हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जो सात विधेयक प्रस्तुत किए उनमें हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चिता) संशोधन विधेयक, 2025, हरियाणा आवास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक...
चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जो सात विधेयक प्रस्तुत किए उनमें हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चिता) संशोधन विधेयक, 2025, हरियाणा आवास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025, हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा अनुसूचित सड़क और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (संशोधन) विधेयक, 2025 और हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक,2025 शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, आठ विधेयक चर्चा उपरांत पास भी किए गए। पास किए गए विधेयकों में हरियाणा श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा श्री माता शीतला देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मन्तरा देवी तथा श्री केदारनाथ पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 तथा हरियाणा नगर निकाय विधेयक, 2025 शामिल हैं।
हरियाणा श्री माता मनसा देवी पूजास्थल (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल अधिनियम,1991 को संशोधित करने के लिए हरियाणा श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।
अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (ख) के अनुसार किसी व्यक्ति को बोर्ड के सदस्य के रूप में नामजद किए जाने के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा ’’यदि यह अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित हो चुका है या यदि वह बहरा, गूंगा या संक्रामक कुष्ठ रोग या किसी विषाक्त संक्रामक रोग से पीड़ित है।’’ फेडरेशन ऑफ लेपि. ऑर्गन (फोलो) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 83/2010 में पारित 7 मई, 2025 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 1991 में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया था तथा सामाजिक संरचना में बदलाव के साथ, जहां अब शारीरिक रूप से विकलांग और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और सम्मानित है, उक्त प्रावधान को जारी रखना अनुचित है। इसलिये, यह आवश्यक है कि हरियाणा श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल अधिनियम, 1991 (1991 का 14) में हरियाणा श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 के द्वारा संशोधन किया जाये।
हरियाणा श्री माता शीतला देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा श्री माता शीतला देवी पूजा स्थल अधिनियम,1991 को संशोधित करने के लिए हरियाणा श्री माता शीतला देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया। अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (ख) के अनुसार किसी व्यक्ति को बोर्ड के सदस्य के रूप मनोनीत किए जाने के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा ’’यदि वह अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित हो चुका है या यदि वह बहरा, गूंगा या संक्रामक कुष्ठ रोग या किसी विषाक्त संक्रामक रोग से पीड़ित है।’’ फेडरेशन ऑफ लेपि. ऑर्गन (फोलो) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले डब्ल्यू. पी. (सी) संख्या 83/2010 में पारित 7 मई, 2025 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 1992 में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया था तथा सामाजिक संरचना में बदलाव के साथ, जहां अब शारीरिक रूप से विकलांग और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और सम्मानित है, उक्त प्रावधान को जारी रखना अनुचित है।
इसलिये, यह आवश्यक है कि हरियाणा श्री माता शीतला देवी पूजा स्थल अधिनियम, 1991 (1992 का 10) में हरियाणा श्री माता शीतला देवी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 के द्वारा संशोधन किया जाये।
हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी पूजा स्थल अधिनियम,2022 को संशोधित करने के लिए हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी पूजास्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 पास किया गया।
अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (ख) के अनुसार किसी व्यक्ति को बोर्ड के सदस्य के रूप में नामजद किए जाने के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा ’’यदि यह अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित हो चुका है या यदि वह बहरा, गूंगा या संक्रामक कुष्ठ रोग या किसी विषाक्त संक्रामक रोग से पीड़ित है।’’ फेडरेशन ऑफ लेपि. ऑर्गन (फोलो) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले डब्ल्यू. पी. (सी) संख्या 83/2010 में पारित 7 मई, 2025 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 2025 में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया था तथा सामाजिक सरंचना में बदलाव के साथ, जहां अब शारीरिक रूप से विकलांग और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और सम्मानित है, उक्त प्रावधान को जारी रखना अनुचित है।
इसलिये, यह आवश्यक है कि हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी पूजा स्थल अधिनियम, 2022 (2025 का 25) में हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी पूजास्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 के द्वारा संशोधन किया जाये।
