नृत्य नाटिका के जरिये शाश्वत मूल्यों की झलक : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 06 Nov, 2024 04:58 PM

maryada purushottam shriram mesmerized the audience

असाधारण सांस्कृतिक नाटक 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम' ने महाकाव्य रामायण को मंच पर किया जीवंत

गुड़गांव ब्यूरो : उर्वशी डांस म्यूजिक आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी ने तपस्या फाउंडेशन के सहयोग से कमानी सभागार में बहुप्रतीक्षित नृत्य नाटिका 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम' प्रस्तुत की, जिसे दर्शकों ने जोरदार तालियों के साथ प्रशंसा की। प्रख्यात कथक उस्ताद डॉ. रेखा मेहरा द्वारा निर्देशित यह भावपूर्ण प्रस्तुति भगवान राम के अलौकिक गुणों और नैतिक शक्ति को एक दमदार श्रद्धांजलि थी, जिसे कथक, छऊ और मणिपुरी नृत्य शैली के कलात्मक मिश्रण के जरिये मंच पर पेश किया गया। 

 

इस सांस्कृतिक शाम की शुरुआत राजदूतों, मंत्रालय के अधिकारियों और कला प्रेमियों () सहित प्रतिष्ठित मेहमानों की उपस्थिति से हुई, जो भगवान श्री राम की लीला को एक अलग रूप में देखने का आनंद लेने की लालसा में एकत्र हुए थे। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा समर्थित इस प्रदर्शन में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और 'मर्यादा पुरुषोत्तम' या आदर्श पुरुष में अपेक्षित मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डाला गया। 

 

डॉ. रेखा मेहरा ने इस प्रस्तुति की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा, 'मंच पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को जीवंत करना भगवान श्रीराम के आदर्शों के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रकटीकरण है। इस प्रदर्शन के जरिये हमारा उद्देश्य उनके साहस, करुणा और सत्यनिष्ठा के गुणों का जश्न मनाना था, ऐसे गुण जो समय से परे हैं और हमारी आधुनिक दुनिया में गहराई से गूंजते हैं। हमें उम्मीद है कि दर्शक न केवल कलात्मकता से बल्कि श्री राम के सद्भाव और धार्मिकता के संदेश से भी प्रेरित हुए होंगे।'

 

प्रसिद्ध गुरु अजय भट्ट और आम्रपाली भंडारी द्वारा कोरियोग्राफ की गई इस प्रस्तुति ने श्री राम के जीवन के जीवंत चित्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसकी मुख्य विशेषताओं में प्रत्येक दृश्य के लिए विशेष रूप से तैयार की गई वेशभूषा शामिल थी, जिसमें राम और सीता की शादी में पहने जाने वाले उत्सव के पीले रंग से लेकर रावण के दरबार में विस्तृत दासी पोशाक तक, हर महत्वपूर्ण क्षण के माहौल को मंच पर जीवंत किया गया था। आठ फीट लंबे धनुष, हस्तनिर्मित आभूषण और अनूठे मुकुट सहित नए प्रॉप्स ने नाटक की दर्शनीयता को और मनोरम कर दिया। सफेद मोर के पंख, सुनहरे हिरण की टोपी और दीया लाइटिंग के सटीक इस्तेमाल ने पूरे ऑडिटोरियम में एक ऐसा माहौल बनाया, जिसने प्रदर्शन में आध्यात्मिकता की गहरी छाप छोड़ी। 

 

पहली बार बनाए गए हाइड्रोलिक स्टेज और एडवांस प्रोजेक्टर ने शो को पूरी तरह भव्य बना दिया, जिससे पूरी प्रस्तुति एक मास्टरपीस बन गई जिसने महाकाव्य रामायण को 1.5 घंटे की आकर्षक यात्रा में समेट दिया। इस प्रदर्शन ने उर्वशी डांस म्यूजिक आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी के समावेशी मिशन को भी उजागर किया, जिसमें सोसाइटी द्वारा प्रशिक्षित वंचित बच्चों के साथ-साथ पेशेवर कलाकारों का एक प्रतिभाशाली समूह शामिल था, जिसने इस कार्यक्रम को सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन का उत्सव बना दिया।

 

'मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम' नाटक दर्शकों को एक प्रेरणादायक यात्रा पर ले जाया, जिसने सभा में बैठे दर्शकों के मन में कालातीत मूल्यों को फिर से जगाया और सामूहिक गौरव और एकता की भावना को बढ़ावा दिया। भारत के महानतम महाकाव्यों में से एक का मंच पर दिल को छू लेने वाला यह चित्रण निश्चित रूप से सभी उम्र के दर्शकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा, और उन्हें आज की दुनिया में बहादुरी, नैतिकता और भक्ति की स्थायी शक्ति की याद दिलाएगा।

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