Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 18 Aug, 2024 08:37 PM
कांग्रेस सांसद कैप्टन विरीटो फर्नांडीस ने गोवा में सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि संकेलिम की एक महिला पर बार-बार आरोप लगे हैं कि वह नौकरी दिलाने के लिए रिश्वत लेती हैं।
गुड़गांव, (ब्यूरो): गोवा में नौकरी के लिए रिश्वतखोरी का मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। दक्षिण गोवा के कांग्रेस सांसद कैप्टन विरीटो फर्नांडीस ने गोवा में सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि संकेलिम की एक महिला पर बार-बार आरोप लगे हैं कि वह नौकरी दिलाने के लिए रिश्वत लेती हैं। शुक्रवार को अंजुना में आयोजित एक कैंडललाइट विरोध प्रदर्शन के दौरान, कैप्टन फर्नांडीस ने गोवा की प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
कैप्टन फर्नांडीस ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री में नैतिक साहस की कमी है कि वे पुलिस को कार्रवाई करने का आदेश दे सकें। उन्होंने यह भी कहा कि सभी को पता है कि पुलिस की नौकरियों को भरने के लिए कितना पैसा लिया जाता है और गोवा में किस महिला के माध्यम से यह रिश्वत दी जाती है।
इस विरोध प्रदर्शन के पीछे एक और कारण था उत्तर गोवा के अंजुना और वागातोर क्षेत्रों में पब्स द्वारा उत्पन्न हो रहे ध्वनि प्रदूषण से स्थानीय निवासियों को हो रही समस्याओं का विरोध करना। कांग्रेस नेता का यह कहना था कि मुख्यमंत्री के दबाव में स्थानीय पुलिस इन पब्स को ऊंची आवाज में संचालन की अनुमति दे रही है, जिससे स्थानीय समुदायों पर बुरा असर पड़ रहा है।
संकेलिम की महिला पर बार-बार आरोप लगाए गए हैं कि वह सरकारी नौकरियों के लिए रिश्वत लेती हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की तरफ से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे जनता में यह संदेह बढ़ता जा रहा है कि संभवतः सरकार के उच्च अधिकारियों से उन्हें संरक्षण मिल रहा है, जिससे गोवा की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
कैप्टन फर्नांडीस के इस बयान से राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं में हो रहे भ्रष्टाचार और मुख्यमंत्री कार्यालय में जवाबदेही की कमी को लेकर बहस और तीव्र हो गई है। जनता में भी इस बात को लेकर नाराजगी बढ़ रही है कि सरकार खुलेआम हो रहे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है।
यह मुद्दा अब गोवा में एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक बहस का रूप लेता जा रहा है, जिससे राज्य में प्रशासन की ईमानदारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।