Edited By Deepak Kumar, Updated: 10 Aug, 2025 07:51 PM

देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. स्व. देवीलाल के बेटे एवं पूर्व मंत्री चौ. रणजीत सिंह का कहना है कि अपने प्रदेशव्यापी दौरे दौरान वे अब तक कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, नारनौल जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं।
चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. स्व. देवीलाल के बेटे एवं पूर्व मंत्री चौ. रणजीत सिंह का कहना है कि अपने प्रदेशव्यापी दौरे दौरान वे अब तक कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, नारनौल जिलों में कार्यकत्र्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं और सभी जिलों में कार्यकत्र्ता बैठक करने के बाद 90 विधानसभा क्षेत्रों के सभी वर्करों की एक राज्यस्तरीय बैठक करेंगे। इस बैठक में वे आगामी सियासी फैसला लेंगे और आने वाले समय में चौ. देवीलाल की स्मृति में एक प्रदेश स्तरीय रैली का आयोजन करेंगे। चौ. रणजीत सिंह रविवार को सिरसा की झूंथरा वाटिका में जिलास्तरीय कार्यकत्र्ता बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान वे आक्रामक तेवर में नजर आए। कार्यकत्र्ताओं में भी खूब जोश नजर आया।
गौरतलब है कि चौ. रणजीत सिंह 1987 से लेकर 1991 तक कृषि मंत्री रहे। 1993 में वे कांग्रेस में चले गए। इसके बाद 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया। 2019 में वे रानियां से आजाद विधायक चुने गए और भाजपा सरकार को समर्थन दिया। 2019 से लेकर 2024 तक वे मनोहर लाल खट्टर व नायब सिंह सैनी की सरकार में बिजली एवं जेल मंत्री रहे। पिछले साल विधानसभा चुनाव में रानियां सीट से आजाद प्रत्याशी के तौर चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाब नहीं हुए। अब पिछले करीब 10 माह से वे सियासी रूप से शांत थे, लेकिन अब फिर से सक्रिय हो गए हैं और प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जा रहे हैं। उनके अगले सियासी कदम पर सबकी निगाहें लगी हैं। रविवार को सिरसा की कार्यकत्र्ता बैठक को संबोधित करते हुए चौ. रणजीत सिंह ने कहा कि वे इस भीड़ में मौजूद चेहरों से वाकिफ हैं। राजनीति में वक्त बदल जाता है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकत्र्ता 1987 से उनके साथ हैं।
चौ. देवीलाल की नीतियों पर चलते हुए हमें संघर्ष की राह को नहीं छोडऩा है। हम स्वाभिमानी हैं और हमें मजबूती से काम करना है। चौ. रणजीत सिंह ने कहा कि ब्रिटिश मीडिया ने भी चौ. देवीलाल की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र किया है। चौ. रणजीत सिंह ने कहा कि अभी चुनाव को 4 साल का वक्त पड़ा है। हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना है, स्वाभिमान से हम सभी मिलकर भावी निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि रानियां के लोग उन्हें हराकर अब पछता रहे हैं, क्योंकि इस वक्त उन्हें कोई संभालने वाला नहीं है। बैठक को संबोधित करते हुए चौ. रणजीत सिंह के पौत्र सूर्यप्रकाश ने कहा कि सभी कार्यकत्र्ताओं से उनके परिवार का 40 साल पुराना नाता है। हमें अब संघर्ष का रास्ता नहीं छोडऩा है। बैठक में पहुंचे सभी कार्यकत्र्ताओं का चौ. रणजीत सिंह ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर पूर्व सरपंच जगदेव साहुवाला, पूर्व सरपंच रमेश कम्बोज, दीपक गाबा, बूटा ङ्क्षसह करीवाला, भोला जैन, संजय शर्मा, रणधीर जोधकां, सुनील गोदारा सहित अनेक लोग मौजूद थे।
परिवार आमने-सामने न होता तो मैं हिसार से जीत जाता चुनाव
चौ. रणजीत सिंह ने यह भी कहा कि हिसार लोकसभा सीट से 2024 में वे चुनाव जीत जाते, अगर परिवार के लोग ही आमने-सामने न लड़ते। चौ. रणजीत सिंह ने कहा कि उन्हें हिसार में 5 लाख 30 हजार वोट मिले। चुनाव में परिवार के लोग ही आमने-सामने आ गए। ऐसे में वोट बंट गए। उल्लेखनीय है कि चौ. रणजीत सिंह पिछले वर्ष 24 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे और उसी दिन भाजपा ने उन्हें हिसार से उम्मीदवार बना दिया। हिसार से ही चौ. देवीलाल की पौत्रवधुएं जजपा से नैना चौटाला तथा इनैलो सुनैना चौटाला ने चुनाव लड़ा। कांग्रेस से जयप्रकाश उम्मीदवार थे। जयप्रकाश चुनाव में विजयी हुए और रणजीत सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे। कार्यकत्र्ता बैठक में रविवार को रणजीत सिंह ने हिसार संसदीय चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वे सदैव ही चौ. देवीलाल की नीतियों का अनुसरण करते हैं। चौ. देवीलाल ने भी राजनीति में संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ा और वे भी उसी राह पर चल रहे हैं। उन्होंने कार्यकत्र्ताओं का आह्वान किया कि अगले कुछ दिनों में होने वाली प्रदेशस्तरीय बैठक में पहुंचें और उस बैठक में आपसी विचार-विमर्श कर अगले राजनीतिक कदम के बारे में फैसला किया जाएगा।
