घर में जुड़वा भाई एक-दूसरे के साथ करते थे मारपीट, पिता ने तंग आकर बॉक्सिंग रिंग में उतारा, दोनों बने बॉक्सर(VIDEO)

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Jun, 2023 04:46 PM

शोले फिल्म के अभिनेता जय और वीरू की जोड़ी दोस्ती के लिए मशहूर हुई। दोनों एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। ऐसी ही जोड़ी विराट नगर के जुड़वा भाई जय और वीरू की है।

पानीपत (सचिन) : शोले फिल्म के अभिनेता जय और वीरू की जोड़ी दोस्ती के लिए मशहूर हुई। दोनों एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। ऐसी ही जोड़ी विराट नगर के जुड़वा भाई जय और वीरू की है। वह पांच साल की उम्र में एक-दूसरे के साथ मारपीट करते थे। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। इससे उनके पिता बलविंद्र परेशान हो गए थे। दोनों का अड़ियल रवैया बदले और गुस्सा बाक्सिंग रिंग में उतरे। इसलिए दोनों को शिवाजी स्टेडियम में बॉक्सिंग कोच सुनील पंवार के पास अभ्यास के लिए छोड़ दिया। कोच दोनों की तब तक फाइट करवाते जब तक वह थक कर निढ़ाल न हो जाते। इससे उनका गुस्सा कम हो गया। उम्र बढ़ने के साथ-साथ दोनों का व्यवहार बदला और मारपीट छोड़ खेल पर ध्यान केंद्रित किया। 


दोनों का राज्य स्तरीय बॉक्सिंग एकेडमी में हो गया है चयन 

अब 13 वर्षीय दोनों भाई न सिर्फ एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं, बल्कि बाक्सिंग में भी एक के बाद एक पदक जीत रहे हैं। 30 सेकेंड बड़ा जय जिला स्तरीय बाक्सिंग प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक और राज्य स्तर पर रजत पदक जीत चुका हैं। वहीं छोटा वीरू भी जिला चैंपियन हैं। दोनों भाइयों का शिवाजी स्टेडियम में शुरू हो रही राज्यस्तरीय बॉक्सिंग एकेडमी में चयन भी हो गया है।
 

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बॉक्सिंग ने बदली दोनों की जिंदगी 


फोटोग्राफी का काम करने वाले बलविंद्र ने बताया कि सबसे बड़ी बेटी रिया है, जो कि बीकॉम में पढ़ती हैं। उससे छोटा बेटा बीमार रहता है। छोटे बेटे जय व वीरू बचपन में शरारती थे। दोनों घर में एक-दूसरे के साथ दिन भर मारपीट करते थे। परिवार का जीना मुहाल हो गया था। एक दिन वह शिवाजी स्टेडियम में गया और बच्चों को बॉक्सिंग करते थे। कोच सुनील पंवार ने उसे सलाह दी कि अपने बच्चों को भी अभ्यास के लिए भेज दो। दोनों बेटों ने स्टेडियम में बॉक्सिंग का अभ्यास किया और गुस्सा खत्म हो गया। अब बेटे घर में भी शांत रहते हैं। बॉक्सिंग ने बेटों की जिंदगी बदल दी है। परिवार को भी राहत मिली है।


बताया जा रहा है कि स्टेडियम में 120 खिलाड़ी बॉक्सिंग का अभ्यास करते हैं। प्रारंभ के दो साल तक जय व वीरू सबसे शरारती थे। हर रोज दोनों की पिटाई होती थी। धीरे-धीरे उम्र बढ़ी और खेल के प्रति लगाव हुआ तो दोनों ने शरारत कम कर दी। जो तकनीक सिखाई जाती है, उस पर दोनों अमल करते हैं। मुकाबले में दोनों भाई एक-दूसरे का पक्ष लेते हैं। कोच का साथ न होता तो बॉक्सिंग नहीं कर पाते। 


नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना दोनों का लक्ष्य 

बता दें कि जय और वीरू राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल के नौवीं कक्षा के छात्र हैं। दोनों खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी आपस में मदद करते हैं। पिता के फोटोग्राफी के काम से घर का गुजारा मुश्किल से चलता है। कोच सुनील पंवार ही उनकी खुराक, जूतों व खेल पोशाक का प्रबंध करते हैं। कोच का साथ न होता तो वह दोनों भाई बॉक्सिंग नहीं कर पाते। अब दोनों भाइयों का लक्ष्य सब जूनियर नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का है।

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