अम्बाला लोकसभा उपचुनाव: बंतो कटारिया, कृष्ण बेदी, सुदेश कटारिया व अनिल धंतौड़ी में किसकी निकलेगी लॉटरी

Edited By Manisha rana, Updated: 21 May, 2023 04:22 PM

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अम्बाला लोकसभा आरक्षित सीट रतनलाल कटारिया के निधन से खाली हो गई है। लोकसभा चुनावों में एक साल का समय रहता है...

चंडीगढ़ (धरणी) : अम्बाला लोकसभा आरक्षित सीट रतनलाल कटारिया के निधन से खाली हो गई है। लोकसभा चुनावों में एक साल का समय रहता है। अगर उपचुनाव हुए तो यहां भाजपा क्या रतन लाल कटारिया की पत्नी बन्तों कटारिया को टिकट देगी? यह चर्चा आम है। इसके इलावा मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार कृष्ण बेदी, भाजपा के प्रवक्तता सुदेश कटारिया व कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए अनिल धंतौड़ी के नाम भी चर्चा में है। भाजपा किस पर दांव खेलेगी यह भविष्य के गर्भ में है। मगर सबसे मजबूत पलड़ा मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार कृष्ण बेदी का है। अतीत में हरियाणा में राज्य मंत्री 2014 से 2019 तक रहें। 2019 में शाहाबाद से चुनाव हार गए थे। 2019 से मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार हैं।

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रत्न लाल कटारिया के निधन के बाद जब उनका पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया तब मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा उनकी धर्मपत्नी बन्तों कटारिया के सिर पर हाथ रख सांत्वना देने के घटनाक्रम को राजनैतिक विश्लेषक राजनैतिक आशीर्वाद के रूप में भी देख रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जिस प्रकार से सांत्वना देते हुए बन्तों कटारिया के सिर पर हाथ रखा अगर उसे राजनैतिक रूप से आंकलित किया जाए तो मुख्यमंत्री ने उन्हें राजनैतिक आशीर्वाद प्रदान किया है। 

उल्लेखनीय है कि बन्तों कटारिया पिछले तीन दशकों से रतनलाल कटारिया के साथ राजनीति में पूरा सक्रिय भूमिका में देखी जा रही है। शादी के बाद वहीं उन्होंने कानूनी अध्ययन करते हुए लॉ की डिग्री भी की। बन्तों कटारिया भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा में खूब एक्टिव रही है तथा पिछले काफी अर्से से भारतीय जनता पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर काम कर दिया रही है। राजनैतिक सामाजिक ग्रुप से काफी सक्रिय बन्तों कटारिया कुशल वक्ता भी हैं। सांसद रतन लाल कटारिया की मृत्यु के बाद सहानुभूति वोट निसंदेह बन्तों कटारिया की तरफ जा सकते हैं।


बंतो कटारिया का रतन लाल से सन् 1984 में हुआ था विवाह 

बंतो कटारिया का जन्म सन् 1964 में घरौंडा नामक स्थान पर हुआ। इनका परिवार प्रारम्भ से ही जनसंघ से जुड़ा रहा हैं। इनका विवाह रतनलाल कटारिया से सन् 1984 हुआ तथा आपने केवल मैट्रिक तक ही शिक्षा ग्रहण की हुई थी। परंतु शादी के बाद परिवार के सहयोग और अपनी लगन के आधार पर एलएलबी तक की शिक्षा ग्रहण की। बन्तों कुछ समय तक हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत भी की। 1980 से ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं और मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश उपाध्यक्ष तक सभी दायित्वों का निर्वहन आपने संगठन में रहते हुए किया है। आप अपनी काबिलियत के आधार पर भारत के नवरत्नों में शामिल गेल की स्वतंत्र डायरेक्टर भी रही है। अब भाजपा प्रदेश कार्यकारणी की सदस्य के रूप में कार्य कर रही है। 


मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अत्यंत विश्वास पात्र हैं कृष्ण बेदी

वहीं दूसरी तरफ कृष्ण बेदी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अत्यंत विश्वास पात्र हैं। 2019 में शाहाबाद से विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद भी मनोहर लाल ने उन्हें अपना राजनैतिक सलाहकार बना कर अपनी कोर टीम का प्रमुख सदस्य रखा। अन्य चर्चित नमों में भाजपा प्रवक्तता सुदेश कटारिया का भी नाम खूब चर्चा में है।संगठन के कार्यों में सक्रिय सुदेश कटारिया की गिनती मुख्यमंत्री मनोहरलाल के विश्वासपत्र लोगों में होती है। सुदेश कटारिया ने अत्तीत में अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़े हैं। सुदेश कटारिया मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कार्यप्रणाली से बेहद प्रभावित हैं। इन्होंने 2013 में भाजपा जॉइन की थी। तत्कालीन भजपा प्रदेशाध्यक्ष राम विलास शर्मा ने इन्हें भजपा जॉइन करवाई थी। कांग्रेस संगठन की राष्ट्रीय राजनीति में रहे पूर्व विधायक अनिल धंतौड़ी ने छह माह पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल में आस्था जताते हुए भाजपा जॉइन की। भाजपा जॉइन करते हुए उनका राजनैतिक निशाने पर सीधे तौर पर नेता प्रतिपक्ष व उनके पुत्र रहे। अनिल धंतौड़ी इन चेहरों में से सबसे ज्यादा युवा है।


अगर अम्बाला लोकसभा के उपचुनाव होते हैं तो भाजपा जितायु व सॉलिड उम्मीदवार को ही मैदान में उतारेगी। जिसका अहम कारण है कि देश के लोकसभा चुनाव भी मई 2024 में हैं। यहां के चुनाव परिणामों का असर अगले लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। अम्बाला लोकसभा में 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। अम्बाला लोकसभा के लिए कांग्रेस के पास सबसे मजबूत चेहरा पूर्व केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा हैं। संभावनाएं हैं कि कुमारी शैलजा शायद ही चुनाव लड़ें। जिसका अहम कारण कांग्रेस के अंदर की भारी गुटबाजी, जो कि किसी से भी छुपी नहीं है। शैलजा-रणदीप व किरण चौधरी एक गुट है जबकि हुड्डा, उदयभान एक गुट हैं।अम्बाला लोकसभा की 9 विधानसभा सीटों में से कई विधानसभा सीटों पर कुमारी शैलजा का सीधा प्रभाव है। कुमारी शैलजा जब केंद्रीय मंत्री थी तब उनका यमुनानगर जगाधरी, अंबाला शहर, अंबाला कैंट, सडोरा, नारायणगढ़, सभी विधानसभा सीटों पर आना जाना रहता था। कुमारी शैलजा भाजपा सरकार आने के बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अभी बनाई गई, मगर ग्रुप द्वारा कभी भी कुमारी शैलजा को पद और कांग्रेस अध्यक्ष स्वीकार नहीं किया गया। यही कारण है कि कुमारी शैलजा जिन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल मिला था ढाई साल में ही उनकी रवानगी कर दी गई।


फिलहाल देखने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग इस मामले में अंतिम निर्णय क्या लेगा तथा वह किस करवट पर बैठेगा। भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के अलावा पंजाब में सरकार आने के बाद आम आदमी पार्टी भी अगर अंबाला लोकसभा उपचुनाव होते हैं तो उसमें अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का प्रयास कर सकती है। ऐसी स्थिति के अंदर आम आदमी पार्टी के पास मजबूत विकल्प के रूप में कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर जगह चेहरा मौजूद है।

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