भ्रष्टाचार के कारण चम्बल घाटी बन चुका है नगर निगम, सामने आया एक और बड़ा घोटाला

Edited By Shivam, Updated: 07 Sep, 2020 07:21 PM

due to corruption municipal corporation has become chambal valley

नगर निगम पानीपत का कार्यालय हर कार्य में भ्रष्टाचार के कारण चम्बल घाटी बन चुका है। जहां करोड़ों रूपये का पार्क घोटाला, स्ट्रीट लाईट घोटाला, विकास कार्य घोटाला के बाद अब करोड़ों रूपये का कूड़ा कचरा घोटाला आरटीआई से सामने आया है। ये सभी घोटाले नगर...

पानीपत (सचिन): नगर निगम पानीपत का कार्यालय हर कार्य में भ्रष्टाचार के कारण चम्बल घाटी बन चुका है। जहां करोड़ों रूपये का पार्क घोटाला, स्ट्रीट लाईट घोटाला, विकास कार्य घोटाला के बाद अब करोड़ों रूपये का कूड़ा कचरा घोटाला आरटीआई से सामने आया है। ये सभी घोटाले नगर निगम मेयर अवनीत कौर व नगर निगम पानीपत में वर्ष 2018 से सेवारत कमिशनरों के कारण चल रहा है। इसमें निगम के मुख्य सैनेटरी इन्सपेक्टर सुधीर की भूमिका बिचौलिया की है। इस कारण ठेकेदार कम्पनी जेबीएम द्वारा चलाया जा रहा कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट पूरी तरह फेल हो चुका है। यह दावा आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने किया है।

पीपी कपूर ने बताया कि शहर में चारों तरफ कूड़ा करकट के ढेर लगे हैं। मैन पावर, इन्फ्रास्ट्रक्चर, जन शिकायत निवारण, व्यवस्था आदि कुछ भी टेंडर अनुसार नहीं है। जो कूड़ा उठाने का कार्य पहले लाखों में होता था उसके लिए अब हर माह करोड़ों रूपये खर्च होते हैं। गंदगी, कूड़ा करकट से बुरा हाल है। इससे जनता में भारी रोष है।

नगर निगम कमिशनर, मेयर व जेबीएम की मिलीभगत के प्रमाण
पीपी कपूर के दावे के मुताबिक, दिनांक 4 जुलाई 2019 को नगर निगम पानीपत ने अपनी हाउस की मीटिंग में इस जेबीएम कम्पनी की सेवाएं रद्द करने का प्रस्ताव प्रारित कर जनता में वाहवाही लूटी। लेकिन इस प्रस्ताव के प्रैशर की आड़ में कमिशनर नगर निगम व मेयर आदि ने जेबीएम कम्पनी से सांठगांठ करके जेबीएम कम्पनी का ठेका समाप्त करने वाला प्रस्ताव सरकार को भेजना कागजों में दिखाकर आगे भेजा ही नहीं और ना ही कम्पनी का ठेका रद्द करने के केस की कोई पैरवी की। इतना ही नहीं ठेका रद्द करने का प्रस्ताव पारित करने के बाद जेबीएम कम्पनी को 16.50 करोड़ रूपये की पेमेंट भी कर दी गई, जबकि 20 करोड़ की पेमेंट पहले कर चुके थे। यह सब मेयर, कमिशनर व डिफाल्टर जेबीएम कम्पनी की खुली सांठगांठ व कमीशनखोरी के खेल का ठोस सबूत है।

टैंडर एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक इस ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजैक्ट की मॉनिटरिंग, बिलों की वैरिफिकेशन व अप्रूवल का कार्य प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) द्वारा किया जाना था। लेकिन भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी (जो कि जन चर्चा अनुसार मेयर अवनीत कौर व कमिशनर नगर निगम  (दस-दस लाख रूपये प्रतिमाह) के कारण बिना पीएमयू की मॉनिटरिंग व बिलों की वैरिफिकेशन के माह अगस्त 2020 तक करीब 38 करोड़ रूपये की पेमेंट जेबीएम कम्पनी को कर दी गई। जोकि पूर्णत: गैरकानूनी है व टैंडर एग्रीमेंट की शर्तों की घोर अवहेलना है।