हरियाणा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण अधिनियम,2024 को संशोधित करने के लिए हरियाणा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया। अधिनियम की धारा 6 की उपधारा (ख) के अनुसार किसी व्यक्ति को बोर्ड के सदस्य के रूप में नामजद किए जाने के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा ’’यदि यह विकृत चित्त है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित हो चुका है या यदि वह बहरा, गूंगा या संक्रामक कुष्ठ रोग या किसी विषाक्त संक्रामक रोग से पीड़ित है।’’ फेडरेशन ऑफ लेपि. ऑर्गन (फोलो) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले डब्ल्यू पी. (सी) संख्या 83/2010 में पारित 7 मई, 2025 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 2024 में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया था तथा सामाजिक संरचना में बदलाव के साथ, जहां अब शारीरिक रूप से विकलांग और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और सम्मानित है, उक्त प्रावधान को जारी रखना अनुचित है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हरियाणा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण अधिनियम, 2024 (2024 का 7) में हरियाणा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 के द्वारा संशोधन किया जाए।
हरियाणा श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मन्तरा देवी तथा श्री केदारनाथ पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मन्तरा देवी तथा श्री केदारनाथ पूजा स्थल अधिनियम, 2009 को संशोधित करने के लिए हरियाणा श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मन्तरा देवी तथा श्री केदारनाथ पूजा स्थल (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।
अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (ग) के अनुसार किसी व्यक्ति को बोर्ड के सदस्य के रूप में नामजद किए जाने के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा ’’यदि यह अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित हो चुका है या यदि वह बहरा, गूंगा या संक्रामक कुष्ठ रोग या किसी विषाक्त संक्रामक रोग से पीड़ित है।’’ फेडरेशन ऑफ लेपि. ऑर्गन(फोलो) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले डब्ल्यू पी.(सी) संख्या 83/2010 में पारित 7 मई,2025 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 2010 में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया था तथा सामाजिक संरचना में बदलाव के साथ, जहां अब शारीरिक रूप से विकलांग और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और सम्मानित है, उक्त प्रावधान को जारी रखना अनुचित है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हरियाणा श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मन्तरा देवी तथा श्री केदारनाथ पूजा स्थल अधिनियम, 2009 (2010 का 12) में हरियाणा श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मन्तरा देवी तथा श्री केदारनाथ पूजा स्थल अधिनियम (संशोधन) विधेयक,2025 के द्वारा संशोधन किया जाए।
हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा नगर निगम अधिनियम,1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।
अधिनियम की धारा 2 के खण्ड 8 के उप-खण्ड (क) ’’हैजा, प्लेग, छोटी माता, चेचक, क्षय रोग, कुष्ठ रोग, आन्त्र ज्वर, मस्तिष्क मेरु, तानिका शोथ और रोहिणी’’ को खतरनाक बीमारी परिभाषित किया गया है। फेडरेशन ऑफ लेपि. ऑर्गन(फोलो) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया शीर्षक वाले डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 83/2010 में पारित 7 मई,2025 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 1994 में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया था तथा सामाजिक संरचना में बदलाव के साथ, जहां अब शारीरिक रूप से विकलांग और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और सम्मानित है, उक्त प्रावधान को जारी रखना अनुचित है।
इसलिये, यह आवश्यक है कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 (1994 का 16) में हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2025 के द्वारा संशोधन किया जाए।
हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025
हरियाणा पंचायती राज अधिनियम,1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।
वर्तमान प्रावधान के अनुसार, किसी भी सरकारी योजना के चिन्हित लाभार्थियों की पात्रता का अनुमोदन और ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने का कार्य ग्राम सभा द्वारा अपनी बैठक में अपने सदस्यों का एक बटा दस अथवा तीन सौ सदस्यों, जो भी कम हो, की गणपूर्ति के साथ किया जाता है जबकि किसी भी सरकारी योजना के चिन्हित लाभार्थियों पर विचार और अनुमोदन करने या ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने के लिए प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने हेतु, ग्राम सभा के अधिक से अधिक सदस्यों की बैठक में उपस्थिति सुनिश्चित करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ग्रामीण बस्ती योजना के चिन्हित लाभार्थियों की पात्रता का ग्राम सभा द्वारा अनुमोदन प्रक्रियाधीन है।
हरियाणा नगर निकाय विधेयक, 2025
