रेलू राम हत्याकांड: परिवार के 8 लोगों की हत्या के दोषियों बेटी और दामाद को HC से मिली जमानत

Edited By Manisha rana, Updated: 12 Dec, 2025 10:26 AM

relu ram murder case hc grants bail to those convicted of killing 8 members

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बहुचर्चित पूर्व विधायक रेलू राम पुनिया हत्याकांड मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषियों बेटी सोनिया और उसके पति संजीव कुमार को राहत देते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

चंडीगढ़/ हिसार : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बहुचर्चित पूर्व विधायक रेलू राम पुनिया हत्याकांड मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषियों बेटी सोनिया और उसके पति संजीव कुमार को राहत देते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य अपनी बनाई नीति का स्वयं उल्लंघन नहीं कर सकता और रिमिशन को पूरी पारदर्शिता व समानता के आधार पर देखना होगा। इन गंभीर त्रुटियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने न केवल आदेश रद्द किया बल्कि राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 2 महीने के भीतर 2002 नीति के परविधान तहत मामले पर नए सिरे से फैसला करे। तब तक अदालत ने सोनिया व संजीव को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का भी आदेश दिया है, बशर्ते वह आवश्यक बांड भर दें।

मालूम हो कि दोनों ने हरियाणा सरकार द्वारा उनकी समय पूर्व रिहाई की मांग ठुकराने के आदेश को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि वे नीति और कानून तहत तय सभी शर्तें पूरी कर चुके हैं। हाईकोर्ट में दायर याचिका में दम्पति ने राज्य स्तरीय समिति के 6 अगस्त 2024 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि दोनों जेल में आजीवन ही रहेंगे। दलील दी गई कि ऐसा निर्देश संविधानिक अदालत के बिना संभव नहीं है और यह कानून के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट को बताया गया कि संजीव 20 साल से अधिक की वास्तविक कैद काट चुका है जबकि सोनिया की अवधि 20 वर्ष से अधिक बनती है। दोनों ने 2002 की समय पूर्व रिहाई नीति तहत अपनी पात्रता का दावा किया।

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3 पीढ़ियों के 8 लोगों की रॉड से कर दी थी हत्या

बहुचर्चित पूर्व विधायक रेलूराम परिवार हत्याकांड की याद एक बार फिर ताजा हो गई है। चंडीगढ़ रोड स्थित लितानी मोड़ के पास की आलीशान कोठी में 23 अगस्त 2001 की रात को रेलूराम समेत परिवार के 8 सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अगली सुबह वारदात का पता चलने पर तत्कालीन एस.पी. राजपाल सिंह स्वयं भारी पुलिस बल के साथ लितानी मोड़ स्थित कोठी पर पहुंचे थे। कोठी में पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया (50), उनकी पत्नी कृष्णा (43), बेटी प्रियंका (14), बेटे सुनील (27), बहू शकुंतला (23), पोता लोकेश (4), 2 पोतियों शिवानी (2) तथा प्रीति (45 दिन) की हत्या कर दी गई थी। पोते लोकेश, पोती शिवानी व प्रीति और बेटी प्रियंका मृत मिले थे।

रेलूराम के तीनों पोते-पोतियों की उम्र 45 दिन से अढ़ाई साल के बीच थी। उनकी हत्या रॉड वगैरह से हमला कर की गई थी। बेटे संबंधियों सहित 3 पीढ़ियों के 8 लोगों की लोहे की रॉड से हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने कोठी से रेलूराम की बेटी सोनिया को हिरासत में लिया था। उसने स्वयं को जहर के प्रभाव में बताया था। पुलिस ने बाद में उसे एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया था। पुलिस ने डिस्चार्ज होने पर सोनिया को गिरफ्तार किया था। तब पुलिस ने पूछताछ कर बताया था कि सोनिया व उसके पति संजीव निवासी सहारनपुर ने साजिश तहत जमीन-जायदाद हड़पने के मकसद से पूरे परिवार का कत्ल कर दिया है। उकलाना थाना पुलिस ने बाद में सोनिया के पति संजीव को भी गिरफ्तार किया था। रेलूराम व उनकी पत्नी कृष्णा में एक बार अनबन हो गई थी। वे अलग रहने लगे थे। बाद में उनमें सुलह हो गई थी और वे फिर साथ रहने लगे थे।

