बुढ़ापा पैंशन को लेकर नियम में किया बदलाव

Edited By Naveen Dalal, Updated: 27 Jul, 2019 09:50 AM

changes to the rule regarding old age pension

देश में बुढ़ापा पैंशन को लेकर उम्र संबंधी नियम में सरकार ने नया बदलाव किया है। अब बुढ़ापा पैंशन के लिए आवेदन करने वाले बुजुर्ग अपनी उम्र के सर्टीफिकेट के रूप में स्कूल छोडऩे का सर्टीफिकेट (एस.एल.सी.) लगा सकेंगे। एस.एल.सी. को सरकार ने उम्र के प्रमाण...

जींद (जसमेर): प्रदेश में बुढ़ापा पैंशन को लेकर उम्र संबंधी नियम में सरकार ने नया बदलाव किया है। अब बुढ़ापा पैंशन के लिए आवेदन करने वाले बुजुर्ग अपनी उम्र के सर्टीफिकेट के रूप में स्कूल छोडऩे का सर्टीफिकेट (एस.एल.सी.) लगा सकेंगे। एस.एल.सी. को सरकार ने उम्र के प्रमाण के रूप में मान्यता देने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। इससे प्रदेश में बुढ़ापा पैंशन के लगभग 8,000 से ज्यादा लंबित मामलों का निपटारा हो जाएगा। साथ ही उन बुजुर्गों को अब अपनी उम्र सत्यापित करवाने के लिए डाक्टरी जांच की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा, जिनके पास अपनी उम्र के प्रमाण के रूप में एस.एल.सी. होंगे। यह बुजुर्गों को विधानसभा चुनावों से पहले सरकार की बहुत बड़ी राहत है। 

सरकार ने बुढ़ापा पैंशन के लिए 60 साल की उम्र निर्धारित की हुई है। बुढ़ापा पैंशन के रूप में सरकार बुजुर्गों को प्रति माह 2,000 रुपए दे रही है। 60 साल की उम्र होने पर बुढ़ापा पैंशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके लिए उम्र का प्रमाण-पत्र जरूरी है। जिन बुजुर्गों ने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की हुई होती है, उनके मैट्रिक के सर्टीफिकेट पर दर्ज उम्र को बुढ़ापा पैंशन के लिए प्रमाण माना जाता है। उम्र को लेकर जिन बुजुर्गों के पास कोई प्रमाण नहीं होता, उन्हें मैडीकल जांच की प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसमें डाक्टर संबंधित बुजुर्ग की जांच कर उसकी उम्र बताते हैं। 

इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत उन बुजुर्गों को हो रही है जो स्कूलों में पढ़े तो हैं लेकिन 10वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाए। ऐसे बुजुर्गों को बुढ़ापा पैंशन के लिए अपनी उम्र के प्रमाण के रूप में पहले स्कूल लीविंग सर्टीफिकेट (एस.एल.सी.) का सहारा होता था। एस.एल.सी. पर भी उम्र लिखी होती थी। इसी के आधार पर जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय बुजुर्गों को पैंशन के पात्र मानकर उनकी पैंशन के लिए सिफारिश मुख्यालय को कर देते थे। यह व्यवस्था प्रदेश में 23 अगस्त 2018 तक जारी थी। सरकार ने 24 अगस्त 2018 को आदेश जारी कर एस.एल.सी. को उम्र का प्रमाण मानने से मना कर दिया था।  उसके बाद ऐसे बुजुर्गों को डाक्टरी जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिनके पास एस.एल.सी. थे और उम्र का इसके अलावा दूसरा कोई प्रमाण नहीं था। 

