Edited By Isha, Updated: 17 Oct, 2019 11:41 AM
प्रदेश के पूर्व सी.एम. और इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला को ‘जे’ शब्द ने राजनीतिक रूप से इतना परेशान कर दिया था कि उन्हें कैथल में सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ा था कि उन्हें ‘जे’ शब्द रास नहीं आ
जींद (जसमेर): प्रदेश के पूर्व सी.एम. और इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला को ‘जे’ शब्द ने राजनीतिक रूप से इतना परेशान कर दिया था कि उन्हें कैथल में सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ा था कि उन्हें ‘जे’ शब्द रास नहीं आ रहा।1993 का नरवाना उप-चुनाव जीतने वाले ओमप्रकाश चौटाला विधानसभा में प्रो. संपत सिंह की जगह नेता प्रतिपक्ष बने थे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को हरियाणा में फिर सत्ता में लाने के लिए एस.वाई.एल. नहर के पानी को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू किया था।
इसके तहत चौटाला ने प्रदेश में ट्रैक्टर यात्रा निकाली थी। चौटाला जिस दौर में अपनी पार्टी को 1996 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयार करने के लिए फील्ड में पसीना बहा रहे थे, तब उनके पुराने साथी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश उर्फ जे.पी. ने उनका साथ छोड़कर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और उनकी हरियाणा विकास पार्टी का दामन थाम लिया था। उसी दौर में ओमप्रकाश जिंदल भी पूर्व सी.एम. बंसीलाल व उनकी हरियाणा विकास पार्टी के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे थे।
भिवानी जिले के बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके बड़े दलित नेता जगन्नाथ ने भी उसी दौर में हविपा का दामन थामा था। कैथल में पूर्व सी.एम. ओमप्रकाश चौटाला से जब कुछ पत्रकारों ने बड़े नेताओं के हविपा में जाने को लेकर सवाल किया था, तब चौटाला ने कहा था कि उन्हें ‘जे’ शब्द रास नहीं आ रहा। इसे लेकर कैथल के एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि उस पत्रकार सम्मेलन में ओमप्रकाश चौटाला का चेहरा ‘जे’ शब्द से तमतमा गया था।