Edited By Manisha rana, Updated: 16 Aug, 2025 10:59 AM

भारत के युवा पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक बार फिर देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया।
रेवाड़ी (महेंद्र भारती) : भारत के युवा पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक बार फिर देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया। सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों पर विजय प्राप्त कर भारत को गौरवान्वित करने वाले नरेंद्र ने इस बार यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर) को तीसरी बार फतह किया। इससे पहले वे 2017 और 2023 में भी इस शिखर पर पहुंच चुके हैं।
सबसे अधिक बार चढ़ाई करने वाले पहले भारतीय पर्वतारोही बने नरेंद्र
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ वे माउंट एल्ब्रस पर सबसे अधिक बार चढ़ाई करने वाले पहले भारतीय पर्वतारोही बन गए। जो अपने आप में एक अद्वितीय विश्व रिकॉर्ड है। यह अंतरराष्ट्रीय अभियान एन.एस.वाई. आउटडोर्स के नेतृत्व में 9 अगस्त को प्रारंभ हुआ। छह दिन के कठिन प्रशिक्षण व ऐक्लिमेटाइजेशन के बाद 15 अगस्त की रात 1 बजे बेस कैंप से अंतिम चढ़ाई शुरू हुई। हाड़ कंपा देने वाली -30 डिग्री सेल्सियस ठंड और 40–50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं के बीच लगातार संघर्ष करते हुए, सुबह 9:15 बजे नरेंद्र ने शिखर पर पहुँचकर तिरंगा फहराया और भारत माता की जय के नारों से गगन गूँजाया।
इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की मुहिम “नशा मुक्त हरियाणा – नशा मुक्त भारत” का संदेश भी पूरी दुनिया तक पहुंचाया। उनकी इस अद्वितीय उपलब्धि पर किर्गिज़ गणराज्य के पर्वतारोहण एवं खेल चढ़ाई संघ ने उन्हें प्रमाण पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया। रेवाड़ी ज़िले के नेहरूगढ़ गाँव के निवासी नरेंद्र सिंह यादव पर्वतारोहण जगत में साहस और संकल्प का दूसरा नाम बन चुके हैं। वे सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों पर विजय प्राप्त करने वाले भारत के पहले युवा पुरुष पर्वतारोही हैं।
एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम को पूरा करना है अगला लक्ष्य
अब नरेंद्र का अगला लक्ष्य और भी चुनौतीपूर्ण है। एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम को पूरा करना, जिसमें सातों महाद्वीपों की चोटियों के साथ-साथ उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचना शामिल है। इसके अतिरिक्त वे सातों महाद्वीपों के ज्वालामुखी पर्वतों पर भी चढ़ाई कर भारत का परचम एक बार फिर वैश्विक स्तर पर लहराना चाहते हैं। नरेंद्र की यह गाथा सिर्फ़ पर्वतारोहण की नहीं, बल्कि भारत के साहस, संकल्प और अटूट देशभक्ति की कहानी है, जो हर युवा को प्रेरित करती है।
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