Bhiwani: ना फटने-धुलने वाले कपड़े होंगें तैयार, 2 हजार करोड़ रूपये का बजट तैयार

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 19 Feb, 2025 08:22 PM

bhiwani clothes that can t be torn or washed will be ready budget ready

कपड़ा उत्पादन के क्षेत्र में जहां भारत आत्मनिर्भर है, वहीं अब केंद्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय द्वारा नेशनल टैक्रीकल टैक्सटाइल मिशन के तहत पहने जाने के अलावा अन्य कार्यो में प्रयोग होने वाले कपड़े को देश में ही निर्माण करने के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा...

भिवानी (अशोक भारद्वाज) : कपड़ा उत्पादन के क्षेत्र में जहां भारत आत्मनिर्भर है, वहीं अब केंद्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय द्वारा नेशनल टैक्रीकल टैक्सटाइल मिशन के तहत पहने जाने के अलावा अन्य कार्यो में प्रयोग होने वाले कपड़े को देश में ही निर्माण करने के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इसको लेकर 2 हजार करोड़ के लगभग बजट नवाचार, रिसर्च व तकनीकी हैल्प के रूप में भारत सरकार का कपड़ा मंत्रालय खर्च करने जा रहा है। 

यह बात भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के नेशनल टैक्सटाइल मिशन के डायरेक्टर अशोक मल्होत्रा ने भिवानी में कपड़ा मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस में कही। इस मौके पर विभिन्न देशों के कपड़ा उद्योग से जुड़े तकनीकी जानकार भी उपस्थित रहे।

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कपड़ा मंत्रालय मिशन डायरेक्टर अशोक मल्होत्रा व बीके बेहेरा ने बताया कि पहनने वाले कपड़ा निर्माण के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है, जबकि आने वाले समय में सडक़ व पुल निर्माण, मैडिकल क्षेत्र, जियो टैक्सटाइल व कृषि क्षेत्र में प्रयोग होने वाले कपड़ों की वैश्विक मांग है। इसी को देखते हुए भारत ना केवल टैक्सटाईल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो, बल्कि पहनने के अलावा अन्य जरूरत के कपड़ों को भी देश में उत्पाद कर सकें। इसके लिए केंद्र सरकार टैक्रीकल टैक्सटाइल मिशन के तहत नवाचार को बढ़ावा दे रही है। 

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अन्य क्षेत्रों में प्रयोग होने वाले कपड़े के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए देश में ही तकनीक विकसित की जा रही है तथा युवाओं को अलग-अलग प्रकार के मजबूत, टिकाऊ, न जलने वाले व बगैर धुले प्रयोग होने वाले तथा ना फटने वाले कपड़े के निर्माण देश में किए जाने की कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। देश के विभिन्न टैक्सटाइल इंजीनियरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

इसी उद्देश्य से इस दो दिवसीय कांफ्रेंस का आयाजन किया जा रहा है, ताकि टैक्रीकल टैक्सटाइल के क्षेत्र में देश ना केवल आत्मनिर्भर हो, बल्कि टैक्रीकल टैक्सटाइल का निर्यात भी किया जा सके। क्योंकि टैक्रीकल टैक्सटाइल कपड़ा चिकित्सा, कृषि, रोड़, पुल व अन्य क्षेत्रों में प्रयोग होने के कारण काफी महंगा बिकता है। इससे देश की आर्थिक उन्नति होगी।

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