BJP victory in Haryana: हरियाणा में BJP की हैट्रिक की पीछे ये खास वजह, पार्टी पहले भी अपना चुकी यह फॉर्मूला

Edited By Isha, Updated: 10 Oct, 2024 04:23 PM

bjp victory in haryana this is main reason

अपने फैसलों से सभी को चौकाने वाली भारतीय जनता पार्टी के माइक्रो मैनेजमेंट फॉर्मूले से हरियाणा में पहली बार सत्ता की हैट्रिक लगाने में सफल रही है। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा से पहले गुजरात, मध्य प्रदेश औ

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): अपने फैसलों से सभी को चौकाने वाली भारतीय जनता पार्टी के माइक्रो मैनेजमेंट फॉर्मूले से हरियाणा में पहली बार सत्ता की हैट्रिक लगाने में सफल रही है। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा से पहले गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में भी अपने इस फॉर्मूले से सत्ता विरोधी रुझानों को बदलने में कामयाब रही है। ऐसा ही अब बीजेपी ने हरियाणा में करके दिखाया है। इनमें एक बात और भी है कि इन सभी राज्यों में बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। अगर विश्लेषण करें तो इन सभी राज्यों के लिए पार्टी ने जो रणनीति अपनाई उसमें कुछ चीजें एक जैसी रहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में कहा था कि यहां भी मध्य प्रदेश की तरह भाजपा जीत दर्ज करने जा रही है।



नेतृत्व में बदलाव किया
मध्य प्रदेश को छोड़कर चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने गुजरात, उत्तराखंड और हरियाणा में मुख्यमंत्री बदल दिया था। मार्च  2022 में उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव हुए थे। पार्टी ने दो जुलाई, 2021 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देने को कहा। इसके अगले दिन पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यानी धामी को चुनाव से केवल नौ महीने पहले ही मुख्यमंत्री बनाया गया।

दिसंबर, 2022 में गुजरात के विधानसभा चुनाव हुए। पार्टी ने यहां करीब एक साल पहले राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से इस्तीफा लेकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया। भाजपा ने यही फार्मूला हरियाणा में भी उपयोग किया। पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इस्तीफा दिलाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। नायब चुनाव से लगभग 200 दिन पहले मुख्यमंत्री बने। इससे पार्टी सत्ता विरोधी लहर को शांत करने में सफल रही और इन सभी राज्यों में सत्ता बचाने में कामयाब भी रही।



CM के बाद प्रदेश अध्यक्ष भी बदला
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को भी बदल दिया। लोकसभा चुनावों में पांच सीट गंवाने के बाद भी भाजपा अपनी रणनीति पर कायम रही और चुनावों के बाद ओमप्रकाश धनखड़ जैसे बड़े चेहरे को प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाकर सोनीपत से लोकसभा चुनाव हारने वाले नए चेहरे मोहन लाल बड़ौली को हरियाणा में पार्टी की कमान सौंपी। हालांकि बीजेपी के इस फैसले ने सभी को चौका दिया था कि मुख्यमंत्री के बाद प्रदेश अध्यक्ष को बदलना किसी की समझ में नहीं आया। 

जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट
भाजपा ने गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा तक जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट दिया। ऐसा करते समय पार्टी ने बड़े से बड़े नेता का टिकट काटने में भी संकोच नहीं किया। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से जारी 160 उम्मीदवारों की सूची में करीब 33 विधायकों के टिकट काट दिए थे। इनमें कई बड़े नाम भी शामिल रहे। इसी तरह उत्तराखंड में पहली सूची में 11 और मध्य प्रदेश में 29 विधायकों को फिर से टिकट नहीं दिया था। हरियाणा में भी पार्टी ने इस फार्मूले को अपनाया और 16 विधायकों के टिकट काट दिए। इनमें कई दिग्गज शामिल थे।

भीष्म पितामह की काटी टिकट  
विधानसभा के उम्मीदवार घोषित करते समय पार्टी के कद्दावर नेता प्रो. रामबिलास का टिकट काटकर कंवर सिंह यादव के रूप में एक नए चेहरे को राव दान सिंह जैसे बड़े नेता के सामने महेंद्रगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा। कुछ निवर्तमान विधायकों की टिकट काटे को कुछ की सीट बदली। खास बात यह रही कि जिन सीटों पर भाजपा ने बदलाव का दांव खेला, वहां–वहां भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही।

नए चेहरों पर भरोसा
विधानसभा चुनावों में भाजपा की रणनीति ज्यादा से ज्यादा नए चेहरे उतारने की होती है। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जब पहली सूची जारी की तो पार्टी की ओर से 21 नए चेहरों को मौका दिया गया। इसी तरह पार्टी ने मध्य प्रदेश से लेकर उत्तराखंड और अब हरियाणा में भी कई नए चेहरों को मैदान में उतारा है।



BJP ने बदले ये चेहरे
नायब सैनी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद मनोहर लाल की सीट करनाल से चुनाव लड़ा और विधायक बने। भाजपा ने बिना किसी झिझक के नायब सैनी की सीट बदलकर विधानसभा चुनाव में उन्हें लाडवा से उम्मीदवार बना दिया। इसके बाद दूसरा बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले प्रो. रामबिलास शर्मा की महेंद्रगढ़ से टिकट काटकर हुड्डा समर्थक एवं कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार राव दान सिंह के सामने नए चेहरे कंवर सिंह यादव को मैदान में उतारकर सभी को आश्चर्यचकित किया। करीब दो दशक बाद भाजपा में वापसी करने वाले नारनौंद के निवर्तमान विधायक रामकुमार गौतम की सीट बदलकर उन्हें सफीदों भेज दिया।

मनोहर सरकार वन में कैबिनेट मंत्री रही कविता जैन की सोनीपत से टिकट काटकर लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा में आए सोनीपत के मेयर निखिल मैदान को अपना उम्मीदवार बना दिया। नायब सरकार में मंत्री बने संजय सिंह की जगह सोहना से तेजपाल तंवर को अपना उम्मीदवार बनाया। विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा को नलवा से बरवाला भेजा और नलवा में नए चेहरे रणधीर पनिहार को अपना उम्मीदवार बना दिया। मनोहर सरकार वन का पार्ट रहे कृष्ण बेदी को शाहबाद से नरवाना से आरक्षित सीट से मैदान में उतारा।


बढ़ी सीटों की संख्या
गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लगातार कई सालों से सत्ता में होने के बावजूद भाजपा ने न केवल सत्ता विरोध को दबाया बल्कि पिछले चुनावों से अधिक सीटें लेकर जीत दर्ज की। गुजरात में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में 156 सीटें जीतीं जो 2017 के चुनाव से 57 अधिक थीं। इसी तरह मध्य प्रदेश में 2023 में हुए चुनाव में पार्टी ने 230 में से 163 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, इससे पहले 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 109 ही सीटों पर जीती थी। अब हरियाणा में भी पार्टी ने पिछले चुनाव के मुकाबले अपनी सीटों में इजाफा किया है। 2019 में बीजेपी हरियाणा में केवल 40 सीट ही जीत पाई थी, जबकि 2024 के इस चुनाव में बीजेपी ने अकेले अपने दम पर 48 सीट पर जीत हासिल की, जोकि 2014 की संख्या से भी अधिक है।

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