स्कूल से भटक गया था मूक-बधिर, 7 महीने बाद ने क्राइम ब्रांच ने  परिवार से मिलवाया

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 06 Nov, 2022 10:18 PM

the deaf deaf had strayed from school crime branch introduced him to the family

राज्य अपराध शाखा ने 7 महीने से गुमशुदा दिव्यांग बच्चे को उसके परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की है।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): राज्य अपराध शाखा ने 7 महीने से गुमशुदा दिव्यांग बच्चे को उसके परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की है। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की बच्चा ना बोल सकता है और ना सुन सकता है। नाबालिग बच्चा क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पलवल को फरवरी माह में लावारिस हालत में अलावलपुर चौक पलवल के नीचे मिला था। बच्चे से बात करने की कोशिश की गई तो पता चला कि वह मूक बघिर है।   और किसी भी तरह की जानकारी देने में असमर्थ है। बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के आदेश से पलवल के एक निजी आश्रम में रखवा दिया गया और एएचटीयू पलवल इंचार्ज उप निरीक्षक संजय भड़ाना ने नाबालिग को तलाशने के सभी प्रयासों पर काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान बच्चे के बारे में अखबार में विज्ञापन दिया गया और बस स्टैंड पर बच्चे के पोस्टर चिपकाए गए।  इसके अलावा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा अलग अलग बच्चों के लिए काम करने वाली काफी संस्थाओं से संपर्क किया गया।  


बच्चे के परिवार में है सभी दिव्यांग, सिर्फ पिता ही बोल सुन सकता है


जानकारी देते हुए पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गुमशुदा बच्चा चूँकि मूकबधिर है, इसलिए काउंसलिंग करने में काफी समस्याएं आ रही थी।  बच्चे के परिवार को ढूंढने के लिए सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया गया जिसकी सहायता से बच्चे के परिवार का पता लगाया गया।  बच्चे का परिवार फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ क्षेत्र का रहने वाला था।  जानकारी देते हुए  बताया कि बच्चे के परिवार में बच्चे के पिता को छोड़कर सभी दिव्यांग है।  परिवार में कोई भी बोल सुन नहीं सुन सकता है।  बच्चा घर से स्कूल के नाम के लिए निकला था लेकिन घर वापस नहीं आया। बच्चे के परिवार द्वारा बच्चे को ढूंढने की भी कोशिश की गई लेकिन बच्चे का कोई पता नहीं चला।  

नालंदा बिहार से 3 साल से गुमशुदा लड़की को भाई भाभी से मिलवाया

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पानीपत पुलिस द्वारा 2019 में एक नाबालिग लड़की पानीपत रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू की गई थी। जिसको बाद में पुलिस द्वारा ओने स्टॉप सेंटर पानीपत में रखा गया जहाँ से बच्ची दोबारा लापता हो गई थी। नाबालिग बच्ची को दोबारा करनाल से रेस्क्यू किया गया और करनाल के एमडीडी बाल भवन में रखा गया।  वेलफेयर ऑफिसर द्वारा पंचकूला की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में एएसआई राजेश कुमार से संपर्क किया गया और बताया गया कि हमारे पास एक लड़की पिछले 3 साल से रह रही है और परिवार ढूंढने में सहायता चाहिए। फ़ोन पर वीडियो कॉल से नाबालिग बच्ची की एएचटीयू पंचकूला द्वारा काउंसलिंग की गई और उसके आधार पर बच्ची का परिवार तलाश किया गया। जानकारी मिली की बच्ची गाँव मोहर्रम जिला नालंदा बिहार से है और वहां से पता चला कि इस बच्ची के माता-पिता नहीं है। लड़की का नांगलोई दिल्ली में रह रहा है। दिल्ली में भाई से संपर्क कर वीडियो कॉलिंग कराई गई और बच्ची से पहचान करवाई गई। नाबालिग लड़की द्वारा अपने भाई को पहचाना गया और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के आदेश से बच्ची को उसके भाई और भाभी के सुपुर्द किया गया। 

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