Edited By Saurabh Pal, Updated: 09 Aug, 2024 11:05 PM
सिरसा जिले के कलांवाली स्थित मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रबंधक कमेटी कमेटी और ग्रिविएंस कमेटी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वर्गीय महाराज बहादुर चंद वकील साहब के निधन के बाद डेरे की गद्दी सौंपने की परम्परा...
कालांवाली (श्रवण प्रजापति): सिरसा जिले के कालांवाली स्थित मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रबंधक कमेटी कमेटी और ग्रिविएंस कमेटी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वर्गीय महाराज बहादुर चंद वकील साहब के निधन के बाद डेरे की गद्दी सौंपने की परम्परा का पालन करने पर विचार मंथन हुआ। पधादिकारियों और ट्रस्टियों ने निर्णय लिया कि पूज्य महाराज के हुक्म की पालना के लिए महाराज जी द्वारा की गई वसीयत अनुसार महात्मा बीरेंद्र को गद्दी सौंपी जाए। डेरा की परम्परा के अनुसार महात्मा बीरेंद्र को गद्दी सौंप दी गई। इस दौरान महाराज वकील साहब का परिवार काफी भावुक हो गया। महाराज जी की बहन ने महात्मा बीरेंद्र के सिर पर हाथ रखते हुए कहा कि डेरे को अब आप संभाल लो।
डेरा मैनेजमेंट और दूसरी कमेटियों के महत्वपूर्ण बैठक स्वर्गीय महाराज वकील साहब के भाई शंकर लाल जी, बहन लक्सवरी देवी, भांजा संजय, भतीजा विष्णु, डेरा ग्रिविएंस कमेटी के सदस्य अनिल बेगावाली, डेरे के महात्मा सूरज, राज भिंडर जगमालवाली, महात्मा नाहर सिंह, जगमालवाली गांव के सरपंच प्रतिनिधि सत्तू, मंदर नम्बरदार, गुरदास जगमालवाली, कुलदीप प्रधान, प्रवीण पीपली और कमेटी के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। बैठक में महाराज के भाई शंकर लाल जी ने कहा कि डेरे की परम्परा में गद्दी को खाली नहीं छोड़ा जा सकता और महाराज जी के हुक्मानुसार डेरे की गद्दी सौपने के कार्य की पालना की गई है। भतीजे विष्णु ने कहा कि हर डेरे की अपनी परम्पराएं होती है। हमारी भी अपनी परम्पराएं है और उन्हीं परम्पराओं का निर्वहन आज किया गया है। महात्मा बीरेंद्र को मैनेजमेंट के आग्रह और परम्पराओं के अनुसार उन्हें पगड़ी पहनाई गई।
सेवा और सिमरन जारी रहेगा: महात्मा बीरेंद्र
बैठक में महात्मा बीरेंद्र ने कहा कि मैनेजमेंट कमेटी ने डेरा की परम्परा के तहत गद्दी सौंपने सम्बन्धी कार्य किया है। डेरे का कामकाज सामान्य रूप से चले, इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी था। साध संगत के मन अनेक लोगों ने कई अफवाहें फैला दी और कई सवाल पैदा कर दिए हैं। डेरे के लिए सबसे बड़ी ताकत उनकी संगत है। डेरा में सेवा और सिमरन जारी रहेगा। वे पहले की तरह ही डेरे में अपनी सेवाए देते रहेंगे। महात्मा बीरेंद्र दोपहर को डेरे में पहुंचे तो भारी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे हो गए और उनसे मिलने पहुंचने लगे। शाम तक डेरे में संगत से मिलने का सिलसिला चलता रहा।
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