प्रदेश में 2009 वाली स्थिति, अपने आपको दोहरा रहा है इतिहास

Edited By Isha, Updated: 27 Oct, 2019 10:56 AM

2009 situation in the state history is repeating itself

हरियाणा में इस बार रोचक चुनावी नतीजे आए हैं और प्रदेश की राजनीति का इतिहास 10 साल पहले वाली सभी घटनाएं एक बार फिर दोहरा रहा है। 2009 में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार थी और चुनाव के बाद कांग्रेस को 40, इनैलो को 31, निर्दलीय

डेस्क: हरियाणा में इस बार रोचक चुनावी नतीजे आए हैं और प्रदेश की राजनीति का इतिहास 10 साल पहले वाली सभी घटनाएं एक बार फिर दोहरा रहा है। 2009 में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार थी और चुनाव के बाद कांग्रेस को 40, इनैलो को 31, निर्दलीय को 7, बसपा को 1, अकाली दल को 1, हजकां को 6 व भाजपा को 4 सीटें मिली थीं। उस समय भूपेन्द्र हुड्डा ने रातों-रात सभी निर्दलीय विधायकों को काबू करके उनके समर्थन से अपनी सरकार बना ली थी। उस समय 7 निर्दलीय और 1 बसपा प्रत्याशी के समर्थन से कांग्रेस की भी 40 से बढ़कर अपने समर्थक विधायकों की संख्या 48 हो गई थी जिसमें से बसपा विधायक अकरम खान को डिप्टी स्पीकर बनाया गया था और निर्दलीय गोपाल कांडा को गृह राज्य मंत्री, ओम प्रकाश जैन सहित कई अन्य निर्दलीय विधायकों को भी मंत्री व मुख्य संसदीय सचिव बना दिया गया था।

बाद में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा ने हजकां के 6 में से 5 विधायकों को तोड़कर उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल कर लिया था और कांग्रेस विधायकों की संख्या बढ़ाकर 45 कर ली गई थी। 5 हजकां विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून में तहत लम्बा केस चलता रहा और हजकां से कांग्रेस में आने वाले विधायकों में से सतपाल सांगवान को सहकारिता मंत्री व विनोद भ्याणा और जिलेराम शर्मा को सी.पी.एस. बना दिया गया था। इसी के बलबूते भूपेन्द्र हुड्डा 5 साल तक अपनी सरकार चलाने में सफल रहे लेकिन 2014 के चुनाव में कांग्रेस को मात्र 15 सीटें मिलीं। इस बार चुनावी गणित बिल्कुल वैसा ही है। इस बार भाजपा को 40 सीटें और कांग्रेस को 31 सीटें मिली हैं। उस समय निर्दलीय व बसपा के 8 विधायकों ने समर्थन दिया था और इस बार भी हलोपा के गोपाल कांडा व 7 निर्दलीयों सहित 8 विधायकों ने भाजपा को समर्थन दे दिया है।

उस समय हजकां व भाजपा के बाकी विधायकों की संख्या 6 जमा 4 कुल 10 थी और 1 विधायक अकाली दल का था।  अब जजपा के विधायकों की संख्या 10 है और 1 विधायक इनैलो का है। अब भाजपा को अल्पमत की सरकार को जिन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया है, उनमें से ज्यादातर का भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होना तय है। पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वह राज्यसभा के भी सांसद रहे हैं। इस बार कांग्रेस से टिकट न मिलने पर वह रानिया से निर्दलीय चुनाव लड़े और अच्छे-खासे माॢजन से चुनाव जीत गए। गोपाल कांडा भी हुड्डा  सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं। परंतु अब भाजपा में विरोध होने के कारण गोपाल कांडा का समर्थन पार्टी नहीं ले रही है।

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