राहुल गांधी ने बजाया सामाजिक बदलाव की क्रांति का बिगुल: रणदीप सुरजेवाला

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 02 Oct, 2023 10:51 PM

rahul gandhi sounded the bugle of revolution of social change randeep surjewala

बिहार सरकार की ओर से आज एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए जातिगत आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। इसके बाद पूरे देश में एक बार फिर से जातीय जनगणना को लेकर बहस छिड़ गई है। महिला आरक्षण विधेयक के बाद से इंडिया गठबंधन के नेता लगातार भाजपा पर हमला बोलते हुए कह रहे है...

चंडीगढ़: बिहार सरकार की ओर से आज एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए जातिगत आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। इसके बाद पूरे देश में एक बार फिर से जातीय जनगणना को लेकर बहस छिड़ गई है। महिला आरक्षण विधेयक के बाद से इंडिया गठबंधन के नेता लगातार भाजपा पर हमला बोलते हुए कह रहे है कि भाजपा ओ.बी.सी. को उसके अधिकारों से वंचित कर रही है। बिहार की जातिगत जनगणना को लेकर सोमवार को ट्वीट करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा कि ‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि ओ.बी.सी., एस.सी. व एस.टी.मिलाकर 84 प्रतिशत हैं। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 ओ.बी.सी. हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं! इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है।

जितनी आबादी, उतना हक - ये हमारा प्रण है।’ राहुल गांधी के ट्वीट पर रिटवीट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के साथ-साथ कांग्रेस की नीति का उल्लेख करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘हमें गर्व है कि राहुल गांधी वो राजनीतिक व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने आगे बढ़ सामाजिक बदलाव की इस क्रांति का बिगुल बजाया है। पिछड़े वर्गों दलितों, आदिवासियों और गरीबों को उनका अधिकार देना होगा। यही सामाजिक समरसता का सूत्र है। बिहार की सरकार ने ये कर दिखाया है।’ उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से भाजपा व मोदी सरकार जातिगत जनगणना के विरोध में खड़ी है, क्योंकि भाजपा जानती है कि अगर इन वर्गों को अपनी ताकत की सच्चाई पता चल गई तो वे शासन, सरकार, सत्ता और संसाधनों में अपनी हिस्सेदारी मांगेंगे।

सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा व मोदी सरकार नहीं चाहती कि ओ.बी.सी. को संख्या बल के आधार पर उनका अधिकार मिले। भाजपा व मोदी सरकार नहीं चाहती कि दलित व आदिवासी देश के संसाधनों व निर्णयों में बराबरी की भागीदारी से मालिक बन जाएं और इसका जीवंत सबूत ये है कि भारत सरकार में मोदी सरकार के पूर्वाग्रह के चलते ओ.बी.सी. समाज, दलित व आदिवासी समाज के सचिवों को योग्य न मान कर बाहर रखा जाता है। यही भारत सरकार के सचिव देश का बजट भी चलाते हैं और पॉलिसी भी बनाते हैं। तो फिर गरीबों को उनका अधिकार कैसे मिले? सुर्जेवाला ने टवीट करते हुए लिखा कि ‘पर भाजपाई जान लें, सामाजिक क्रांति का ये रथ अब नहीं रुकेगा। अब शोषित, वंचित व पिछड़े वर्ग के लोग जाग चुके हैं। उनके साथ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खडग़े व पूरा इंडिया गठबंधन खड़ा है। बदलाव होके रहेगा, क्योंकि सामाजिक न्याय अब वक्त की मांग है।   

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