनी दे चुके हैं चेतावनी तो अभय ने भी सरकार को दिया अल्टीमेटम

गौरतलब है कि गांव नारायणखेड़ा में मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के बीच दो दिन पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी पहुंचे थे। चढूनी ने स्पष्ट किया था कि अगर सरकार ने जल्द ही किसानों की मांग नहीं मानी तो वे भी किसानों के साथ टंकी पर चढ़ जाएंगे। वहीं एक दिन पहले इनैलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव व ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला भी आंदोलन कर रहे किसानों के बीच पहुंचे। अभय चौटाला ने तो यह भी अल्टीमेटम दिया कि यदि आगामी सोमवार अथवा मंगलवार तक किसानों के खातों में उनके बीमा क्लेम की राशि नहीं आई तो वे बड़ा आंदोलन करने को विवश हो सकते हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि आगामी सोमवार व मंगलवार तक किसानों की मांग पूरी न होने पर वे स्वयं भी किसानों के बीच धरने पर बैठेंगे। इस दौरान इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि वे पहले भी सरकार तथा प्रशासनिक अधिकारियों को कह चुके हैं कि वे इस धरने को लंबा न चलाएं, क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो यह धरना विकराल रूप धारण कर जाएगा। इसी प्रकार के किसान आंदोलन ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी झुकने पर मजबूर कर दिया था। इनेलो नेता ने कहा कि किसान कमजोर नहीं है और वह अपना हक लेना जानता है। विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि वे आगामी 25 अगस्त को हरियाणा विधानसभा के सत्र में किसानों की मांगों का मुद्दा जोरशोर से उठाएंगे, फिर चाहे इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री से ही क्यों न टकराना पड़े। उन्होंने कहा कि किसानों की पैरवी करते हुए ही वे पहले भी विधानसभा से अपनी सदस्यता छोड़ चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर पर किसान आंदोलन ने सरकार की चूलें हिला दी थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को परेशान करने में जुटी है।

राज्यसभा के सदस्य दीपेंद्र हुड्डा भी किसानों के बीच पहुंचे और उन्होंने तर्कों एवं तथ्यों का हवाला देते हुए केंद्र एवं भाजपा सरकार पर तीखे हमले बोले। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना बन गई है। संसद में खुद केंद्र सरकार ने माना है कि पिछले 7 वर्षों में इन निजी बीमा कंपनियों ने किसानों से 1,97,657 करोड़ बीमा प्रीमियम वसूला, लेकिन 1,40,036 करोड़ रुपए मुआवजा देकर कुल 57,000 करोड़ का मुनाफ़ा अपनी तिजोरियों में भर लिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में निजी बीमा कंपनियों ने पूरे देश के किसानों से 27900.78 करोड़ रुपए का प्रीमियम लिया, लेकिन किसानों को सिर्फ 5760.80 करोड़ रुपए ही बीमा मुआवजा के रुप में दिए गए। वहीं, हरियाणा में वर्ष 2022-23 में बीमा कंपनी ने किसानों से 703.84 करोड़ रुपए प्रीमियम लिया, लेकिन सिर्फ 7.46 करोड़ रुपए का ही मुआवजा दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जब प्रीमियम देने की तारीख तो निश्चित होती है, लेकिन किसानों को क्लेम देने की तारीख निश्चित नहीं होती ये अन्याय है, इसके खिलाफ हम सडक़ से संसद तक लड़ाई लड़ेंगे।

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मूकदर्शक बनी है भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार : सैलजा

इस सिलसिले में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी सैलजा का कहना है कि सिरसा में फसल बीमा के क्लेम की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे किसानों की तबीयत बिगडऩे लगी है, लेकिन भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अब भी मूकदर्शक बनी हुई है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि किसानों के हक की लड़ाई में उनका साथ दे और बीमा कंपनियों पर दबाव बनाकर उनके नुकसान की भरपाई करवाए। साथ ही दक्षिण हरियाणा में बीमारी की भेंट चढ़ी बाजरे की फसल की विशेष गिरदावरी करवाकर किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा प्रदान करे। कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के कार्यों को देखकर लगता है कि वह पूर्ण रूप से किसान विरोधी है। जब भी किसानों को कोई दिक्कत होती है, तो उसके समाधान की दिशा में सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जाता। मजबूर होकर किसान धरना या प्रदर्शन के सहारे अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, तो दमनकारी नीतियों का सहारा लेकर उनका मुंह बंद करवाने की कोशिश की जाती है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के लिए कितने शर्म की बात है कि उसने एक बार भी सिरसा जिले में धरना दे रहे किसानों की ओर ध्यान नहीं दिया। जब धरनारत किसानों की कोई सुनवाई नहीं हुई तो 4 किसान सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए नारायण खेड़ा गांव में 110 फुट ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ गए। इन्हें टंकी पर ही रहते हुए 11 दिन को चुके हैं, लेकिन अब भी सरकार की नींद नहीं खुली है जबकि आमरण अनशन पर बैठे किसानों की हालत खराब होने लगी है और उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवानी पड़ रही है। कुमारी सैलजा ने कहा कि इन किसानों की मांगों को पूरा करने से सरकारी राजस्व पर भी कोई असर नहीं पडऩे वाला। ये किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों ने साल 2022 में फसल का बीमा करवाया हुआ था, इनकी फसल खराब हो गई। बीमा कंपनी खराब हुई फसल की मुआवजा राशि देने से पीछे हट रही हैं, जबकि फसल बीमा के लिए कंपनियों को गठबंधन सरकार ने ही फाइनल किया हुआ था। ऐसे में प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह बीमा कंपनियों से खराब फसलों के मुआवजे का भुगतान करवाए। उन्होंने कहा कि उधर, दक्षिण हरियाणा का किसान बाजरे की फसल में बीमारी आने से परेशान हैं। महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिले में बाजरे की अधिकतर फसल खराब हो चुकी है। ऐसे में तुरंत प्रभाव से विशेष गिरदावरी के आदेश देते हुए किसानों को हुए नुकसान की भरपाई प्रदेश सरकार द्वारा की जानी चाहिए।

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