भतीजे जितेन्द्र के वकील बोले-दोषी रिहा नहीं होने चाहिएं, फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल का कहना है कि रेलूराम के भतीजे जितेन्द्र व अन्य ने हमसे संपर्क साधा है। हम कॉपी मिलने पर फैसले का अध्ययन कर हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। क्योंकि स्टेट लैवल कमेटी पहले अपना फैसला देकर कह चुकी है कि सोनिया व संजीव को रिहा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जघन्य अपराध किया है। हत्याकांड के बाद भी सोनिया के खिलाफ 4 एफ.आई.आर. और संजीव के खिलाफ 2 एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी। उनका जेल के अंदर का आचरण भी ठीक नहीं रहा है।

जन्मदिन वाली रात किया था हत्याकांड

सोनिया के जन्मदिन वाली रात इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। उससे पहले सोनिया छोटी बहन प्रियंका को स्कूल से लाई थी। उन्होंने कैंप चौक स्थित एक दुकान से केक खरीदा था और बरवाला से फल खरीदे थे। उसके बाद वे लितानी मोड़ स्थित कोठी में गए थे। वहां सोनिया व संजीव ने षड्यंत्र तहत हत्याकांड को अंजाम दिया था।

रेलूराम के पास थी 110 एकड़ कृषि भूमि

स्वर्गीय रेलूराम के जानकारों ने बताया कि उस वक्त पूर्व विधायक के पास गांव दौलतपुर, प्रभुवाला व गैबीपुर में करीब 110 एकड़ जमीन थी। साथ ही फरीदाबाद की एक कोठी और नांगलोई की कुछ दुकानें थीं। आरोप था कि प्रॉपर्टी हड़पने के मकसद से ही हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। यह हत्याकांड देशभर में चर्चित हुआ था। दिवंगत परिवार की शोकसभा में काफी लोग शामिल हुए थे और कुछ लोगों ने तैश में आकर पुलिस पर पथराव कर दिया था। पुलिस कर्मियों ने किसी तरह अपना बचाव किया था।

आरोपी दामाद संजीव हो गया था फरार, साधु के वेश में किया था गिरफ्तार

पुलिस अनुसार रेलूराम का दामाद संजीव निवासी सहारनपुर सजा पाने के बाद अंबाला की जेल में बंद था। उसने वहां से भागने के लिए साथियों की मदद से जेल में सुरंग खोद डाली थी। मगर भेद खुल गया था और वह भाग नहीं पाया था। फिर संजीव जेल से पैरोल पर जाकर फरार हो गया था। अम्बाला पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी थी। पुलिस ने काफी समय बाद ढूंढते हुए, उसे साधु के वेश में गिरफ्तार कर फिर जेल भेज दिया था। सोनिया हिसार के अलावा अम्बाला जेल में बंद रही।

हिसार जिला अदालत से सुनाई फांसी को सुप्रीम कोर्ट ने भी रखा था बरकरार

अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल का कहना है कि सैशना जज अरविंद कुमार की अदालत ने सोनिया व उसके पति संजीव को साला 2004 में फांसी की सजा सुनाई थी। उसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ में अपील कर दी थी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई कर साल 2005 में सैशन कोर्ट का फैसला पलटकर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर साल 2007 में हाईकोर्ट का उम्रकैद का फैसला पलटते हुए सैशन कोर्ट का फांसी का फैसला बरकरार रखा था। बाद में दम्पति ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के यहां दया याचिका लगाई थी।

रेलूराम की रेल चलेगी, बिन पानी, बिन तेल चलेगी...

खासी संपति का मालिक बनने के बाद रेलूराम ने साल 1996 में एक राजनीतिक पार्टी से बरवाला विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिलने की उम्मीद की थी लेकिन उनको टिकट नहीं मिली थी। उन्होंने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी थी। वह वो दौर था जब समाजसेवा के क्षेत्र में रेलूराम का बड़ा नाम हो चुका था। यही वजह थी कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर साल 1996 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे। उस चुनाव में एक नारा बेहद मशहूर हुआ था, रेलूराम की रेल चलेगी, बिन पानी, बिन तेल चलेगी और हिसार से चंडीगढ़ तक चलेगी।

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