कहा, अमेरिका से लौटकर चौ. देवीलाल ने लागू की थी बुढ़ापा पैंशन
चौ. रणजीत सिंह ने बताया कि साल 1987 में चौ. देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और वे उनकी सरकार में कृषि मंत्री थे। चौ. देवीलाल और वे एक बार अमेरिका गए थे। वहां पर भारतीय प्रवासियों का एक सम्मेलन था। रणजीत सिंह ने बताया कि सम्मेलन में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज ने वक्तव्य दिया। जज ने बताया कि वे अमेरिका में जू देखने गए। वहां जाकर उन्हें पता चला कि जू में 60 साल से अधिक आयु के नागरिकों की 1 डॉलर टिकट है जबकि सामान्य श्रेणी के लिए 10 डॉलर। उन्होंने बताया कि यह इसलिए है कि सीनियर सिटीजन को अधिक से अधिक सहूलियत दी जाए। यह बात चौ. देवीलाल के दिलों-दिमाग पर छा गई। चौ. रणजीत सिंह ने बताया कि अमेरिका से वापस लौटने पर चौ. देवीलाल ने मुख्य सचिव बी.एस. ओझा को बुलाया और पूछा कि अगर 60 साल से अधिक आयु के वृद्धजनों को 100 रुपए मासिक दिए जाएं तो कितना बजट लगेगा। ओझा ने फाइल तैयार की और कहा कि 12 लाख रुपए मासिक और इस तरह से 1987 में हरियाणा में बुढ़ापा पैंशन लागू हुई, जिसका बाद में दूसरे राज्यों ने भी अनुसरण किया।
पुराने किस्सों के जरिए अफसरों को चेताया
चौ. रणजीत सिंह ने कुछ पुराने किस्सों के जरिए अधिकारियों को चेताते हुए कहा कि अधिकारियों को सभी नेताओं के जायज काम करने चाहिएं न कि उन्हें किसी पार्टी विशेष के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि साल 1982 की बात है। चौ. भजनलाल मुख्यमंत्री थे और उस समय शिवरमन गौड़ सिरसा के उपमंडल अधिकारी थे। उन्होंने एक काम के लिए गौड़ को बोला तो गौड़ ने काम करने से इंकार कर दिया और दोबारा फोन न करने की बात भी कही। रणजीत सिंह ने कहा कि वे 1987 में कृषि मंत्री बने। गौड़ की जांच वाली फाइल मंगवाई और उसके आधार पर उन्हें सस्पैंड कर दिया। रणजीत सिंह ने बताया कि गौड़ ने बहुत सिफारिशें लगवाईं, लेकिन उन्होंने उन्हें बहाल नहीं किया। रणजीत सिंह ने कहा कि इसके बाद 1991 में चौ. भजनलाल जब फिर से मुख्यमंत्री बने और शिवरमन गौड़ को उन्होंने अपना ओ.एस.डी. बनाया। खुद गौड़ ने उन्हें फोन किया और कहा कि वे उन्हें अब भी मंत्री समझते हैं और आइंदा से आपका कोई काम मना नहीं करेंगे। पंजाब से जुड़ा एक अन्य किस्सा सांझा करते हुए चौ. रणजीत सिंह ने कहा कि साल 1967 में लक्ष्मण सिंह गिल गुरनाम सिंह की सरकार गिराकर मुख्यमंत्री बन गए। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद गिल ने अपने अधिकारियों से पूछा कि भारद्वाज नाम के एक जेल अधीक्षक होते थे, वे कहां है।
अधिकारी ने पता करके बताया कि हरियाणा बनने के बाद वे हरियाणा में चले गए। फिर गिल ने पता करने को कहा अब कहां है। अधिकारियों ने पता किया और बताया कि वे रिटायर हो गए। बाहर मीडिया मुख्यमंत्री गिल का इंतजार कर रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री लक्ष्मण गिल ने फिर कहा कि पता करो अब जेल अधीक्षक भारद्वाज कहां है? इस पर अधिकारियों ने बताया कि वे तो परमात्मा को प्यारे हो गए। इस पर भी गिल नहीं रुके और कहा ओहनूं कब्रां विचो कढ़ के ल्याऔ। रणजीत सिंह ने इस किस्से को सुनाकर कहा कि राजनेताओं की खुंदक बड़ी खराब होती है। रणजीत सिंह ने बताया कि एक दिन मुख्यमंत्री का मूड भांपकर उन अधिकारियों ने उनसे पूछा कि भारद्वाज से इतना द्वेष कैसे। तब मुख्यमंत्री ने बताया कि वे कुछ समय फिरोजपुर जेल में रहे। भारद्वाज ने जेल अधीक्षक रहते हुए उन्हें साढ़े 5 फुट बाई 3 फुट की बैरक में रखा और उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त किया था। इसी वजह से वे अब भारद्वाज को बुलाना चाहते थे।