सरकार ने समझी बुजुर्गों की दिक्कत, एस.एल.सी. को फिर दी मान्यता 
प्रदेश सरकार तक बुजुर्गों की बुढ़ापा पैंशन को लेकर अपने उम्र के प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए डाक्टरी जांच की बेहद जटिल और लंबी प्रक्रिया से गुजरने से होने वाली दिक्कतें पहुंचीं तो सरकार ने वीरवार को आदेश जारी कर बुढ़ापा पैंशन के लिए एस.एल.सी. को उम्र के प्रमाण के रूप में एक बार फिर मान्यता दिए जाने के आदेश जारी कर दिए। इस तरह के आदेश शुक्रवार को प्रदेश के तमाम जिला समाज कल्याण अधिकारियों को मिल गए हैं। सरकार ने अपने इन आदेशों में कहा है कि अब एस.एल.सी. में दर्ज उम्र को बुढ़ापा पैंशन के लिए उम्र का प्रमाण माना जाए और इसी आधार पर 60 साल की उम्र पूरी कर चुके बुजुर्गों की बुढ़ापा पैंशन बना दी जाए।

ये आदेश प्रदेश की सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग की प्रमुख सचिव नीरजा शेखर की तरफ से जारी किए गए हैं। इन आदेशों से प्रदेश में बुढ़ापा पैंशन के लिए आवेदन कर चुके उन लगभग 8,000 बुजुर्गों की पैंशन बनने का रास्ता साफ हो गया है, जिनके पैंशन के  केस महज इस कारण लंबित पड़े थे कि उनके एस.एल.सी. को विभाग बुढ़ापा पैंशन के लिए उम्र के प्रमाण के रूप में मान्यता नहीं दे रहा था। 

चुनाव के नजदीक आकर बुजुर्गों को राहत 
अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश सरकार ने प्रदेश के हजारों बुजुर्गों को बुढ़ापा पैंशन को लेकर बड़ी राहत एस.एल.सी. में दर्ज उम्र को उम्र का आधार मानने के रूप में देने का काम किया है। चुनावी मौसम में सरकार बुजुर्गों का दिल जीतना चाहती है और इस दिशा में एस.एल.सी. को उम्र के प्रमाण के रूप में मान्यता देकर सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। यह इस कारण भी और महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार ने ठीक एक साल पहले जिस एस.एल.सी. को बुढ़ापा पैंशन के लिए उम्र के प्रमाण के रूप में दी गई मान्यता को वापस लिया था, उसे 11 महीने बाद फिर सरकार ने दोबारा मान्यता दे दी है।

सरकार नहीं चाहती कि चुनावी माहौल में बुजुर्गों की नाराजगी का उसे सामना करना पड़े। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल जे.जे.पी. पहले ही भाजपा सरकार पर बुढ़ापा पैंशन को लेकर दबाव बना चुकी है। जे.जे.पी. ने बुढ़ापा पैंशन के लिए महिलाओं की उम्र 60 साल से कम कर 55 साल और पुरुषों की 58 साल करने को अपने मैनीफैस्टो में शामिल किया हुआ है। बुजुर्ग जे.जे.पी. द्वारा की गई इस घोषणा के फेर में आकर विधानसभा चुनावों में जे.जे.पी. के साथ नहीं चले जाएं, इसे देखते हुए सरकार ने एस.एल.सी. को उम्र के प्रमाण के रूप में 11 महीने बाद फिर मान्यता दी है। प्रदेश सरकार नहीं चाहती कि विपक्षी दल जे.जे.पी. बुजुर्गों के वोट बैंक में सेंध लगाए। 

दबाव नहीं, बुजुर्गों की दिक्कत को समझा और दूर किया है सरकार ने : सैनी 
भाजपा के प्रदेश सचिव जवाहर सैनी का इस मसले पर कहना है कि सरकार पर जे.जे.पी. समेत विपक्ष का कोई दबाव नहीं है। इस समय दबाव में सरकार नहीं बल्कि पूरा विपक्ष है, जिसके तंबू पी.एम. मोदी और सी.एम. मनोहर लाल की आंधी में उखड़ रहे हैं। सरकार ने बुढ़ापा पैंशन को लेकर नियम में यह बदलाव बुजुर्गों की दिक्कत को समझते हुए इसे दूर करने की खातिर किया है। प्रदेश सरकार बुजुर्गों को हर तरह की सुविधा देने को लेकर गंभीर है। 

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