स्कूल मर्ज करने को लेकर विभाग का स्पष्टीकरण, 20 से कम छात्रों वाले स्कूलों पर लागू है नियम

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 15 Aug, 2022 08:56 PM

education department s clarification regarding merging schools in haryana

20 से कम छात्र संख्या और एक ही वार्ड या गांव के 3 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों को ही मर्ज किया गया है, ताकि ऐसे बच्चे शिक्षकों की कमी से ना जूझें। हर छात्र को शिक्षक और हर शिक्षक को छात्र मिल सके।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): स्कूल मर्ज करने की खबरों पर शिक्षा विभाग की ओर से त्वरित संज्ञान लेते हुए विभागीय स्थिति और कार्रवाई को स्पष्ट किया गया है। विभाग की ओर से इस बारे में अहम जानकारी साझा करते हुए बताया गया है कि विभाग अनावश्यक रूप से किसी भी स्कूल को मर्ज नहीं कर रहा है। केवल 20 से कम छात्र संख्या और एक ही वार्ड या गांव के 3 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों को ही मर्ज किया गया है, ताकि ऐसे बच्चे शिक्षकों की कमी से ना जूझें। हर छात्र को शिक्षक और हर शिक्षक को छात्र मिल सके। रेशनेलाइजेशन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे अधीनस्थ स्कूलों के हेड का ना केवल बोझ कम होगा, बल्कि वो बच्चों को पढाई के लिए अधिक वक्त दे पाएगा।

 

छात्रों को सही अनुपात में शिक्षक उपलब्ध कराने के लिए विभाग की पहल

 

स्कूल और स्टाफ से सम्बंधित सभी प्रकार के कार्यों का बोझ मुख्य स्कूल के मुखिया पर ही होगा। वेतन बनाने से लेकर छुट्टी स्वीकृत जैसे तमाम अतिरिक्त कार्यों से मुक्ति मिलेगी और स्कूली कार्यों के लिए बीईओ दफ्तर के चक्कर भी नही काटने पड़ेंगे। विभाग की ओर से एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। वो है सभी प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में सह शिक्षा को लागू करना। विभाग इस दिशा में भी कार्य कर रहा है, ताकि सभी छात्रों को सही अनुपात में शिक्षक उपलब्ध हो सके और सभी बच्चों को एक अच्छे ,प्रतियोगी और बिना भेदभाव के वातावरण में पढ़ने का माहौल मिले। इसलिए एक ही गांव या वार्ड के लड़कियों और लड़कों के स्कूलों को भी एक ही प्रांगण में सह शिक्षा देने की योजना विभाग ने बनाई है।

 

गौरतलब है कि फिलहाल कक्षा छठी से 12वीं तक 45 छात्रों पर एक सेक्शन बनाया गया है। सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों की 18 फीसदी अनुपस्थिति दर है, जिसके हिसाब से करीब 8 छात्र प्रतिदिन अनुपस्थित रहते है। इससे साफ है कि वास्तव में 37 छात्र एक सेक्शन में पढाई करते हैं, जबकि नई शिक्षा नीति भी 35 छात्रों पर एक सेक्शन बनाने की बात कहती है। इसी तरह हर छात्र के लिए स्कूल में 45 घण्टे प्रति सप्ताह और 180 घंटे प्रति मास पढाई के लिए दिया गया है, जबकि 36 पीरियड प्रत्येक सप्ताह हर अध्यापक को लेने अनिवार्य है। इस समय राज्य के स्कूल 147 घण्टे प्रतिमाह लग रहे है जो कि RTE नियम से 33 घंटे कम है। गौरतलब है कि छात्र शिक्षक अनुपात को सुधारने के लिए रेशनेलाइजेशन या स्कूल मर्जर पहली बार नहीं हो रहा है ,इससे पहले साल 2013 में भी करीब 800 स्कूलों को रेशनेलाइजेशन के दायरे में लाया गया था।

 

कुल मिलाकर नई शिक्षा नीति के तहत हर छात्र को ना केवल अध्यापक उपलब्ध हो  बल्कि उसकी पढाई का समय भी उसे पूरा मिले। इसको देखते हुए रेशनेलाइजेशन किया गया है। यहां गौर रहे कि कि जिन 97 स्कूलों को 20 से कम छात्र संख्या के चलते मर्ज किया गया है, उन स्कूलों को दाखिले बढ़ाने पर फिर से खोलने का आश्वासन भी विभाग की ओर से दिया गया है। विभाग की ओर से गंभीर प्रयास है कि शिक्षकों की कमी को जल्द पूरा किया जाए ।इसी के तहत जल्द ही विभाग ट्रांसफर ड्राइव के बाद रिक्त पदों को   एचएसएससी या भर्ती सम्बन्धी दूसरी संस्थाओं और कौशल विभाग के जरिये भरेगा। विभाग की योजना है कि दीपावली से पहले हर स्तर पर  शिक्षकों की कमी को पूरी तरीके से दूर किया जाए।

 

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