चुनावी सरगर्मियों के बीच भी बजेंगी शहनाइयां

Edited By Shivam, Updated: 13 Mar, 2019 01:15 PM

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इस बार अन्य कुछ राज्यों के साथ हरियाणा में भी लोकसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प रहने वाले हैं। प्रदेश में चुनाव की अधिसूचना के जारी होते ही चुनावी सरगर्मियां जोर पकड़ जाएंगी। अप्रैल और मई में शादी के करीब 2 दर्जन शुभ मुहूर्त हैं जिसके चलते चुनावी...

अम्बाला (रीटा शर्मा/सुमन भटनागर): इस बार अन्य कुछ राज्यों के साथ हरियाणा में भी लोकसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प रहने वाले हैं। प्रदेश में चुनाव की अधिसूचना के जारी होते ही चुनावी सरगर्मियां जोर पकड़ जाएंगी। अप्रैल और मई में शादी के करीब 2 दर्जन शुभ मुहूर्त हैं जिसके चलते चुनावी शोर के बीच लोगों को शहनाइयों के गूंज भी सुनने को मिलेंगी। हरियाणा में 16 अप्रैल को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। नामांकन पत्र भरने की आखिरी तारीख 23 व उनकी जांच-पड़ताल 24 को होगी। 26 अप्रैल तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे और चुनाव 12 मई को होंगे। उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 23 मई को होगा।

हालांकि चुनाव प्रचार के लिए चुनाव आयोग ने वाहनों की सीमा को लेकर कोई खास निर्देश नहीं दिया है लेकिन संसदीय चुनाव में 100 से कम गाडिय़ों से काम नहीं चलता। इस बार शादियों के भारी सायों की वजह से प्रत्याशियों को वाहनों का जुगाड़ करने में दिक्कत आ सकती, क्योंकि इस बार चुनाव के दौरान शादियों का जोर रहेगा। प्रत्याशियों के टिकटों की घोषणा के बाद वाहनों की अग्रिम बुकिंग का काम शुरू हो जाएगा। अप्रैल मे गर्मी का प्रकोप शुरू हो जाना है। मई में जब चुनाव प्रचार और रैलियों का सिलसिला चरम सीमा पर होगा उस समय गर्मी भी अपने यौवन पर होगी। पिछली बार की तरह इस बार भी उम्मीदवारों को जमकर अपना पसीना बहाना होगा। 
 

विवाह के शुभ मुहूर्त
इस साल 14 फरवरी के बाद विवाह के शुभ मुहूर्तों की शुरूआत हो गई है। चुनाव के सभी चरणों में शादियों की रौनक नजर आएगी। एक प्रख्यात ज्योतिषी  के मुताबिक अप्रैल मास में शादी के लिए 16, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 25 व 26 का दिन काफी शुभ है। मई महीने में 2, 6, 7, 8, 12, 14, 15, 17, 19, 21, 23, 28, 29, 30 को शुभ मुहूर्त का योग बनता है। हरियाणा में नामांकन भरने की तारीख 16 अप्रैल से 23 अप्रैल तक की है। 22 अप्रैल को छोड़कर बाकी सभी दिनों शादियों का जोरदार साया है। चुनाव वाले दिन 12 मई को भी शादी का मुहूर्त काफी शुभ बताया जा रहा है।

कई धार्मिक त्यौहार
चुनावी अभियान के दौरान कई प्रमुख त्यौहार आने हैं जिसमें राजनीतिक दलों के कार्यकत्र्ता भी व्यस्त हो जाते हैं। इन पर्वों में होली, राम नवमी, बैसाखी, हनुमान जयंती, नवरात्रे, महावीर जयंती, परशुराम जयंती व अक्षय तृतीया प्रमुख हैं। रमजान भी मुस्लिम समाज का एक बड़ा त्यौहार है जो चुनावों के बीच में पड़ेगा। वोटरों को रिझाने के लिए राजनेताओं को अपने चुनाव अभियान को छोड़कर इस तरह के आयोजनों में शामिल होना पड़ता है। होली के आसपास बड़ी तादाद में उत्तर भारत के शहरों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश उत्तर प्रदेश व बिहार में लौटने शुरू हो जाते हैं।

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