करोड़ों का फर्जी पैंशन घोटाला, 11 पार्षदों ने मर चुके लोगों को जीवित बता दिलवाई पैंशन

Edited By Isha, Updated: 30 Aug, 2019 10:39 AM

fake pension scam worth crores 11 councilors got dead people alive

हरियाणा में मृतकों के नाम पर पैंशन लेने संबंधी करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच सी.बी.आई. कर सकती है। इसके लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को सी.बी.आई. को नोटिस

चंडीगढ़(हांडा): हरियाणा में मृतकों के नाम पर पैंशन लेने संबंधी करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच सी.बी.आई. कर सकती है। इसके लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को सी.बी.आई. को नोटिस जारी किया है। प्रदेश में लंबे अर्से से अफसरों व राजनीतिज्ञों की मिलीभगत से हजारों लोग फर्जी दस्तावेजों और मृतकों के नाम से बुढ़ापा व रिटायरमैंट पैंशन का लाभ लेते आ रहे हैं, जिसका खुलासा ऑडिट की रिपोर्ट में हुआ था। इसमें 6 जिलों के हजारों लोग फर्जी पैंशनधारक पाए गए थे। कोर्ट ने हरियाणा के एडवोकेट जनरल, विजीलैंस और ई.डी. को भी नोटिस जारी किया है। 

सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त सचिव ने हाईकोर्ट में वर्ष 2018 में रिपोर्ट दाखिल कर बताया था कि शाहबाद इलाके में 25 लोग फर्जी पैंशन ले रहे हैं और जिन नामों से पैंशन ली जा रही है, उनमें से अधिकांश मर चुके हैं। रिपोर्ट में 13 लाख 45 हजार रुपए की रिकवरी भी दिखाई गई थी।  मामले में कार्रवाई करते हुए सेवादार व क्लर्क के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी और सामाजिक विकास अधिकारी के सहायक को चार्जशीट किया गया था। कोर्ट ने 4 अप्रैल 2019 को सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त निदेशक को आदेश देते हुए पूरे राज्य में पैंशनभोगियों की वैरीफिकेशन करने को कहा था, जिसमें 13477 पैंशनधारक फर्जी मिले थे लेकिन सिर्फ शाहबाद में ही दो छोटे कर्मियों पर एफ.आई.आर. दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था, जबकि उस मामले में सामने आया था कि 11 पार्षदों ने पैंशन के लिए व्यक्तियों के दस्तावेज वैरीफाई किए थे, जबकि वह इस दुनिया में ही नहीं हैं। ऐसे में उन पार्षदों पर भी एफ.आई.आर. दर्ज होनी चाहिए थी पर नहीं हुई। कोर्ट ने कहा था कि पूरे राज्य में 14000 पैंशनधारक फर्जी हैं।

करोड़ों की चपत सरकार को लगाई गई लेकिन जांच एजैंसियों ने जांच का दायरा सिर्फ शाहबाद तक ही रखा। कोर्ट ने सवाल खड़े किए थे कि बाकी के जिलों की जांच कर एफ.आई.आर. दर्ज क्यों नहीं हुई और रिकवरी क्यों नहीं की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्टेट कौंसिल से कहा कि सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त निदेशक एफिडेविट देकर बताएं कि उन्होंने अभी तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है।

कोर्ट ने इस मामले में कुरुक्षेत्र के डी.सी. के अधीन बनी कमेटी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने 13477 फर्जी पैंशनधारकों की पहचान की लेकिन अफसोस कि प्रशासन या संबंधित विभाग ने एफ.आई.आर. दर्ज नहीं करवाई। याचिकाकत्र्ता सुखविंद्र सिंह व राकेश बैंस के वकील प्रदीप रापडिय़ा ने कोर्ट को बताया कि उक्त घोटाला करोड़ों का है, जिसमें कई बड़ी हस्तियां शामिल हैं। इसलिए इस मामले की जांच सी.बी.आई. से करवाई जाए, जिसके बाद कोर्ट ने जांच के लिए सी.बी.आई. को नोटिस जारी कर दिया है। 

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