डिजिटलीकरण: ग्रामीण और कृषि व्यवसाय के लिए एक खेल परिवर्तक (गेम चेंजर) : प्रो. चक्रवाल

Edited By Isha, Updated: 13 Sep, 2020 11:12 AM

a game changer for rural and agribusiness prof chakraval

वाणिज्य और व्यवसाय प्रशासन विभाग, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, गुजरात के प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा है कि ग्रामीण और कृषि व्यवसाय में आने वाली समस्याओं के लिए मोबाइल टेक्नोलोजी सेवाएँ, कृत्रिम होशियारी, रिमोट सेंसिंग सेवाएँ वांछित समाधान हो सकती...

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी):  वाणिज्य और व्यवसाय प्रशासन विभाग, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, गुजरात के प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा है कि ग्रामीण और कृषि व्यवसाय में आने वाली समस्याओं के लिए मोबाइल टेक्नोलोजी सेवाएँ, कृत्रिम होशियारी, रिमोट सेंसिंग सेवाएँ वांछित समाधान हो सकती हैं । डिजिटलाइजेशन में एग्री फूड चेन के हर हिस्से को बदलने की ताकत है । कमजोर तकनीकी अवसंरचना, उच्च तकनीकी लागत, ई साक्षरता का निम्न स्तर और डिजिटल कौशल ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे पार पाने की जरूरत है । इससे अधिक खाद्य सुरक्षा, लाभप्रदता और स्थिरता को प्राप्त किया जा सकता है । वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा आयोजित रिफ्रेशर कोर्स के छठे दिन ‘ग्रामीण और कृषि व्यवसाय अध्ययन में डिजिटल युग में चुनौतियां’ विषय पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य उत्पादन का एक तिहाई उत्पादन से उपभोग तक सभी चरणों में हर साल बर्बाद हो जाता है । दुनिया में अभी भी 821 मिलियन लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं और समस्या केवल बदतर होती जा रही है । कृषि और खाद्य क्षेत्र मौसम, वर्षा, प्राकृतिक आपदाओं की अनिश्चितता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है । भारत में 85 प्रतिशत से अधिक किसान सीमांत किसान हैं जो प्रति माह 5000 से कम कमाते हैं । आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु कुछ अग्रणी राज्य हैं जहाँ तक किसान आत्महत्याओं का संबंध है ।

योगेश कुमार (फेलो मेंबर, एफसीएस), इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया और असिस्टेंट मैनेजर, लीगल (जीएमआर ग्रुप) ने सुबह के सत्र में बताया  कि संबंधित पक्ष के लेन-देन का ज्ञान और समझ कंपनियों को गैर-अनुपालन से बचा सकती है । उन्होंने सर्वव्यापी अनुमोदन से संबंधित पूर्वाभास और अप्रत्याशित लेनदेन के बारे में विस्तार से चर्चा की । उन्होंने संबंधित पार्टी लेनदेन के लिए प्रकटीकरण आवश्यकताओं को भी साझा किया । उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा दायित्व प्रकटीकरण आवश्यकताओं की सूची की  भी व्याख्या की । डॉ हिताशी लोमश निदेशक सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तीसरे सत्र में  ‘प्रतिक्रिया देने की कला’ पर प्रकाश डाला गया । कोर्स के समन्वयक डॉ. सिम्मी वशिष्ठ एवं डॉ उत्कर्ष मंगल ने  सत्र में बहुमूल्य चर्चा के लिए प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया ।

 

 

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