टैंडर के एग्रीमेंट में जेबीएम कम्पनी द्वारा फाल्ट करने पर नगर निगम को जुर्माना लगाने का अधिकार है। जुर्माने की दरें भी एग्रीमेंट में लिखी हैं। लेकिन नगर निगम द्वारा डिफाल्टर जेबीएम कम्पनी पर  एक रूपये का भी जुर्माना आज तक जानबूझकर नहीं लगाया गया। जुर्माना इसलिए नहीं लगाया क्योंकि टैंडर एग्रीमेंट के अनुसार सात लाख रूपये या इससे ज्यादा जुर्माना लगने पर ठेका रद्द करने का प्रावधान है। अगर ठेका रद्द हो जाता है तो दस-दस लाख रूपये महीने की कमीशनें मिलनी बंद हो जाती। इसलिए जुर्माना लगाया ही नहीं। जबकि इस पर करोड़ों रूपये का जुर्माना लगना था और ठेका रद्द होना था। 

जेबीएम कम्पनी, मेयर व कमिशनर के भ्रष्टाचार के इस खुले खेल का सूत्रधार नगर निगम पानीपत में पिछले करीब 20 वर्षों से सेवारत एक मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर बताया जा रहा है। अब जुलाई 2020 को इस मुख्य सफाई निरीक्षक सुधीर को ईनाम के तौर पर एक वर्ष की सेवा वृद्धि भी वर्तमान कमिशनर सुशील कुमार की सिफारिश पर सरकार ने दी है। क्या हरियाणा में कोई अन्य मुख्य सफाई निरीक्षक नहीं बचा जो नगर निगम में ड्यूटी कर सके?

उपरोक्त ठोस तथ्यों व प्रमाणों से स्पष्ट है कि नगर निगम पानीपत के तहत ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजैक्ट नगर निगम मेयर, वर्तमान व पूर्व कमिशनर व डिफाल्टर जेबीएम कम्पनी के लिए शहर को लूटने का प्रोजैक्ट बन चुका है। गंदगी व भ्रष्टाचार से जनता भारी परेशानी में है व आक्रोश में है। 

आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने शिकायत में माध्यम से ये की मांग- 
नगर निगम पानीपत के सदन द्वारा सर्वसम्मति से दिनांक 4 जुलाई 2019 को डिफाल्टर जेबीएम कम्पनी के विरूद्ध पारित प्रस्ताव अनुसार इस कम्पनी की सेवाएं तत्काल रद्द की जाएं।
टैंडर एग्रीमेंट की शर्तों के विपरीत गैर कानूनी ढंग से व पीएमयू की मॉनिटरिंग व अप्रूवल के बगैर भुगतान की गई करीब 38 करोड़ रूपये की धन राशि डिफाल्टर जेबीएम कम्पनी से ब्याज सहित वसूल की जाए।
नगर निगम मेयर अवनीत कौर, वर्तमान कमिशनर  सुशील कुमार, तत्कालीन कमिशनर ओमप्रकाश के विरूद्ध भ्रष्टाचार का आपराधिक मुकद्दमा दर्ज कराकर कार्रवाई की जाए।
घोटाले के सूत्रधार चीफ सैनेटरी इन्सपैक्टर सुधीर को रिटायरमेंट के बाद दिया गया सेवा विस्तार तत्काल रद्द किया जाए व इसे दंडित किया जाए।
नगर निगम पानीपत के समस्त क्षेत्र में सफाई व्यवस्था कूड़ा उठाने का कार्य सुचारू कराया जाए।

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