किसानों ने अवशेष जलाने से की तौबा फिर भी एयर क्वालटी में नहीं हुआ सुधार, आंकड़ा 500 के पार

Edited By Isha, Updated: 08 Nov, 2020 02:46 PM

farmers did not stop burning the residue yet air quality did not improve

प्रतेयक वर्ष नवम्बर माह अस्थमा व दिल के रोगियों के लिए तोहमत भरा होता है । इस माह में  क्षेत्र वातावरण इतना प्रदूषित हो जाता है कि उक्त मरीज़ों के अलावा स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस लेना दूभर हो जाता है । जिससे अनेको बीमारियां अपना डेरा

ऐलनाबाद(सुरेंद्र सरदाना): प्रतेयक वर्ष नवम्बर माह अस्थमा व दिल के रोगियों के लिए तोहमत भरा होता है । इस माह में  क्षेत्र वातावरण इतना प्रदूषित हो जाता है कि उक्त मरीज़ों के अलावा स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस लेना दूभर हो जाता है । जिससे अनेको बीमारियां अपना डेरा डाल लेती है । वृद व्यक्ति तो अपने घरों में बने  कमरों से बाहर ही नही निकल पाते ।  वैसे तो ऐसे प्रदूषित वातावरण के लिए अनेक फेक्टर्स है ,लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऐसे वातावरण को प्रदूषित करने में सब का पेट भरने वाले धरती पुत्र का हाथ रहता है। 

चूंकि वह अपने खेत मे लोगो का पेट भरने वाली गेहू की बिजाई के लिए धान के अवशेष अपने खेतों में जलाता है। ऐसे जलने वाले धान के फानो से अधिक मात्रा में धुंआ फैलता है व वातावरण प्रदूषित होता है।  बेशक ऐसा होता होगा कि धान के फाने जलने पर उठने वाले धुंए से वातावरण प्रदूषित न हो। लेकिन सरकार पर चले एन जी टी के डंडे से सरकार द्वारा गत वर्षों में धरती पुत्रो के साथ दिखाई जाने वाली सख्ती ,बेशक वो धान अबशेष जलाने पर आर्थिक दण्ड की हो या फिर किसान पर थानों में मुकदमा दर्ज करने की हो, दिखा कर किसानों पर ऐसे फानो को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है । ताकि वातावरण प्रदूषित न हो ।

किसान ने भी समझौता करते हुए, चाहें वह डर से या फिर जागरूकता से,अपने खेतों में धान के अवशेष जलाने के लिए तौबा कर ली है । आलम यह है कि इका दुका किसानों की बात तो नही की जा सकती लेकिन अधिकांश किसान अब अपने खेत मे धान के अवशेष नही जला रहे है ओर इन  फानो को  अपने खेतों में ही दबा रहे है बेशक इस के लिए उन्हें आर्थिक रूप से काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है । क्यो की प्रति फानो को दबाने में लगभग दो  से तीन हज़ार रुपये तक का खर्च  किसान को अधिक वहन करना पड़ता है । अलबत्ता कुछ भी हो ,एयर क्वालिटी इंडेक्स में तो अभी भी सुधार नही हुआ । अगर हम पिछले अड़तालीस घण्टो की बात करे तो सिरसा का एयर क्वालिटी इंडेक्स तकरीबन 600 तक पहुंच गया । वातावरण को प्रदूषित करने का ठीकरा किसान के सिर पर तोड़ने वाली सरकार को ऐसे ओर भी कारकों को ढूंढना होगा जिस से की यह वातावरण इतना प्रदूषित  न हो ओर आमजन स्वास्थ जीवन जी सके .

 

 

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