चौधरी बीरेंद्र सिंह का इस्तीफा मंजूर, अगस्त 2022 तक शेष था कार्यकाल(VIDEO)

Edited By vinod kumar, Updated: 21 Jan, 2020 01:31 PM

हरियाणा से भाजपा के राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह का सदन की सदस्यता से त्यागपत्र भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा बीते दिन 20 जनवरी 2020 से स्वीकार कर लिया गया। राज्यसभा सचिवालय द्वारा इस संबंध में भारत सरकार के गजट में नोटिफिकेशन...

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): हरियाणा से भाजपा के राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह का सदन की सदस्यता से त्यागपत्र भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा बीते दिन 20 जनवरी 2020 से स्वीकार कर लिया गया। राज्यसभा सचिवालय द्वारा इस संबंध में भारत सरकार के गजट में नोटिफिकेशन भी जारी कर दी गयी है। 

राज्य सभा सीट के लिए अब उपचुनाव होगा
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया बीरेंद्र सिंह की राज्य सभा सदस्यता, जिसका कार्यकाल अगस्त, 2022 तक शेष था, के त्यागपत्र स्वीकार होने के कारण उनकी रिक्त घोषित की गई राज्य सभा सीट के लिए अब उपचुनाव भी होगा। उन्होंने बताया कि गत वर्ष नवंबर, 2019 में हरियाणा से भाजपा के एक अन्य राज्य सभा सांसद राम कुमार कश्यप, जो अक्टूबर 2019  में हुए हरियाणा विधानसभा के 13वें आम चुनावों में करनाल की इंद्री विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए, ने भी हरियाणा से राज्यसभा की सदस्यता से अपना त्यागपत्र दे दिया था। 

राज्य सभा के सभापति ने कश्यप का त्यागपत्र बीती 4 नवंबर से स्वीकार कर इस संबंध में एक नोटिफिकेशन 5 नवंबर 2019 को जारी कर दी थी। हेमंत ने बताया कि  चुनावी कानूनों के अनुसार अगर संसद के किसी भी सदन का सदस्य देश में किसी राज्य की विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य निर्वाचित हो जाता है तो उसे निर्वाचन की तिथि के 14 दिन के भीतर अपनी दोनों में से किसी एक सीट से त्यागपत्र देना पड़ेगा अन्यथा दोनों सीटें खाली घोषित कर दी जाएंगी।

चूंकि 24 अक्टूबर 2019 को हरियाणा से राज्य सभा सांसद कश्यप इंद्री विधानसभा हलके से भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए है, इसलिए उन्हें 7 नवंबर से पहले किसी एक सीट चाहे राज्यसभा या विधानसभा से त्यागपत्र देना कानूनन आवश्यक था। उन्होंने बताया कि कश्यप अभी गत वर्ष 2019 लोक सभा चुनावों के बाद   ही राज्य सभा में इनेलो पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वह राज्य सभा में इनेलो के अकेले ही सांसद थे, इसलिए उनके सदन में इनेलो छोड़कर भाजपा में जाने पर पर दल बदल कानून लागू नहीं हो सकता था। 

बता दें कि फरवरी 2014 में हरियाणा से दो राज्य सभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनावो में इनेलो उम्मीदवार के रूप में कश्यप निर्वाचित हुए थे। उनके साथ साथ कांग्रेस की कुमारी शैलजा भी निर्वाचित हुई थी। दोनों को इस वर्ष 9 अप्रैल 2020 तक के लिए चुना गया। उन्होंने बताया कि अगर लोक सभा या राज्य सभा का सांसद किसी दूसरे सदन का या विधानसभा का चुनाव लडऩे के लिए चुनावी मैदान में उतरता है, तो उसे ऐसा करने के लिए अपनी लोक सभा या राज्य सभा सदस्यता से त्यागपत्र देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। 

निर्वाचित होने के बाद वह सांसद चाहे तो संसद या विधानसभा किसी एक सदन की सदस्यता अपने पास रख सकता है एवं दूसरी सदस्यता छोडऩी पड़ती है। हेमंत ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151ए के मुताबिक अगर रिक्त हुई सीट के लिए निवर्तमान सांसद का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम हो तो ऐसी परिस्थिति में उस सीट के लिए चुनाव आयोग द्वारा कोई उपचुनाव नहीं करवाया जाता। 

इसी कारण राम कुमार कश्यप के त्यागपत्र से रिक्त हुई हरियाणा की राज्यसभा सीट के लिए कोई उपचुनाव नहीं करवाया गया। इस सीट लिए नियमित चुनाव फरवरी-मार्च 2020 में देश में बाकी होने वाली राज्य सभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनावों के साथ ही होगा। अभी नौ माह पहले हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलाजा ने भी राज्य सभा सांसद रहते हुए अंबाला (सुरक्षित ) लोक सभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि वो जीत नहीं पाई। अब वर्तमान में वो राज्य सभा में 9 अप्रैल, 2020 तक अपना शेष कार्यकाल पूरा कर रही है। 

जहां तक बीरेंद्र सिंह की बीते कल राज्यसभा की सीट रिक्त घोषित होने का विषय है, तो चूंकि इस सीट का शेष कार्यकाल अगस्त 2022 तक अर्थात लगभग अढ़ाई वर्ष शेष है, इसलिए इस रिक्त हुई सीट के लिए उपचुनाव होगा और यह फरवरी-मार्च 2020 में राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों के साथ ही करवाया जाएगा। हेमंत ने कहा कि हरियाणा के संबंध में 3 राज्यसभा सीटों का एक साथ चुनाव नहीं होगा, बल्कि 2 राज्यसभा सीटों के लिए नियमित और 1 राज्यसभा सीट के उपचुनाव के लिए अलग अलग निर्वाचन करवाया जाएगा।

वहीं मौजूदा हरियाणा विधानसभा में भाजपा, कांग्रेस, जजपा, निर्दलयी आदि के आंकड़ों के आधार पर हेमंत ने बताया की 1 राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव में तो भाजपा-जजपा गठबंधन का ही उम्मीदवार विजयी हो जायगा, क्योंकि इसके लिए साधारण बहुमत चाहिए। जहां तक 2 नियमित सीटों के निर्वाचन का विषय है, तो भाजपा-जजपा और कांग्रेस पार्टी दोनों को एक-एक सीट मिल जाएगी।
हरियाणा की कुल 5 राज्यसभा सीटों में फिलहाल कांग्रेस की कुमारी शैलजा के अलावा भाजपा के डी.पी. वत्स और निर्दलयी डॉ सुभाष चंद्र राज्यसभा सांसद हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोक सभा की दो राज्य सभा सीटों के लिए पिछली बार उपचुनाव वर्ष 2014 में हुआ था, जब तत्कालीन कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र देकर भाजपा ज्वाइन कर ली एवं तत्कालीन इनेलो नेता रणबीर सिंह गंगवा ने हरियाणा विधानसभा चुनावो में मिली जीत के कारण हिसार जिले की नलवा सीट अपने पास रखने का निर्णय लिया और राज्य सभा सीट छोड़ थी। चूूंकि इन दोनों रिक्त हुई सीटों के लिए कार्यकाल एक वर्ष से अधिक शेष था, इसलिए इनके लिए उपचुनाव करवाया गया। जिसमे बीरेंद्र सिंह दोबारा भाजपा से राज्य सभा संसद निर्वाचित हुए एवं दूसरी सीट तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु को प्राप्त हुई। 

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