हम आलोचनाओं से नहीं डरते, व्यवस्था परिवर्तन के लगातार जारी रखेंगे काम : सीएम मनोहर लाल

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 22 Mar, 2023 07:25 PM

we are not afraid of criticisms will continue to work for change

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में घोषणा करते हुए कहा कि विधायक आदर्श ग्राम योजना के तहत अब विधायक 2 करोड़ रुपये की राशि गांवों के साथ-साथ शहरों में भी खर्च कर सकेंगे...

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में घोषणा करते हुए कहा कि विधायक आदर्श ग्राम योजना के तहत अब विधायक 2 करोड़ रुपये की राशि गांवों के साथ-साथ शहरों में भी खर्च कर सकेंगे। अब इस योजना को भी विधायक आदर्श नगर एवं ग्राम योजना कहा जाएगा। इस योजना के तहत विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक नोडल अधिकारी होंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई अधिकारी यूसी समय पर नहीं देता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि हिसार जिला के गांव बालसमंद में बनने वाले कन्या महाविद्यालय का नाम स्वर्गीय चौधरी भजनलाल के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में 4 हजार प्ले-वे स्कूल खोलने की घोषणा के अलावा वर्ष 2023-24 में 4 हजार प्ले-वे स्कूल खोले जाएंगे।

सदन में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा सरकार पर कर्ज से संबंधितए दिए गए आंकड़ों पर मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 22 नवंबर, 2022 से लेकर अब तक 5 बार उन्होंने अलग-अलग कर्ज के आंकड़े दिए हैं। इस प्रकार के गलत आंकड़े देना नेता प्रतिपक्ष की ही छवि को ही धूमिल करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लगातार भौतिक विकास के साथ-साथ सामाजिक सुधार के काम भी कर रही है। हम विपक्ष की आलोचनाओं से नहीं डरते हैं, बल्कि हमारे व्यवस्था परिवर्तन के काम लगातार जारी रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने सदन में स्पष्ट करते हुए कहा कि पब्लिक डेब्ट यानी कर्ज के अंदर तीन मद शामिल होते हैं। विपक्ष इन सभी मदों को एक साथ मिलाकर कर्ज के आंकड़े बताता है, जोकि सही नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में स्टेट पब्लिक इंटरप्राइजेज के तहत कर्ज 69,922 करोड़ रुपये था, जबकि वर्ष 2021-22 में 47,211 करोड़ रुपये है। इसी प्रकार वर्तमान में कर्ज घटा है। उन्होंने कहा कि हमारी जीएसडीपी लगातार बढ़ रही है और वर्तमान में यह लभगग 10 लाख करोड़ तक हो गई है। कर्ज की सीमा जीएसडीपी के 25 प्रतिशत थी, जो कोविड के दौरान 33 प्रतिशत कर दी गई थी। हम आज भी 26-27 प्रतिशत के अंदर है। जबकि पंजाब आज 48 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण पर 14,334 करोड़ रुपये का कर्ज चला आ रहा था, जिसे हमने 6000 करोड़ रुपये कम करके 8,434 करोड़ रुपये पर लेकर आए हैं। इसी प्रकार, हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम पर 13,881 करोड़ रुपये का कर्ज था, इसमें भी हमने लगभग 7 हजार करोड़ रुपये कम करके 6,944 करोड़ रुपये पर लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 बिजली निगमों पर लगभग 37 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर्ज था, जो अब घटकर 14,800 करोड़ रुपये रह गया है। उन्होंने कहा कि बिजली निगमों का 25,850 करोड़ रुपये उद्य स्कीम का राज्य सरकार अपने कर्ज के खाते में लिया था। यदि यह कर्ज बिजली निगमों पर रहता तो उन पर बहुत दबाव बना रहना था, लेकिन आज बिजली निगम लाभांश में है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे कार्यकाल में प्रदेश में निवेश की रफ्तार बढ़ी है। जनसंख्या के आधार पर हरियाणा निवेश के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है। पहले स्थान पर प्रति व्यक्ति निवेश यानी 303 रुपये के साथ कर्नाटक पहले स्थान पर, 108 रुपये के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर तथा हरियाणा में 90 रुपये है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में वर्ष 2023-24 में 7341 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जोकि कुल बजट का 3.9 प्रतिशत है। जबकि वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमानों में 5758 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2021-22 में 4100 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। वर्ष 2014-15 में 2156 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था, जोकि कुल बजट का 3.4 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि हरियाणा का वित्त प्रबंधन अच्छा है। केंद्र की ओर से दिए जाने वाली वित्तीय सहायता का अपना एक पैमाना होता है, जो राज्य प्रगित करते हैं, उन्हें कम सहायता मिलती है और जो राज्य थोड़े पिछड़े हुए होते हैं, उन्हें अधिक मदद मिलती है। हरियाणा निरंतर प्रगति कर रहा है।

सदन में सदस्यों द्वारा जीएसटी पर ऋण लिये जाने से संबंधित स्थिति को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद कुछ समय के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को 14 प्रतिशत कम्पनसेशन देने की बात कही थी। जीएसटी काउंसिल के निर्णय के अनुसार जितना पैसा राज्यों को देना बकाया है, उसके लिए ऋण लिया गया है। यह ऋण राज्य सरकार के ऋण खाते में दर्शाया जाता है। हालांकि, यह ऋण केंद्र सरकार द्वारा ही वापस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये पुरानी पेंशन योजना के तहत दिया जा रहा है। नई पेंशन योजना के तहत लगभग 1225 करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं। भविष्य में यह 10 हजार करोड़ रुपये नई पेंशन योजना में चले जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं व नगर निकायों को स्वायत्त करने की ओर अग्रसर है। वे अपना बजट खुद बनायेंगे और स्वयं खर्च करेंगे। केंद्र व राज्य वित्त आयोग से मिलने वाले पैसे मिलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार लोकल ऑडिट सिस्टम को प्रभावी बना रही है। जनता का जो भी पैसा विकास कार्यों पर खर्च होगा, उन सभी का ऑडिट किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के तौर पर मुझे पर लगातार चौथा बजट पेश करने का मौका मिला। बजट बनाने से पहले सभी हितधारकों से सुझाव लेने की पहल शुरू की थी। इस बार भी 700 सुझाव आए, जिनमें से अधिकांश सुझावों, जो व्यवहार्य थे, उनको शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा गवर्नेंस में बदलाव के लिए कई अन्य क्षेत्रों पर भी हमने ध्यान दिया है। हमें नागरिकों के कल्याण के लिए राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठना होगा। भौतिक विकास के अलावा व्यवस्था परिवर्तन के कामों पर भी बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा खर्च होता है। इसलिए दूरदर्शिता की सोच के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सदन में विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार जो भी मांग रखी गई है, उन पर विभाग विचार करेंगे। मुख्यमंत्री के बजट अनुमानों पर जवाब के बाद विधानसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के बजट को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

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