Edited By vinod kumar, Updated: 09 Sep, 2020 10:26 PM
बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए बीते साल सरकार प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी बिल माफी योजना लेकर आई, उम्मीद थी कि डिफाल्टर कंज्यूमर सालों से बकाया अपने बिलों को माफ करवाकर भविष्य में बिल अदायगी शुरु कर देंगे। लेकिन डिफॉल्टर उपभोक्ताओं ने योजना का...
हांसी (संदीप सैनी): बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए बीते साल सरकार प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी बिल माफी योजना लेकर आई, उम्मीद थी कि डिफाल्टर कंज्यूमर सालों से बकाया अपने बिलों को माफ करवाकर भविष्य में बिल अदायगी शुरु कर देंगे। लेकिन डिफॉल्टर उपभोक्ताओं ने योजना का लाभ लेते हुए अपने भारी-भरकम बिजली बिलों को माफ करवाने के बाद अब फिर से बिलों की अदायगी बंद कर दी है।
हांसी डिवीजन के अंतर्गत घरेलु व इंडस्ट्रियल कैटेगरी के 54 हजार डिफाल्टर उपभोक्ताओं पर 355 करोड़ रुपये के बिल बकाया है। बिजली निगम के डिफाल्टरों की फेहरिस्त में आम-कंज्यूमर ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े सरकारी महकमे भी शामिल हैं। पुलिस से लेकर नगर पालिका, जनस्वास्थ्य विभाग, पंचायत सहित कई सरकारी विभागों के करोड़ों के बिजली बिल बकाया चल रहे हैं। वहीं, निगम बिजली बिलों का भुगतान ना करने वाले डिफाल्टर कंज्यूमरों के कनेक्शन भी काटने में लगा हुआ है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष प्रदेश सरकार ने डिफॉल्टरों उपभोक्ताओं को मेनस्ट्रीम में लागने के लिए बिल माफी योजना के तहत करोड़ों के बिल माफ किए थे। हांसी डिवीजन के तहत आने वाले 6 सब डिवीजनों में 48 हजार बिजली उपभोक्ताओं के करीब 353 करोड़ रुपये मामूली रकम लेकर माफ किए थे।
कुछ उपभोक्ताओं को तय न्यूनतम राशि का किश्तों में भुगतान करना था, लेकिन काफी डिफाल्टर उपभोक्ताओं ने पूरी किश्तें नहीं भरी व कुछ ने बिलों की अदायगी ही इस उम्मीद में बंद कर है कि बिल माफी योजना फिर से आएगी। आलम ये है कि निगम ने जितनी राशि बीते साल माफ की थी लगभग उतनी ही (355 करोड़) फिर से डिफाल्टिंग राशि हो गई है। बिजली बिलों की अदायगी नहीं करने वाले ऐसे कंज्यूमर निगम के लिए बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं।
नारनौंद फिर सबसे बड़ा डिफाल्टर
लंबित बिजली बिलों के मामलों में नारनौंद अब फिर टॉप पर कायम है। बिल माफी योजना के समय भी सबसे अधिक बकाया बिल नारनौंद के ही थी। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार हांसी डिवीजन में अब फिर नारनौंद सबसे बड़ा डिफॉल्टर है जहां 18 हजार 891 कंज्यूमरों पर 271 करोड़ रुपये के बिल बकाया चल रहे हैं। इस क्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं के बिल अदायगी के प्रति रवैये लेकर निगम भी परेशान है।
88 फीसद डिफाल्टर ग्रामीण क्षेत्रों में
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली निगम को सबसे कम बिलों की प्राप्तियां हो रही हैं। हांसी शहर में बीते महीने के आंकड़ों के मुताबिक 6 हजार 895 डिफॉल्टर थे जिन पर केवल 4.83 करोड़ रुपये बकाया थे। कुल डिफाल्टर उपभोक्ताओं में से 88 फीसद कंज्यूमर ग्रामीण हैं व केवल 12 फीसद शहरी।
सरकारी विभागों में बिल पास होने की लचर प्रक्रिया
सरकारी कार्यालयों पर अगर बिजली निगम कार्रवाई करता है तो इससे जनता को ही परेशानी का समान करना पड़ता है। यही कारण है कि बिजली निगम के द्वारा बिल ना भरने वाले विभागों के कनेक्शन नहीं काटे जाते हैं। हालांकि कई बार ज्यादा बिल लंबित होने पर ऐसे कुछ कनेक्शन काटे जाते हैं जो जरूरी सेवाओं से नहीं जुड़े हुए हैं, लेकिन जनता की सहुलियत को देखते हुए निगम सरकारी विभागों पर कार्रवाई नहीं करता।
समय पर नहीं मिलता बजट, लटक जाते हैं बिल
सरकारी विभागों के बिजली बिलों के लंबित होने के एक कारण ये है कि विभागों द्वारा समय पर बिजली बिल की राशि को मंजूरी नहीं मिल पाती है। जिसकी वजह सें बिल लंबित हो जाता है। कई विभागों के बिल अदायगी की फाइल तो लंबे समय तक पेंडिग रहती है। सरकारी विभागों में बिलों के भुगतान की व्यवस्था बेहद लचर है जिसमें सुधारने की जरूरत है।
जहां बिल भरे जाएंगे वहां बढ़ेंगी सुविधाएं
डीएचबीवीएन के एक्सइएन संकल्प परिहार ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रों में डिफाल्टिंग राशि अधिक है और गांवों में बिल ना भरने वाले उपभोक्ताओं के मीटर उतारने जाते हैं तो विरोध भी किया जाता है। निगम सभी डिफाल्टर उपभोक्ता को मेनस्ट्रीम में लाना चाहता है ताकि बिलिंग की व्यवस्था सुधरे। पहले से सुधार हुआ है लेकिन कुछ उपभोक्ताओं ने फिर से बिल भरने बंद कर दिए हैं। जहां बिलिंग अच्छी होगी वहा निगम बेहतर सुविधाएं भी देगा।
सब-डिवीजन के अनुसार डिफाल्टरों (राशि करोड़ों में)
डिवीजन |
डिफाल्टर |
डिफाल्ट राशि |
अर्बन हांसी |
6895 |
4.83 |
सब-अर्बन 29.02 |
13743 |
|
नारनौंद |
18891 |
271 |
मुंढाल |
6486 |
40.21 |
उमरा |
4216 |
8.08 |
सिसाय |
2773 |
1.53 |
कुल |
54004 |
355 |