किसी पीएचडी शोधार्थी को डॉक्टरेट की डिग्री देने से इनकार नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट

Edited By Deepak Kumar, Updated: 20 Feb, 2025 06:56 PM

punjab and haryana high court on doctorate degree

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी पीएचडी शोधार्थी को केवल इसलिए डाक्टरेट की डिग्री देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी पीएचडी शोधार्थी को केवल इसलिए डाक्टरेट की डिग्री देने से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने साथ में पार्ट-टाइम ‘तबला’ डिप्लोमा भी किया हो। कोर्ट ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) रोहतक की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों की प्रगति को मात्र तकनीकी आपत्तियों के आधार पर बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस  हरसिमरन सिंह सेठी की पीठ ने यह आदेश छात्र प्रदीप कुमार देशवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ता का मुख्य आरोप था कि एमडीयू रोहतक उसे डाक्टरेट की डिग्री नहीं दे रहा, जबकि शोध-प्रबंध (थीसिस) जमा करते समय विश्वविद्यालय ने उसे अनापत्ति प्रमाणपत्र  और आचरण प्रमाणपत्र  भी प्रदान किया था। इसके विपरीत, विश्वविद्यालय ने उसे पीएचडी प्रोग्राम के दौरान मिली छात्रवृत्ति की धनराशि वापस लौटाने की शर्त थोप दी, जिससे वह बेहद परेशान था।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि उसे डाक्टरेट डिग्री से वंचित करने का कोई वैध आधार नहीं है। उसने कहा कि एमडीयू रोहतक का तर्क यह था कि पीएचडी के दौरान छात्र संगीत विभाग में ‘तबला’ डिप्लोमा के लिए भी नामांकित था, जबकि डिप्लोमा पूर्णकालिक रूप से नहीं किया जा सकता। उसने  स्पष्ट किया कि यह डिप्लोमा केवल खाली समय में किया और यह पूरी तरह से पार्ट-टाइम था, जो कि विश्वविद्यालय के नियमों के अंतर्गत आता है।

याचिका में  कहा गया कि विश्वविद्यालय द्वारा डाक्टरेट डिग्री न देना और छात्रवृत्ति वापस लेने की मांग करना पूरी तरह से अनुचित है क्योंकि याचिकाकर्ता ने किसी भी नियम या विनियम का उल्लंघन नहीं किया है। ‘तबला’ डिप्लोमा केवल शाम की कक्षाओं में किया गया था, जो विश्वविद्यालय के नियमों के तहत अनुमत है।

विश्वविद्यालय का कहना था कि याचिकाकर्ता को पीएचडी के दौरान छात्रवृत्ति मिली थी और वह तबला डिप्लोमा में नामांकित नहीं हो सकता था। विश्वविद्यालय के अनुसार, छात्रवृत्ति की वापसी इसलिए जरूरी थी क्योंकि याचिकाकर्ता ने एक साथ दो कोर्स किए, जो विश्वविद्यालय के नियमों के अनुरूप नहीं था। हालांकि, एमडीयू ने यह भी स्वीकार किया कि नियमों के अनुसार कोई भी उम्मीदवार केवल शाम की कक्षाओं में ही नामांकन ले सकता था।

कोर्ट  ने विश्वविद्यालय के इस तर्क को पूरी तरह से खारिज कर दिया। जस्टिस  हरसिमरन सिंह सेठी ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने संगीत विभाग में ‘तबला’ डिप्लोमा केवल पार्ट-टाइम और शाम की कक्षाओं में किया था, जो पूरी तरह से नियमों के अनुसार था। ऐसे में विश्वविद्यालय को पीएचडी डिग्री देने से इनकार नहीं करना चाहिए था। कोर्ट  ने अपने फैसले में यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को याचिकाकर्ता को उसकी डॉक्टरेट डिग्री प्रदान करनी होगी और उसे छात्रवृत्ति की राशि लौटाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें) 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!