हरियाणा राज्य में नगर निकायों से संबंधित विधि को समेकित तथा संशोधित करने और नगर निकाय मामलों के प्रबंधन में उन्हें व्यापक शक्तियां प्रदान करने के लिए नगर निकायों की स्थापना के लिए उपबंध करने हेतु विधेयक में संशोधन करने के लिए हरियाणा नगर निकाय विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया गया।
भारत के संविधान ने शहरी क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी नगर निकायों को सौंपी है तथा केन्द्र एवं राज्य सरकारों की तर्ज पर नगर निकायों को शासन के तीसरे स्तर के रूप में इनकी भूमिका नियत की है। इसके अतिरिक्त, भारत के संविधान में जनसंख्या के आधार पर नगर निकायों के वर्गीकरण की अवधारणा की गई है। तदानुसार, हरियाणा राज्य में नगर निकायों का गठन तीन वर्गों अर्थात् नगर निगमों, नगर परिषदों एवं नगर पालिकाओं के अंतर्गत, मुख्यतः जनसंख्या मानदंड तथा अन्य कारकों जैसे जनसंख्या घनत्व, गैर-कृषि गतिविधियां, राजस्व सृजन इत्यादि के आधार पर किया गया है। हालांकि जिला मुख्यालयों पर स्थापित नगर निकायों को, उनकी जनसंख्या चाहे कितनी भी हो, नगर परिषद के रूप में नामित किया गया है। नगर परिषदें एवं नगर पालिकाएं हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 (1973 का 24) के प्रावधानों के अंतर्गत संचालित हैं जबकि नगर निगम, हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 (1994 का 16) के प्रावधानों के अंतर्गत संचालित हैं। सम्पूर्ण देश के नगर निकाय कानूनों में एकरूपता लाने, नगर निकाय उप-नियमों को सरल बनाने, वित्तीय प्रबन्धन तथा लेखा प्रणालियों में सुधार लाने के साथ-साथ नगर निकायों की आंतरिक संसाधन सृजन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य हेतु आवासन और शहरी कार्य मन्त्रालय ने वर्ष 2003 में आदर्श नगर निकाय कानून परिचालित किया था। नागरिकों को दी जाने वाली नगर निकाय सेवाओं का स्तर एवं गुणवत्ता तीनों वर्गों के नगर निकायों के अंतर्गत एकरूप होना जरूरी है तथा इसे वित्तीय कठिनाईयों एवं कार्यात्मक क्षमता के उतार चढ़ाव के अधीन नहीं किया जा सकता। शहरी स्थानीय निकाय विभाग सभी वर्गों की नगर निकायों के लिए एकल पर्यवेक्षण विभाग है।
हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 (1973 का 24) तथा हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 (1994 का 16) के अधिनियमित होने के पश्चात, वर्तमान नगर निकाय अधिनियमों में पचास से भी अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, विभाग को समान मामले जैसे कि सम्पत्ति कर के मूल्यांकन से संबंधित अधिसूचनाएं, लाईसेंसों से सम्बन्धित नियम एवं विनियम, विज्ञापन, विकास शुल्क आदि के सम्बन्ध में दरों के निर्धारण हेतु इन दोनों नगर निकाय अधिनियमों के अंतर्गत पृथक अधिसूचनाएं जारी करनी होती हैं। ऐसे प्रयोग से अनावश्यक प्रकार के प्रयासों की पुनरावृत्ति, समय की बर्बादी तथा आमजन एवं विभाग के कर्मचारियों के मध्य भ्रांति उत्पन्न होती है।
दोनों अधिनियमों में पृथक सेवा नियमों की प्रयोज्यता के कारण, नगर निकाय कर्मचारियों के स्थानांतरण, पदोन्नति एवं वरिष्ठता सूची निर्धारण के मामलों में अस्पष्टता उत्पन्न होती है। यह प्रायः अनावश्यक मुकदमेबाजी का कारण बनता हैं तथा उच्च कार्यक्षमता हेतु कर्मचारियों की उचित तैनाती के उद्देश्य को विफल कर देता है। देश के 10 राज्य नामतः बिहार, राजस्थान, केरल, झारखण्ड, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड तथा सिक्किम में सभी वर्गों की नगर निकायें एकल अधिनियम के अधीन संचालित हैं।
संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम 1992 में परिकल्पित प्रावधानों के अंतर्गत राज्य में नगर निकायों को निश्चितता, निरन्तरता एवं सामर्थ्य प्रदान करने तथा अधिक पारदर्शिता एवं बेहतर शासन व्यवस्था लाने हेतु, शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा एक एकल अधिनियम नामतः हरियाणा नगर निकाय विधेयक, 2025 को अधिनियमित करने की प्रस्तावना करता है जो राज्य की सभी नगर निकायों पर एकरूपता से लागू होगा।
प्रस्तावित विधेयक में कुछ अतिरिक्त प्रावधान भी शामिल किए गए हैं जिनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि - नगर निकायों को सम्पत्ति कर, विकास कर एवं शुल्क, कचरा शुल्क, विज्ञापन शुल्क, जल एवं सीवरेज शुल्क इत्यादि के सम्बन्ध में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम एवं अधिकतम दरों के मध्य, करों एवं शुल्कों की दरें, तय करने हेतु सशक्त किया गया है; नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के माध्यम से बैठकों में भाग लेने हेतु नियत करना तथा नगर निकायों को बिना बाह्य उपस्थिति के परिसंचरण के माध्यम से प्रस्तावों को पारित करने हेतु सक्षम बनाना है; नगर निकाय क्षेत्रों के अंदर यातायात प्रबंधन में सुधार हेतु शहरी यातायात की प्रभावी योजना बनाने तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के साथ-साथ हरित क्षेत्रों के रखरखाव हेतु शहरी वानिकी का प्रावधान किया गया है; सभी नगर निकाय कर्मचारियों के लिए समान सेवा नियम तैयार करना, जिससे मुकद्दमेबाजी में काफी हद तक कमी आएगी और इसके अतिरिक्त, नगर निकाय अपराधों की सुनवाई के सम्बन्ध में नगर निकाय न्यायाधीश की नियुक्ति करना शामिल करना है। इसलिए वर्तमान में नगर निकाय अधिनियमों नामतः हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 (1973 का 24) और हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 (1994 का 16) का निरसन तथा हरियाणा नगर निकाय विधेयक, 2025 को अधिनियमित करना आवश्यक है।