Edited By Yakeen Kumar, Updated: 26 Dec, 2025 02:09 PM

गांववासियों ने विरोध करते हुए कहा कि वे गांव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान बदलने को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
कैथल : कैथल जिले के गांव चूहड़ माजरा बदले के मुद्दे पर विवाद खड़ा हो गया है। गांववासियों ने विरोध करते हुए कहा कि वे गांव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान बदलने को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। इसके विरोध में ग्रामीणों की एक पंचायत बुलाई गई, जिसमें बहुमत ने फैसले को गलत बताते हुए इसे वापस लेने की मांग उठाई।
ग्रामीणों का कहना है कि यह गांव लगभग 600 साल पहले बाबा चूहड़साध ने बसाया था। तभी से इस गांव का नाम चूहड़ माजरा है। उनका तर्क है कि नाम बदलने पर गांव की भावनात्मक विरासत प्रभावित होगी और प्रशासनिक प्रक्रिया के चलते ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। दस्तावेज़ों, रिकॉर्ड और विदेश में बसे युवाओं के कागजों में बदलाव करवाने में समय और धन दोनों की बर्बादी होगी।
बिना सलाह के नाम बदलने का आरोप
गौरतलब है कि 23 दिसंबर को गांव में गुरु ब्रह्मानंद सरस्वती जयंती कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुछ लोगों की अनुशंसा पर गांव का नाम बदलकर ‘ब्रह्मानंद माजरा’ करने की घोषणा की थी। इसी निर्णय के बाद से गांव में विरोध स्वरूप आवाज़ें उठने लगी हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत या गांव के अधिकांश प्रतिनिधियों से बिना सलाह-मशविरा लिए यह प्रस्ताव आगे बढ़ाया गया है।
ग्रामीणों की चेतावनी
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 90 प्रतिशत आबादी इस परिवर्तन के खिलाफ है। उनका कहना है कि गुरु ब्रह्मानंद का सम्मान सभी करते हैं, लेकिन किसी संत का सम्मान करने का अर्थ यह नहीं कि गांव की परंपरागत पहचान मिटा दी जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया, तो वे उच्च अधिकारियों और मुख्यमंत्री से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
सरपंच ने जताई सहमति
गांव की सरपंच कविता और उनके पति कुलदीप ने ग्रामीणों के पक्ष का समर्थन करते हुए कहा कि गांववासियों का सामूहिक निर्णय ही सर्वोपरि होगा। वे नाम परिवर्तन को रद्द करने की मुहिम में ग्रामीणों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे।
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