शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष का खुलासा, सेब मंडी बनाने के चक्कर में कंगाल हो गई पंचकूला मार्केट कमेटी

Edited By Isha, Updated: 09 Aug, 2024 03:33 PM

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हरियाणा के पंचकूला में एचएमटी की फैक्ट्री को बंद कर वहां बनाई जा रही सेब मंडी को लेकर शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने बड़ा खुलासा किया है। बंसल ने एचएमटी फैक्ट्री की स्थापना से लेकर अब तक की पूरी कहानी ब्यां करते हुए बताया

 चंडीगढ़(चंद्रशेखऱ धरणी): हरियाणा के पंचकूला में एचएमटी की फैक्ट्री को बंद कर वहां बनाई जा रही सेब मंडी को लेकर शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने बड़ा खुलासा किया है। बंसल ने एचएमटी फैक्ट्री की स्थापना से लेकर अब तक की पूरी कहानी ब्यां करते हुए बताया कि किस प्रकार से पंचकूला में फैक्ट्री लगाने का काम हुआ था और मौजूदा समय में क्या हालात है। इतना ही नहीं उन्होंने फैक्ट्री वाले स्थान से सरकार की इनकम बढ़ाने और इलाके के विकास की योजना भी बंसल ने बताई।

1962 में मिली थी 845 एकड़ जमीन
विजय बंसल ने बताया कि 1962 में जवाहर लाल नेहरू और प्रताप सिंह कैरो ने एचएमटी फैक्ट्री के लिए 845 एकड़ जमीन बिल्कुल फ्री दी थी। 1963 में जवाहर लाल नेहरू ने एचएमटी को देश का गहना बताया था, उसी की बदोलत यहां की मशीन टूल ने पूरी दुनिया में अपना नाम कमाया। 1072 में यहां पर ट्रैक्टर प्लांट लगाया गया। पूरे देश में एचएमटी का केवल पंचकूला यूनिट ही सहकारी था, बाकी सभी प्राइवेट यूनिट थे। 2014 में मनीष तिवारी और कुमारी सैलजा ने फैक्ट्री के लिए 1083 करोड़ का पैकेज दिलाया था। इसके साथ ही फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु भी बढ़वाई थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद बीजेपी ने इस फैक्ट्री के लिए 1083 करोड़ की बजाए केवल 94 करोड़ रुपए की ही राशि जारी की। इसके बाद 26 अक्टूबर 2016 में बिना किसी योजना के इस फैक्ट्री को बंद करने की घोषणा कर दी गई। 

78 एकड़ जमीन सेब मंडी के लिए दी
फैक्ट्री को बंद करने के बाद इसकी 78 एकड़ जमीन को सेब मंडी के लिए दे दिया। बंसल ने बताया कि उस समय भी उन लोगों ने इसका विरोध किया था, क्योंकि समीप ही कालका में भी एक मंडी बनी हुई है, जोकि सालों से खाली है। एचएमटी को जमीन देते समय हुए एग्रीमेंट में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि इस जमीन का इस्तेमाल केवल इंडस्ट्री के लिए ही किया जाएगा। 

150 लोगों की बची थी 30-30 साल की नौकरी
विजय बंसल ने बताया कि सरकार की ओर से फैक्ट्री को बंद किए जाने की घोषणा के बाद उन्होंने इसकी लड़ाई लड़ने के लिए एक संघर्ष समिता का गठन किया था। इसमें 150 लोग ऐसे थे, जिनकी 30-30 साल की नौकरी बची हुई थी। वह लोग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 

संसद में मामला उठने से जगी उम्मीद
उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने अंबाला से लोकसभा सांसद वरुण चौधरी को बताया तो इस बार के सत्र में उन्होंने एचएमटी के मुद्दे को संसद में उठाने का काम किया। मामला संसद में उठने से उन्हें उम्मीद लगी है कि शायद इस फैक्ट्री को फिर से चालू कर दिया जाए, क्योंकि फैक्ट्री की करोड़ों रुपए की मशीनरी रखे हुए ही खराब हो रही है। इसके अलावा विभाग के मंत्री एचडी कुमार स्वामी जोकि बैंगलोर है और एचएमटी का हैडक्वार्टर भी बैंगलोर में है। वह खुद भी पंचकूला में एचएमटी की फैक्ट्री का दौरा कर चुके हैं। 

कंगाल हो गई मार्केट कमेटी !
विजय बंसल ने बताया कि फैक्ट्री की 78 एकड़ में बनने वाली सेब मंडी के निर्माण में अब तक 400 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि सेब मंडी बनाने की चाह में पंचकूला मार्केट कमेटी कंगाल हो चुकी है। अब उनके पास लिए गए कर्जे का बयाज देने के लिए भी पैसे नहीं है। उन्होंने बनने के बाद सेब मंडी के सफेद हाथी साबित होने का दावा करते हुए कहा कि यहां सेब आने की संभावना कम है। इसलिए बिना किसी कारण के बिल्डिंग बनाई जा रही है। 

जीवन रेखा को खत्म कर दिया
उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों और छोटी सोच के कारण लोगों की जीवन रेखा एचएमटी को बंद किया गया है। इसके बंद होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख लोग प्रभावित हुए हैं। यदि सरकार यहां पर सेब मंडी के स्थान पर केवल 100 करोड़ रुपए खर्च करके प्लाट काटकर उद्योगपतियों को देती  तो यहां एक बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया बन सकता था, जिससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता। इस फैक्ट्री के बंद होने से केंद्र और प्रदेश सरकार को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।

पैकेज मिलने पर होगी तरक्की
बंसल ने बताया कि 1993 में उनकी मांग पर और चंद्रमोहन बिश्नोई के प्रयासों से पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने इस इलाके को शिवालिक एरिया घोषित किया था और विकास के लिए शिवालिक विकास बोर्ड का गठन किया था। उन्होंने बताया कि साथ लगते हिमाचल के बद्दी, बूटीवाला, परवाणु और कालाअंब में हिमाचल और केंद्र सरकार की ओर से उद्योग लगाने पर पैकेज दिए गए हैं। इसी के चलते सभी उद्योग वहां चले गए, क्योंकि वहां पर टैक्स में भी उन्हें छूट मिलती है, लेकिन वहां की बजाए यहां पर उद्योग चलने की संभावना अधिक है, क्योंकि पंचकूला एक आर्थिक जोन है। यदि जरूरत है तो केवल पैकेज मिलने की।

 

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