कृषि मंत्री पर जमकर बरसे अभय चौटाला, किसानों के मुद्दों को लेकर कही ये बड़ी बात

Edited By Isha, Updated: 26 Nov, 2019 06:24 PM

abhay chautala lambasted agriculture minister

इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कृषि मंत्री जेपी दलाल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तक अधिकारियों द्वारा राइस मिलर्स की निरीक्षण रिपोर्ट सरकार को सौंपी नहीं गई है परंतु कृषि

चंडीगढ़ (धरणी)- इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कृषि मंत्री जेपी दलाल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तक अधिकारियों द्वारा राइस मिलर्स की निरीक्षण रिपोर्ट सरकार को सौंपी नहीं गई है परंतु कृषि मंत्री ने रिपोर्ट आनेे से पहले ही घोटाला करने वालों को क्लीन चिट देते हुए कहा है कि प्रदेश में कोई धान घोटाला नहीं हुआ, जिससे लगता है कि कहीं न कहीं दाल में काला है। ये बड़ी अजीब बात है कि जिन अधिकारियों की मिलीभगत से धान व चावल का इतना बड़ा घोटाला हुआ है, सरकार ने उन्हीं अधिकारियों की राइस मिलर्स के स्टाक की जांच करने की जिम्मेवारी दी है। यह तो ऐसा लगा जैसे बिल्ली को दूध की रखवाली करने के लिए बैठा दिया गया हो।

इनेलो नेता ने बताया कि इतना बड़ा घोटाला फूड एंड सप्लाई, मार्केटिंग बोर्ड तथा अन्य खरीद एजेंसियों की मिलीभगत के बगैर व्यापारी वर्ग एक भी दाना दो नम्बर में खरीद नहीं सकता। कृषि मंत्री द्वारा रिपोर्ट आने से पहले इस घोटाले के बारे में क्लीन चिट देने से मालूम होता है या तो उनको इस पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है या फिर अधिकारियों ने उनको भी अपने प्रभाव में लेकर इस पूरे घटनाक्रम को असफल करने का प्रयास किया है। 

चौधरी अभय सिंह चौटाला ने हाल ही में विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया था और मंडियों में स्वयं जाकर किसानों से बात करके नमी के नाम से काटी जाने वाली राशि के सबूत मुख्यमंत्री महोदय को चिट्ठी लिखकर देने का कार्य किया था। यह घोटाला सिर्फ पहली बार ही नहीं हो रहा, इससे पहले भी इनेलो पार्टी ने 13 अक्तूबर, 2016 को महामहिम को ज्ञापन देकर धान की खरीद के घोटाले के बारे में चेताया था कि सरकार धान व चावल खरीद के संबंधित अधिकारी व व्यापारी किसानों से 100 रुपए से लेकर 200 रुपए प्रति क्विंटल की कटौती कर रहे हैं। इसके उपरांत सरकार ने नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 22 प्रतिशत कर दी थी परंतु एक प्रतिशत नमी की कटौती 15.10 रुपए निश्चित करके किसानों को राहत देने की बजाय उनका अधिक शोषण किया गया और तो और जो धान मिल मालिकों द्वारा खरीदे गए धान की सुखाई के लिए भी 11 रुपए प्रति क्विंटल खर्चा भी किसानों से काटा गया था। महामहिम के माध्यम से सरकार से किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने का आग्रह किया गया था परंतु उस समय भी अब की तरह वही ढाक के तीन पात और भाजपा सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। 

इनेलो नेता ने बताया कि जिन राइस मिलर्स का स्टॉक का निरीक्षण किया जा रहा है, उनकी रिपोर्ट सरकार को 27 नवम्बर को चंडीगढ़ मुख्यालय पर दी जानी है परंतु कृषि मंत्री का रिपोर्ट आने से पहले क्लीन चिट देना संदेह के घेरे में है। धान की सरकारी खरीद में जो घोटाला हुआ है उसमें बजाय राइस मिलर्स को प्रताडि़त किया जाए और उनके कारखानों पर पुलिस बैठा दी जाए, यह बहुत निंदनीय है क्योंकि व्यापारी सरकार को टैक्स देते हैं और उसके बदले में सरकार व समाज से मान-सम्मान की उम्मीद रखते हैं। परंतु सरकार ने तो व्यापारियों को ही चोर बना दिया जबकि जिन अधिकारियों व सरकार के चहेतों की मिलीभगत से ये घोटाला हुआ है उन्हीं को इस घोटाले बारे फैसला करने के लिए जज नियुक्त कर दिया।

इनेलो नेता ने बताया कि सरकार के चहेतों व खरीद एजेंसियों के अधिकारियों की मिलीभगत से पीआर धान 1400-1500 रुपए प्रति क्विंटल लेकर 1835 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से सरकारी खाते में डालकर 250 से लेकर 300 रुपए प्रति क्विंटल तक का मुनाफा कमाया है। जिन मिलों को खरीद एजेंसियों ने धान चावल निकालने के लिए अलॉट किया है उन्होंने प्रति क्विंटल 67 प्रतिशत चावल सरकार को देना है और फूड एंड सप्लाई विभाग तथा एफसीआई के अधिकारियों की मिलीभगत से धान की खरीद कागजों में दिखाकर चावल बिहार या यूपी आदि प्रदेशों से लाकर सरकार को सौंप दिया जाएगा। अपने धान व चावल के स्टॉक को पूरा करने के लिए दूसरी जगह से पर्चे कटवाकर निरीक्षण कर रहे अधिकारियों द्वारा स्टॉक पूरा करवाया जा रहा है। 

 

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