50 फीसदी आरक्षण के साथ घूंघट की आड़ से चलेगी छोटी सरकार, घर के पुरुष ही करेंगे महिला पार्षद का प्रतिनिधित्व

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 27 Nov, 2022 08:37 PM

village government will run under guise of veil with 50 percent reservation

रविवार को मतगणना के दौरान बूथ पर पहुंची महिला प्रत्याशी न केवल मतगणना में घूंघट ओढक़र बैठी रहीं बल्कि जीतने के बाद भी उनका घूंघट नहीं हटा।

फरीदाबाद(पूजा शर्मा): जिला परिषद व पंचायत समिति के परिणाम घोषित होने के साथ-साथ यह भी तय हो गया है कि बेशक सरकार ने इस बार महिलाओं के लिए पंचायत चुनावों में 50 फीसदी का आरक्षण तय कर महिलाओं को आगे लाने का प्रयास किया हो, लेकिन ग्रामीण आंचल की महिलाएं अभी भी घूंघट की आड़ से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। रविवार को मतगणना के दौरान बूथ पर पहुंची महिला प्रत्याशी न केवल मतगणना में घूंघट ओढक़र बैठी रहीं बल्कि जीतने के बाद भी उनका घूंघट नहीं हटा। इतना ही नहीं कुछ महिला प्रत्याशी तो बच्चों को गोद में उठाकर ही मतगणना केंद्र पहुंची हुई थीं। सरकार बेशक महिलाओं को आगे लाने का प्रयास कर रही है, लेकिन वास्तु स्थिति में कुछ खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है। ऐसा लगता है कि छोटी सरकार घूंघट की आड़ से ही चलने वाली है।

 

जिले में 10 वार्डों में से 5 में महिलाओं की जीत


महिलाओं को आधी आबादी मानते हुए सरकार ने इस बार यह तय किया कि महिलाओं को पंचायतों में 50 फीसदी का आरक्षण मिले। इससे पूर्व चुनावों में महिलाओं की भागीदारी 33  फीसदी होती थी। इतना ही नहीं इस बार महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने के साथ-साथ सरकार ने नियमों में यह भी बदलाव किया कि महिला केवल महिला आरक्षित वार्ड से ही चुनाव लड़ सकती हैं। ऐसे में जिला परिषद के 10 वार्डों में से 5 वार्डों में महिला प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। जिनमें वार्ड नं 2 से शमीना, वार्ड नं 5 से श्वेता स्नेहा, वार्ड नं 6 से डौली शर्मा, वार्ड नं 8 से रेखा, वार्ड नंबर 10 से भी रेखा ने जीत दर्ज की है। हैरानी की बात यह है कि उक्त सभी महिलाएं अपने-अपने परिवार के पुरुषों के पीछे नजर आ रही थीं। जीतने वाली महिलाओं में किसी का नेतृत्व उनके पति कर रहे थे तो किसी का नेतृत्व उनके देवर, जेठ, ससुर व  पिता ने किया। महिलाएं घूंघट की आड़ में ही नजर आईं। हालांकि कुछ महिलाएं जिनमें जिला परिषद व ब्लॉक समिति की सदस्य शामिल हैं, जीत का जश्र मनाती दिखाई दीं, परंतु अधिकतर महिलाएं घूंघट की आड़ में नजर आईं।

 

जिम्मेवारी के साथ-साथ परंपरा निभाने को तैयार महिलाएं

 

पंजाब केसरी ने ऐसी महिलाओं से बातचीत की और पूछा कि क्या जीतने के बाद अब वे इस घूंघट से किनारा कर जनता के लिए खुलकर कार्य कर पाएंगी तो इस पर उन्होंने कहा कि घूंघट उनके गांव की परम्परा है और जिम्मेवारी के साथ-साथ वे परंपरा को भी निभाएंगी। यानि घूंघट से ही छोटी सरकार चलाएंगी। उधर उनके परिवार के बुजुर्ग घूंघट को लेकर असमंजस में नजर आए। कुछ ने इस पर विचार करने को कहा तो कुछ इस परंपरा के खिलाफ भी नजर आए और कुछ ने इसका समर्थन भी किया।

 

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