सेहत से खिलाड़, 35 दिन बाद भी दीवाली पर लिए गए मिठाइयों के सैंपलों की नहीं आई रिपोर्ट

Edited By Manisha rana, Updated: 05 Dec, 2024 11:53 AM

playing with health even after 35 days the report samples taken on diwali

खाद्य सुरक्षा विभाग लोगों की सेहत के प्रति कितना सजग है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दीवाली के त्यौहार से पहले लिए गए मिठाइयों के सैंपलों की जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई है।

करनाल : खाद्य सुरक्षा विभाग लोगों की सेहत के प्रति कितना सजग है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दीवाली के त्यौहार से पहले लिए गए मिठाइयों के सैंपलों की जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई है। कर्णनगरी में फूड सेफ्टी विभाग द्वारा अलग अलग क्षेत्रों से 29 नमूने लेकर जांच के लिए उन्हें लैब भेजा गया था लेकिन करीब 35 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आई है।

ऐसे में दीवाली पर बिकने वाले मिष्ठानों की क्या गुणवत्ता रही होगी यह संदेह के घेरे में है क्योंकि विभाग द्वारा जिन सैंपलों को लिया गया था उनका सामान बिक चुका है। ऐसे में अगर रिपोर्ट संतोषजनक नहीं आती तो भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकती क्योंकि खाद्य पदार्थ लोगों द्वारा ग्रहण कर लिया गया है। हालांकि बुधवार तक कुछ सैंपलों की रिपोर्ट आने की बात कही जा रही है लेकिन फूड सेफ्टी ऑफिसर के पास अतिरिक्त जिलों का चार्ज होने के कारण रिपोर्ट लिफाफे में ही बंद रही। विभाग द्वारा जिन खाद्य पदार्थों के नमूने लिए थे वह अब तक लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर चुके होंगे। लोगों की सेहत बिगाड़ चुके इन जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। 

वहीं बात अगर जिले में सरकारी लैब की करें तो पूरे प्रदेश का भार केवल 2 लैब के कंधों पर टिका हुआ है। विभाग द्वारा उनके सैंपल लेकर चंडीगढ़ स्थित सैक्टर-11 और करनाल स्थित सैक्टर-16 में भेजे जाते हैं। हरियाणा के 8 जिलों की रिपोर्ट करनाल और 14 जिलों के सैंपलों के देखभाल की जिम्मेदारी चंडीगढ़ लैब की है। सैम्पल को 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है सब-स्टैंडर्ड, मिक्स ब्रांडेड और अनसेफ।

थोक में तैयार की गई थीं मिठाइयां 

बता दें कि त्यौहारी सीजन के दौरान जिले में मिलावटखोर भी सक्रिय हो जाते हैं। शहर में कुछ दुकानों को छोड़कर ज्यादातर पर रैडीमेड मिठाइयां बेची गईं। ये मिठाइयां कस्बों में छोटे दुकानदारों द्वारा थोक में तैयार की गई थीं, जो दुकानों तक आधे रेट में पहुंचाई गईं। त्यौहारों पर सबसे अधिक रसगुल्ला और गुलाब जामुन बिके क्योंकि इन मिठाइयों में मिलावट की अधिक गुंजाइश रहती है।  मिलावटखोरों ने कम रेट में मिठाई उपलब्ध करवाने के नाम पर खूब मोटा मुनाफा कमाया जिस पर खाद्य सुरक्षा विभाग अंकुश नहीं लगा पाया।

स्टाफ की कमी से जूझ रहा विभाग

वहीं, जिस विभाग के कंधों पर लोगों की सेहत का मामला जुड़ा है वह विभाग खुद कर्मचारियों और अधिकारी के लिए जद्दोजहद कर रहा है। विभाग की विडंबना है कि जब तक फूड सेफ्टी ऑफिसर टीम का नेतृत्व न करे तब तक टीम के सदस्य जिले से सैंपल नहीं ले सकते। जिम्मेदार अधिकारी के पास करनाल के अतिरिक्त अन्य जिलों का कार्यभार भी है जिस कारण शहर से समय पर सैंपल नहीं लिए जा रहे।

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