बच्चों के भविष्य से खिलवाड़: कैथल के 38 स्कूलों की मान्यता फर्जी; कुंभकरणी नींद में शिक्षा विभाग

Edited By Saurabh Pal, Updated: 15 Feb, 2024 02:15 PM

recognition of 38 schools of kaithal is fake

जिला इन दिनों फर्जी दस्तावेजों पर मान्यता लेने वाले प्राइवेट स्कूलों का गढ़ बनता जा रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी कुंभकरणी नींद से जागने को तैयार नहीं हैं।

कैथल(जयपाल रसूलपुर): जिला इन दिनों फर्जी दस्तावेजों पर मान्यता लेने वाले प्राइवेट स्कूलों का गढ़ बनता जा रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी कुंभकरणी नींद से जागने को तैयार नहीं हैं। शायद इसलिए जिले में दस्तावेजों में गड़बड़ी कर फर्जी मान्यता लेने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

38 स्कूलों की मान्यता फर्जी

दस्तावेजों में गड़बड़ी कर फर्जी मान्यता लेने वाले एक दो स्कूल नहीं, बल्कि इनकी संख्या दर्जनों में है। अब तक जिले में कुल 45 निजी स्कूलों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मानता ली गई है। शिक्षा विभाग द्वारा दिए गई आरटीआई के जवाब में जिले के 38 स्कूल तो ऐसे हैं, जिनके संचालकों द्वारा जिले के डीसी और डीईओ के फर्जी हस्ताक्षर कर मान्यता प्राप्त की हुई है। जिन पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग के निदेशालय द्वारा सभी स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए थे।

लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी अभी तक ना तो किसी स्कूल संचालक के खिलाफ कोई मामला दर्ज हुआ और ना किसी भी स्कूल की मान्यता रद्द हुई है। इस बात अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग के इस ढुलमुल रवैया से जिले के निजी स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षा के नाम पर किस तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर फीस के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली जा रही है। निजी स्कूलों में फर्जी मान्यता का मामला सरकार के पास भी पहुंचा है।

 जांच कमेटी के बाद भी कार्रवाई  शून्य

बीते तीन महीने पहले एक शहर के नामी स्कूल संचालक द्वारा सीबीएसई बोर्ड से मान्यता लेने के लिए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर व मोहर को स्कैन कर उनका दुरुपयोग किया गया। उसके बाद  मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया। उसके बाद अभी तक मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कमेटी ने उक्त स्कूल में निरीक्षण किया था, इस दौरान कमेटी को स्कूल की मान्यता से संबंधित दस्तावेजों में गड़बड़ी मिली थी। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा इस पूरे मामले की रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी गई थी। जिसके बाद मुख्यालय द्वारा 30 जून 2023 की स्कूल के प्रिंसिपल को कारण बताओ नोटिस भेजकर इसका एक महीने के अंदर जवाब मांगा था। परंतु स्कूल मैनेजमेंट कमेटी द्वारा निश्चित समय अवधि में मुख्यालय के नोटिस का जवाब ना देने के बाद फिर से 4 अगस्त 2023 को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर इसका जवाब मांगा गया। इस तरह से विभाग की धीमी कार्रवाई से गलत कार्य करने वालों पर अंकुश नहीं लग पाता।

जिले में 389 प्राइवेट स्कूल संचालित

जिलेभर में इस समय 389 प्राइवेट स्कूल संचालित हैं। अगर विभाग गहनता से दस्तावेजों की जांच करे तो कईयों की मान्यता रद्द हो सकती है। कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने कक्षा पांचवीं तक बच्चे पढ़ाने की मान्यता ली हुई है और वे आठवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ा रहे हैं।

मामले की जांच के बाद होगी कार्रवाई

वहीं मामले में जिला शिक्षा अधिकारी डॉ सुभाष चंद्र वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी कार्यभार संभाला है। मामला का पता करवाया जाएगा। कहीं पर गड़बड़ी मिलती है तो इसकी जांच करवाई जाएगी। जांच के बाद  आगामी कार्रवाई की जाएगी।

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