Edited By Manisha rana, Updated: 12 Nov, 2024 07:49 AM
खाद्य सुरक्षा विभाग लोगों की सेहत के प्रति कितना सजग है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दीवाली के त्यौहार से पहले लिए गए मिठाइयों के सैम्पलों की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है।
कैथल(जयपाल) : खाद्य सुरक्षा विभाग लोगों की सेहत के प्रति कितना सजग है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दीवाली के त्यौहार से पहले लिए गए मिठाइयों के सैम्पलों की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। ये सैम्पल फेल होंगे या पास, इससे पहले लोग इन मिठाइयों को खुद भी खा चुके हैं और अपने रिश्तेदारों को भी खिला चुके हैं। ऐसे में त्यौहार पर बिकने वाली मिठाई में मिलावट थी या नहीं, इस बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। यदि इन सैम्पलों में कई सैम्पल अनसेफ मिलते हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। यह अपने आपमें बड़ा सवाल है।
विभाग ने त्यौहारों के सीजन में लिए थे 37 सैम्पल
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा त्यौहारी सीजन के दौरान जिले के अलग-अलग स्थानों से 37 सैम्पल लिए गए थे, जिनको जांच के लिए चंडीगढ़ लैब में भेजा गया है। इनकी रिपोर्ट आने में अभी और समय लगेगा, रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई करेंगे। मिलावटखोरों को लैब की लापरवाही फलने-फूलने का अवसर दे रही है। वहीं जिलेभर में खाद्य पदार्थों में मिलावट जांचने की जिम्मेदारी जिस अधिकारी के पास है, उसके पास कैथल के साथ-साथ पंचकूला व हिसार जिले का भी चार्ज है। इस कारण वह त्यौहारी सीजन में कुछ दिन ही जिले में जांच करने पहुंचे और मात्र 37 सैम्पल ही इकट्ठा कर पाए।
सैम्पल अनसेफ या सब-स्टैंडर्ड मिलने पर यह है कार्रवाई का प्रावधान
सैम्पल के सब-स्टैंडर्ड मिलने पर संबंधित दुकान पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना, अनसेफ मिलने पर दुकानदार या विक्रेता को 3 साल की सजा। इतना ही नहीं, मिलावटी या खराब मिठाई खाने से यदि किसी व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा खराब हो जाता है तो विक्रेता को उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। मिलावटी मिठाई की रिपोर्ट के बाद उपभोक्ता या खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सैम्पल रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करेगा। मामला कोर्ट में जाने से पहले विभाग की ओर से विक्रेता को दूसरी लैब से उसी सैम्पल की जांच करवाने के एक महीने का समय दिया जाता है। दूसरी लैब की रिपोर्ट को ही फाइनल रिपोर्ट माना जाता है।
सैंपल जांच की यह होती है प्रक्रिया
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा जिले भर से मिठाइयों की जांच के सैम्पल लेकर चंडीगढ़ लैब में भेजे जाते हैं। जिले का खाद्य आपूर्ति अधिकारी अलग-अलग जगह से खाद्य पदार्थों के सैम्पल लेकर उन्हें पार्सल के माध्यम से लैब में भेजते हैं। लैब तक सैम्पल पहुंचने में करीब 2-3 दिन का समय लगता है। लैब की ओर से सैम्पल रिसीव करने के 25 दिन बाद विभाग को वापस रिपोर्ट भेजी जाती है, जिसमें भी करीब 3 दिन का समय लगता है। मिठाई के एक सैंपल के कई प्रकार के टैस्ट लैब में होते है। ये सभी टैस्ट अलग अलग मशीन में किए जाते हैं। सैम्पल को 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है- सब-स्टैंडर्ड, मिक्स ब्रांडेड और अनसेफ।
थोक में तैयार की गई थीं मिठाइयां
बता दें कि त्योहारी सीजन के दौरान जिले में मिलावटखोर भी सक्रिय हो गए थे। शहर में कुछ दुकानों को छोड़कर ज्यादातर पर रैडीमेड मिठाइयां बेची गईं। ये मिठाइयां कस्बों में छोटे दुकानदारों द्वारा थोक में तैयार की गई थीं, जो दुकानों तक आधी रेट में पहुंचाई गईं। त्यौहारों पर सबसे अधिक रसगुल्ला और गुलाब जामुन बिके, क्योंकि इन मिठाइयों में मिलावट की अधिक गुंजाइश रहती है। मिलावटखोर ने कम रेट में मिठाई उपलब्ध करवाने के नाम पर खूब मोटा मुनाफा कमाया, जिस पर खाद्य सुरक्षा विभाग अंकुश नहीं लगा पाया।
गत 7 माह में लिए 186 सैम्पलों में 2 सब-स्टैंडर्ड व 5 मिले अनसेफ
गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा इस साल 1 अप्रैल से अब तक कुल 186 सैम्पल लिए गए हैं, जिनमें से 32 सैम्पल सब स्टैंडर्ड पाए गए, जिनके खिलाफ केस ए.डी.सी. के कोर्ट में चल रहे हैं। वहीं 5 सैम्पल अनसेफ मिले हैं, जिनके केस जिला अदालत (सी.जे.एम. कोर्ट) में विचाराधीन हैं। अब तक किसी केस में मिलावटखोरों को सजा नहीं हुई है। हालांकि कोर्ट द्वारा इस वर्ष कुल 61 अलग-अलग मामलों में 16,01,954 रुपए जुर्माना लगाया गया है।
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