Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 19 Sep, 2024 08:04 PM
चुनावी दौर में जहां एक तरफ अन्य नेता वोटरों को लुभाने के लिए जुगत लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गुड़गांव से भाजपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा को जनता का अपार जनसमर्थन उनके व्यक्तित्व के कारण स्वतः ही मिल रहा है।
गुड़गांव, (ब्यूरो): चुनावी दौर में जहां एक तरफ अन्य नेता वोटरों को लुभाने के लिए जुगत लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गुड़गांव से भाजपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा को जनता का अपार जनसमर्थन उनके व्यक्तित्व के कारण स्वतः ही मिल रहा है। मुकेश शर्मा ने विधानसभा की दर्जनों कालोनियों और शहर के बाजार में जनसम्पर्क किया। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रत्याशी पार्टी के अंदर चल रही फूटनीति और चुनावी रैलियों में विवादास्पद बयानबाजी के साथ-साथ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों का दंश झेल रहे हैं।
शहर के मुख्य बाजार में जनसम्पर्क के दौरान व्यापारी वर्ग ने भाजपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा से एक सुर में कहा कि सारा बाजार केवल और केवल मुकेश शर्मा “पहलवान” के साथ है और आने वाली 5 तारीख को केवल और केवल भाजपा को वोट देकर अपने देश की शिक्षा, संस्कृति को मजबूत करेंगे। व्यापारी वर्ग का कहना है कि जिस पार्टी के उम्मीदवार की चुनावी रैलियों में ही “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लग रहे हैं, वह देश और समाज का भला कभी कर ही नहीं सकते। लिहाजा, अपने घर-परिवार की इज्जत, बाजार की सुरक्षा और अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए हम केवल और केवल भाजपा को ही समर्थन देंगे। हरियाणा विधानसभा चुनावों ने अब एक अलग ही रंग ले लिया है। चुनावी जनसभाओं में अब बात सिर्फ स्थानीय मुद्दों तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई है। स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ भ्रष्टाचार एवं बड़े-बड़े घोटालों का जिक्र तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों द्वारा वोटों के बदले नौकरी, खर्ची-पर्ची के माध्यम से नौकरी के साथ-साथ अपने घर भरने की बात और रैलियों में “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगने के बाद से कांग्रेस पूरे प्रदेश में बैकफुट पर आ गई है।
नाम न बताते हुए एक व्यापारी ने कहा कि “चौटाला सरकार ने तो हरियाणा को लूटने में कोई कसर छोड़ी ही नहीं थी, लेकिन रही-सही कसर हुड्डा सरकार ने पूरी कर दी। हुड्डा सरकार ने जहां एक तरफ गुड़गांव की बेशकीमती जमीन सोनिया गांधी के जमाई वाड्रा को कौड़ियों के दाम दिलवा दी, वहीं दूसरी तरफ खुद अपने जमाई को गुड़गांव में छह पेट्रोल पंप दे दिए। सरकारी नौकरी पर्ची-खर्ची के साथ-साथ जाति देखकर ही दी जाती रहीं, जिसके चलते प्रतिभावान युवाओं का मनोबल टूट गया। ऐसे भ्रष्टाचारी और आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को एक वोट देना भी दस गौ हत्या के बराबर है।