Edited By Mohammad Kumail, Updated: 12 Aug, 2023 03:58 PM

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में चार लाख बोगस प्रवेश दिखाने के मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपना लिया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने व जांच के प्रति गंभीर न होने पर कोर्ट ने सीबीआइ को जमकर फटकार लगाई...
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा के सरकारी स्कूलों में चार लाख बोगस प्रवेश दिखाने के मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपना लिया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने व जांच के प्रति गंभीर न होने पर कोर्ट ने सीबीआइ को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट व इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करे। हाईकोर्ट के जस्टिस राज मोहन सिंह, जस्टिस एच एस बराड़ ने यह आदेश करनाल निवासी सुनील कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कहा कि कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार की एसआइटी ने नवम्बर 2019 में सीबीआई को सील बंद रिपोर्ट सौंपी थी। कोर्ट ने तीन सप्ताह में सीबीआई को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया था लेकिन सीबीआई ने आज तक स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी। सीबीआई की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट के जांच करने के आदेश के खिलाफ सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी थी। इस पर याची के वकील शिवम मलिक बेंच ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई। इस पर कोर्ट ने कहा फिर सीबीआई ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार तीन सप्ताह में जांच पूरी क्यों नहीं की। हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सीबीआई को आदेश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट में मामले का रिकार्ड व अगर सीबीआइ ने कोई कोई जांच की है तो उसकी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।
मामला 2016 का है जब गेस्ट शिक्षकों को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने अपील दाखिल की थी। इस दौरान कोर्ट के सामने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। कोर्ट ने पाया था कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे जबकि 2015-16 में इनकी संख्या घटकर मात्र 18 लाख रह गई थी। हाई कोर्ट ने इस पर हरियाणा सरकार से पूछा था कि अचानक चार लाख बच्चे कहां गायब हो गए, जिस पर हरियाणा सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थी। इस पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि चार लाख फर्जी दाखिले कर सरकारी राशि हड़पने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके लिए सरकार अधिकारियों की एक कमेटी बनाए जो यह देखें कि फर्जी दाखिले फंड का हड़पने के लिए थे या सरप्लस गेस्ट टीचर को बचाने के लिए। इस मामले में सीनियर आईपीएस अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपने के आदेश दिए गए थे। इसके स्थान पर रिटायर सेशन जज को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया था जिस पर हाई कोर्ट ने सरकार को खरी-खरी सुनाई थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल को तलब किया था और पूछा था कि अब कोर्ट को शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भरोसा नहीं है तो यह बताया जाए कि इस मामले निष्पक्ष जांच किस एजेंसी से करवाई जाए। एजी ने कोर्ट को विजिलेंस से इस मामले की जांच करने की सलाह दी थी। बाद में हाई कोर्ट ने दो नवम्बर 2019 को मामला सीबीआइ को सौंप दिया था।
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