Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 03 Aug, 2024 05:55 PM
साहब ! छह साल पहले हमारे मकानों को बसई फ्लाईओवर का निर्माण करने के लिए तोड़ा गया था। 24 घंटे का नोटिस देकर बेघर कर दिया गया। किसी पीड़ित के परिवार में मौत हो गई तो कोई आर्थिक तंगी से बेहाल होकर अपना इलाज तक नहीं करा पा रहा है। किसी के बच्चे शादी...
गुड़गांव, (ब्यूरो): साहब ! छह साल पहले हमारे मकानों को बसई फ्लाईओवर का निर्माण करने के लिए तोड़ा गया था। 24 घंटे का नोटिस देकर बेघर कर दिया गया। किसी पीड़ित के परिवार में मौत हो गई तो कोई आर्थिक तंगी से बेहाल होकर अपना इलाज तक नहीं करा पा रहा है। किसी के बच्चे शादी लायक हो चुके हैं, लेकिन इन पीड़ित परिवारों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं। अधिकारी मुआवजे की फाइल को एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजने में लगे हुए हैं।
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अपने हक की लड़ाई को लेकर अब पीड़ित आंदोलन की राह पकड़ने को तैयार हैं। इसी कड़ी में आज पीड़ितों ने बसई फ्लाईओवर के नीचे धरना प्रदर्शन किया। पीड़ितों का कहना है कि वह अपना हक मांग रहे हैं। सरकार से कोई भीख नहीं मांग रहे। अपने खून पसीने की कमाई से अपना आशियाना बनाया था, लेकिन सरकार ने एक झटके में ही मकानों को धराशाही कर गुड़गांव के विकास के नाम पर फ्लाईओवर का निर्माण कर दिया। यह निर्माण गरीबों के सपनों को कुचलकर किया गया है। आज तक गरीब परिवार मुआवजे की बाट जोह रहे हैं।
पीड़ितों सत्यप्रकाश गुप्ता, उषा, मोहम्मद शमशाद आलम, राधेश्याम शर्मा की मानें तो 25 नवंबर 2018 को बसई चौक पर फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 10 मकानों को नोटिस देकर 24 घंटे में खाली करने के आदेश दिए गए थे। अगले ही दिन 10 मकानों को तोड़ते हुए 11 अन्य मकान चिन्हित किए गए जिन पर साल 2019 व 2020 में कार्रवाई की गई। दो मकानों को तो पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन 9 मकानों को आधा तोड़कर छोड़ दिया गया। इन मकान मालिकों को मकान के बदले जमीन देकर निर्माण के लिए मुआवजा दिया जाना था, लेकिन यह मुआवजा आज तक उन्हें नहीं मिला है। पीड़ितों की मानें तो उनकी फाइल गुड़गांव में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यालय से जीएमडीए के कार्यालय और यहां से चंडीगढ़ के बीच धक्के खा रही है, लेकिन उन्हें 100 से 200 गज जमीन के बदले महज 33 गज का प्लॉट दिए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। प्लॉट भी ऐसे स्थान पर दिए जाने की बात दो वर्ष से कही जा रही है जहां दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं है।
पीड़ितों की मानें तो करीब ढाई साल पहले फ्लाईओवर तैयार होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल उद्घाटन करने के लिए आए थे। इस दौरान पीड़ितों ने अपने हक की आवाज उठाई तो उन्हें मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचने दिया गया। विरोध करने पर उन्हें उद्घाटन स्थल से भी दूर कर दिया गया, लेकिन उनकी कोई भी सुनवाई करने को तैयार नहीं। पीड़ितों की मानें तो साल 2016 में हीरो होंडा चौक पर हुए जलभराव के कारण लगे महाजाम के बाद पूरे विश्व में गुड़गांव की किरकिरी हुई थी। ऐसे में बादशाहपुर ड्रेन बनाने के लिए मकानों को तोड़ा गया। इन मकान मालिकों को मुआवजा दे दिया गया, लेकिन उन्हें आज तक मुआवजा नहीं दिया गया।
फिलहाल न्याय की गुहार लगाते हुए पीड़ितों ने बसई फ्लाईओवर के नीचे अपना डेरा डाल लिया और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पीड़ितों का कहना है कि अगर सरकार ने उनके साथ जल्द ही न्याय नहीं किया तो वह बड़ा आंदाेलन करने को विवश हो जाएंगे।