Edited By Manisha rana, Updated: 26 Mar, 2025 07:42 AM

जिला उपायुक्त द्वारा लगाए जा रहे समाधान शिविर में मंगलवार को उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब जींद की शिवपुरी कॉलोनी के रहने वाले एक परिवार ने समाधान शिविर में अर्जी लगाकर उपायुक्त से इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी।
जींद (संजीव नैन) : जिला उपायुक्त द्वारा लगाए जा रहे समाधान शिविर में मंगलवार को उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब जींद की शिवपुरी कॉलोनी के रहने वाले एक परिवार ने समाधान शिविर में अर्जी लगाकर उपायुक्त से इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी। इस मामले में पीड़ित परिवार जिला पुलिस द्वारा मामले को लेकर की जाने वाली जांच की कार्रवाई से नाराज है। पिछले 6 महीने में कोई कार्रवाई नहीं होने से परेशान है।
परिजनों के अनुसार 30 सितम्बर, 2024 को शिवपुरी कॉलोनी के मोहित ने फाइनैंसरों से तंग आकर संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में मोहित के भाई सुरेंद्र ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि मोहित ने वीटा का बूथ लिया हुआ था। साथ में वह कबाड़ी का भी काम करता था। वर्ष 2022 में अमित के नाम का लड़का (सीनू) पैदा हुआ था। पैदा होते ही वह बीमार रहने लगा। उसे अस्पतालों में दिखाया, लेकिन जींद में इलाज नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए हिसार से इलाज करवाने की सलाह दी। फिर उन्होंने बच्चे को हिसार के निजी अस्पताल में दाखिल करवा दिया। जहां पर अस्पताल का खर्चा बहुत ज्यादा था। फिर उसके भाई मोहित ने एक महिला जुलानी रोड, जींद से 8 लाख रुपए अलग-अलग तारीखों में 10 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज पर उठा लिए। महिला के पैसे लौटाने के लिए मोहित ने अलग-अलग लोन वाली कम्पनियों से पैसे उठाए। फिर लोन वाली कम्पनियों की किस्तें चुकाने के लिए मोहित ने वर्ष 2024 में अलग-अलग फाइनैंसरों से पैसे उठाए।
उसके बाद 30 सितम्बर की शाम को करीब 5 बजे सतीश नाम का फाइनैंसर मोहित के वीटा बूथ पर आया और अपनी किस्त मांगने लगा तो मोहित ने किस्त के पैसे देने के लिए कुछ समय और मांगा। लेकिन सतीश ने समय देने से उसे साफ मना कर दिया और पैसे जल्दी लौटाने की धमकी दी। फिर सतीश व मोहित दोनों घर पर आ गए और घर आते ही उनके पिता रामकुमार के सामने ही फाइनैंसर सतीश व मोहित की आपस में कहासुनी हो गई। फाइनैंसर सतीश धमकी देने लगा कि उसे किस्त चाहिए, वरना वह घर से नहीं जाएगा। मोहित ने बेइज्जती महसूस करके दुकान में जाकर पंखे में फंदा लगाकर सन्दिग्ध परिस्थितियों में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उस समय मोहित की जब जेब को चैक किया तो उसमें से सुसाइड नोट बरामद हुआ था जिसमें मोहित ने अपनी मौत के जिम्मेदार परवेश सरोहा, शिलो, उज्जीवन कंपनी के अनिकेत, सचिन गोलू, सतीश, सुनील लाठर, अमित शाहपुर, पाला नर्सी को बताया था। पुलिस ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया था। परिजनों का आरोप है कि अब इस मामले को 6 महीने बीतने को हैं, लेकिन इस मामले में पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। पीड़ितों की मानें तो जांच अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और वह पीड़ितों को ही कह रहे हैं कि फाइनैंसरों के पैसे देने हैं, वह पैसे दे दें।
अभी मामले की जांच है जारी : एस.एच.ओ. मनीष कुमार
इस मामले में जब थाना शहर प्रभारी इंस्पैक्टर मनीष कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस की जांच चल रही है और जांच पूरी होते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जींद के तत्कालीन एस.पी. की आई याद
इस मामले में शहर के लोगों का कहना है कि जींद के पूर्व पुलिस कप्तान सुमित कुमार (आई.पी.एस.) के समय में कुछ ऐसे ही मामले सामने आए थे और तुरंत पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की थी। फाइनैंसर अपने कार्यालय बंद करके फरार हो गए थे। तब उस समय एस.पी. सुमित कुमार के नेतृत्व में जींद शहर थाना प्रभारी डॉक्टर सुनील ने मोर्चा संभाला था और लोगों को फाइनैंसरों के खिलाफ शिकायत देने के लिए भी कहा था। कुछ मामलों में बाद में पुलिस ने कार्रवाई की, लेकिन वर्तमान में पूरी तरह से मामला पुलिस ने फाइनैंसरों के पक्ष में बना कर खड़ा कर दिया है। क्योंकि 10 प्रतिशत मासिक ब्याज पूरी तरह से गैर कानूनी है और इन फाइनैंसरों के पास किसी प्रकार का कोई लाइसैंस भी नहीं है।
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