जज्बा: भिवानी के दिव्यांग खिलाड़ियों ने लहराया जीत का परचम, जीते सिल्वर व ब्रॉन्ज मैडल

Edited By Manisha rana, Updated: 12 Dec, 2024 03:43 PM

bhiwani s disabled players hoisted flag of victory

यदि व्यक्ति का हौसला व जज्बा मजबूत हो तो किसी भी प्रकार की कमी आपको पीछे नहीं धकेल सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया भिवानी के दो खिलाडियों ने जो डीफ एवं डंब होने के बावजूद 10वें एशिया पैसीफिक खेलों में सिल्वर व ब्रॉन्ज मैडल जीतकर लाए है।

भिवानी (पुनीत श्योराण) : यदि व्यक्ति का हौसला व जज्बा मजबूत हो तो किसी भी प्रकार की कमी आपको पीछे नहीं धकेल सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया भिवानी के दो खिलाडियों ने जो डीफ एवं डंब होने के बावजूद 10वें एशिया पैसीफिक खेलों में सिल्वर व ब्रॉन्ज मैडल जीतकर लाए है। 

बता दें कि दिव्यांग खिलाड़ी जसपाल ने एक से 8 दिसंबर तक मलेशिया के कोलालांपुर में आयोजित हुई 10वीं एशिया पैसीफिक डीफ गेम में शॉटपुट गेम में देश के लिए सिल्वर जीता तथा डिस्कस थ्रो में इसी खिलाड़ी ने ब्रॉन्ज मैडल देश को दिलाने का काम किया। दूसरे खिलाड़ी अमित ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मैडल दिलाकर गौरव बढ़ाया है। भिवानी के ही तीसरे खिलाड़ी रूपेश ने ज्वैलिन में दुनिया में सातवां स्थान प्राप्त किया। कमर में झटका लगने के चलते रूपेश मैडल नहीं ले पाए।

खुली जीप में निकाला विजय जुलूस

भिवानी पहुंचे 10वीं एशिया पैसीफिक डीफ खेल के मैडलिस्ट खिलाड़ियों का उनके पैतृक जिला भिवानी में पहुंचने पर ढ़ोल-नंगाड़ों व फूल-मालाओं से स्वागत किया गया। खुली जीप में बैठाकर खेल प्रेमी शहर में घूमे तथा इन खिलाड़ियों की उपलब्धि का जश्र मनाया। 

खिलाड़ियों का अगला उद्देश्य 2025 के पैरा ओलंपिक में जीतेंगे गोल्ड

बोलने व सुनने में अक्षम इन खिलाड़ियों में जसपाल की माता मीना व पिता अशोक व आस्था स्पेशल स्कूल में उनकी अध्यापिका सुमन शर्मा ने बताया कि इन खिलाड़ियों ने हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। सुनने व बोलने में अक्षम होने के बावजूद भी इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि हासिल की है। इन खिलाड़ियों का अगला उद्देश्य 2025 के पैरा ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मैडल लेना है। उन्होंने बताया कि दिव्यांग का अर्थ होता है, जिनमें कुछ विशेषताएं है। जिनके बूते पर ये आगे बढ़ सकें। इन खिलाड़ियों ने अपनी दिव्यांगता से ऊपर उठकर देश का नाम रोशन किया है। इनके परिजनों ने बताया कि उन्हें कही भी अपने बच्चों की दिव्यांगता महसूस नहीं होती। उन्होंने बताया कि जसपाल पिछले तीन वर्षों से प्रैक्टिस कर रहा है तथा शॉटपुट व डिस्कस थ्रो की कोचिंग भी करता है।

वहीं 10वीं एशिया पैसीफिक डीफ गेम में कुश्ती खेल में ब्रॉन्ज मैडल हासिल करने वाले अमित के पिता हरज्ञान ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की उपलब्धि पर खुशी है। वह पहली बार विदेश में खेलने गया था तथा इसकी अगली तैयारियां 2025 के पैरा ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मैडल को लेकर रहेंगी।

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