SYL पर तेज हुई बहस, CM बोले यह हमारा हक और हम इसे लेकर रहेंगे: मनोहर लाल

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 06 Sep, 2022 08:46 PM

syl is right of haryana and we will take it manohar lal

उन्होंने जोर देकर कहा कि हरियाणा के लिए यह पानी अत्यंत आवश्यक है। एक तरफ हमें यह पानी नहीं मिल रहा है, जबकि दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): लंबे समय के बाद मंगलवार को एसवाईएल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद पक्ष और विपक्ष में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर माह के अंत तक हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को जल शक्ति मंत्री के साथ एक बैठक कर इस विवाद पर बातचीत करने का आदेश सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फरमान के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल हरियाणा वासियों का हक है और वे इसे लेकर रहेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि हरियाणा के लिए यह पानी अत्यंत आवश्यक है। एक तरफ हमें यह पानी नहीं मिल रहा है, जबकि दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है।


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मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब आगे नहीं बढ़ रहा कार्रवाई

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण कार्य को पूरा करना हरियाणा और पंजाब राज्यों के बीच अत्यंत पुराना और गंभीर मसला है। यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है।


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पंजाब के कई बार पत्र लिखे, पर नहीं मिला कोई जवाब: सीएम

 

उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए हरियाणा सरकार की ओर से 6 मई 2022 को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को एक अर्ध-सरकारी पत्र भेजा गया था, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया गया था। मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह को भी इस विषय में एक अर्ध-सरकारी पत्र लिखा था, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करने की बात कही गई थी। इससे पहले हरियाणा की ओर से इस बैठक के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे गए, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

 

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