Edited By Saurabh Pal, Updated: 15 May, 2024 07:48 PM
![retired je fought legal battle for pension for 21 years](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_5image_19_47_5017104498767-ll.jpg)
भारत की न्याय प्रणाली अपनी लेट लतीफी के लिए मशहूर है। दरअसल हरियाणा की हाईकोर्ट ने एक मामले पर 21 वर्ष बाद फैसला दिया है। हालांकि तो कोर्ट द्वारा किया गया, लेकिन याची को इंसाफ नहीं मिल पाया...
चंडीगढ़ः भारत की न्याय प्रणाली अपनी लेट लतीफी के लिए मशहूर है। दरअसल हरियाणा की हाईकोर्ट ने एक मामले पर 21 वर्ष बाद फैसला दिया है। हालांकि तो कोर्ट द्वारा किया गया, लेकिन याची को इंसाफ नहीं मिल पाया। क्योंकि उसकी चार वर्ष पहले ही मौत हो चुकी है। 90 के दशक में आई फिल्म दामिनी का यह डायलॉग हाई कोर्ट के फैसले पर सटीक बैठती है। जिसमें नायक कोर्ट से कहता है कि जज साहब कोर्ट से इंसाफ मांगने आए थे लेकिन मिली तारीख पे तारीख।
1999 में रिटायर्ड कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति का लाभ लेने के लिए 21 साल तक कानून की लड़ाई लड़ता रहा और इंसाफ के इंतजार में दम भी तोड़ गया। अब मौत के चार साल बाद उन्हें इंसाफ मिला है। मामले में अब हाईकोर्ट ने उनका पेंशन लाभ जारी करने का आदेश देते हुए दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड पर 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने में चार लाख उनके आश्रितों को और बाकी हाईकोर्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी में जमा करवाने होंगे।
याचिका में चंद्र प्रकाश ने हाईकोर्ट को बताया था कि वह दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम में जूनियर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थे और उनको 1999 में सेवानिवृत्त कर दिया गया था। इस दौरान उन पर कुछ वित्तीय आरोप लगाते हुए सेवानिवृत्ति लाभों में से 2,13,611 रुपये की कटौती कर ली गई। साथ ही उनके दो इंक्रीमेंट भी रोके गए थे। इसकी शिकायत देने पर भी कोई लाभ नहीं हुआ। हाईकोर्ट में शरण लेने पर 2008 में कोर्ट ने निगम के दोनों आदेश रद्द कर दिए और निगम को छूट दी थी कि कानून के अनुसार याची से नुकसान की वसूली की जा सकती है।
हाईकोर्ट ने निगम को याची की पेंशन से काटी गई राशि वापस करने का भी आदेश दिया था। इसके बाद निगम ने याची को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। निगम इसके बाद बार-बार मामले को लटकाता रहा। इस पर याची को बार-बार हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। 2020 में याची ने छठी याचिका दाखिल की थी और इसके कुछ समय बाद ही उनकी मौत हो गई थी। अब उनके कानूनी वारिस लड़ रहे थे। हाईकोर्ट ने अब याची की पेंशन से की गई कटौती की राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ तीन माह में उनके वारिसों को सौंपने का आदेश दिया है।
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