Edited By Manisha rana, Updated: 05 Aug, 2024 09:19 AM
जिला परिषद चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। चौधर का ताज किसके सिर सजेगा यह कोर्ट का निर्णय आने के बाद ही पता चल पायेगा। चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास की शुरुवात भाजपा और जजपा का गठबंधन टूटते ही शुरू हो गई थी।
कैथल (जयपाल रसूलपुर) : जिला परिषद चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। चौधर का ताज किसके सिर सजेगा यह कोर्ट का निर्णय आने के बाद ही पता चल पायेगा। चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास की शुरुवात भाजपा और जजपा का गठबंधन टूटते ही शुरू हो गई थी। इससे पहले भी दोनों खेमों के बिच घमासान से देखने को मिल रहा। जो कभी वित्तीय शक्ति, तो कभी ग्रांट वितरण को लेकर आमने सामने दिखाई दिए।
लोकसभा चुनावों के बाद से जे.जे.पी समर्थित चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे हटाने की रणनीति रची गई। जिसके चलते 12 जुलाई को भा.ज.पा समर्थित 15 पार्षदों ने डी.सी को अविश्वास का शपथ पत्र दिया। चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 19 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव के लिए होने वाली वोटिंग पर रोक लगाने से इंकार कर दिया, परंतु चुनाव परिणाम घोषित करने के लिए उसके फैसले का इंतजार करने को कहा। कोर्ट द्वारा इस पूरे मामले को लेकर सरकार से इसका जवाब मांगा था। जिला प्रशासन द्वारा अब इस मामले में अपना जवाब पेश किया गया है, जिसमें अविश्वास को संवैधानिक व नियमों के मुताबिक बताया है।
बता दें कि 19 जुलाई को 20 में से 17 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अपनी वोटिंग की थी। इनमें चेयरमैन दीप मलिक के इलावा वार्ड 12 से नेहा तंवर व वार्ड 18 से राकेश खानपुर वोटिंग करने नहीं पहुंचे थे। इस पूरी प्रक्रिया में प्रशासन की तरफ से ए.डी.सी एवं जिला परिषद सी.ई.ओ जया श्रद्धा के साथ डी.सी प्रशांत पंवार भी मौजूद थे। प्रशासन द्वारा वोटिंग करवाने के बाद हाई कोर्ट के आदेशों के चलते रिजल्ट घोषित नहीं किया गया था। पार्षदों द्वारा जिस मत पेटी में वोट डाली गई थी वह जिला खजाना कार्यालय में जमा है। आज हाई कोर्ट में इस केस की सुनवाई होनी है, जिसके बाद अविश्वास का रिजल्ट घोषित किया जाएगा।
दीपक मलिक ने कोर्ट में ये रखा ग्राउंड
चेयरमैन दीपक मलिक ने अविश्वास प्रस्ताव को संवैधानिक बता हाईकोर्ट को इसमें काफी खामियां बताई हैं। उनके मुताबिक इस प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। डी.सी द्वारा अविश्वास के बैठक बुलाने के लिए जो 12 जुलाई को नोटिस जारी किया गया था, वह उनको 16 जुलाई को मिला। जिसके मुताबिक 19 जुलाई को अविश्वास पर वोटिंग होनी थी। उसको अपनी तैयारी के लिए केवल तीन दिन मिले जबकि एक्ट अनुसार अविश्वास लाने से पहले सम्बन्धित चेयरमैन को सात दिन का समय देना अनिवार्य होता है। इस ग्राउंड को आधार बनाते हुए दीपक ने हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा। जिस पर हाईकोर्ट ने चुनाव करवाने की प्रक्रिया पर रोक तो नहीं लगाई परंतु परिणाम घोषित करने पर स्टे कर दिया है।
15 पार्षदों ने डी.सी को सौंपा शपथ पत्र
चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 21 में से 15 पार्षदों ने एकत्रित होकर 12 जुलाई को डी.सी को शपथ पत्र सौंपा था। जिनमे वार्ड नंबर 13 से कर्मवीर कौल, 3 से रुमिला ढुल, 4 से दिलबाग सिंह, वार्ड 5 से कमलेश रानी, 6 से अमरजीत, 7 से कमलेश रानी, वार्ड 8 से ममता रानी, वार्ड 9 से देवेंद्र शर्मा, 10 से सोनिया रानी, 11 से विक्रमजीत कश्यप, वार्ड 14 से पिंकी रानी, 15 से मनीष शर्मा फरल, 19 से बलजीत कौर, 20 से सुरजीत कौर व वार्ड 21 से बलवान सिंह ने चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की मांग की थी। जिसके बाद डी.सी प्रशांत पंवार द्वारा देर रात 20 पार्षदों को नोटिस जारी 19 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के लिए बुलाया गया था। इनमें केवल विक्रमजीत कश्यप को नोटिस नहीं भेजा गया था, क्योंकि वह भ्रष्टाचार के मामले में सस्पेंड चल रहे हैं।
इन पार्षदों ने की थी अविश्वास को लेकर वोटिंग
वार्ड नंबर 1 संजीव ठाकुर
वार्ड नंबर 3 से रुमिला ढुल
वार्ड नंबर 4 से दिलबाग
वार्ड नंबर 5 से कमलेश रानी
वार्ड नंबर 6 से अमरजीत
वार्ड नंबर 7 से कमलेश रानी
वार्ड नंबर 8 से ममता रानी
वार्ड नंबर 9 से देवेंद्र शर्मा
वार्ड नंबर 10 से सोनिया रानी
वार्ड नंबर 13 से कर्मवीर कौल
वार्ड नंबर 14 से पिंकी रानी
वार्ड नंबर 15 से मनीष शर्मा फरल
वार्ड नंबर 16 रितु कुमारी
वार्ड नंबर 18 से मैनेजर कश्यप
वार्ड नंबर 19 से बलजीत कौर
वार्ड नंबर 20 से सुरजीत कौर
वार्ड नंबर 21 से बलवान सिंह
संवैधानिक तरीके से लाया गया प्रस्ताव: कर्मवीर कौल
अविश्वास प्रस्ताव संवैधानिक लाया गया है। कोर्ट ने जो प्रशासन से जवाब मांगा था उसका रिप्लाई दे दिया गया है, पार्षदों को उम्मीद है की कोर्ट का फैसला उनके हक में आएगा।
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