Edited By Saurabh Pal, Updated: 08 Jul, 2024 10:23 PM
अपने अनुसाशन के जानी जाने वाली भाजपा में अंदरूनी बगावत अब उबाल मार रही है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव में लगे झटके भाजपा उबरने की कोशिश कर रही है, पार्टी आलाकमान के सामने गुटबाजी अभी चुनौती है। विधानसभा में महज ढाई से तीन माह का समय है...
हिसार(विनोद सैनी): अपने अनुसाशन के जानी जाने वाली भाजपा में अंदरूनी बगावत अब उबाल मार रही है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव में लगे झटके भाजपा उबरने की कोशिश कर रही है, पार्टी आलाकमान के सामने गुटबाजी अभी चुनौती है। विधानसभा में महज ढाई से तीन माह का समय है। हिसार में हार को भाजपा भुला भी नहीं पाई थी कि कुलदीप बिश्नोई और रणजीत चौटाला खुल कर आमने सामने आ गए हैं। हिसार के रेस्ट हाउस में सोमवार को बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने जनता की समस्याएं सुनी। इस मासिक बैठक में कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ पर्चे बांटे गए।
चौटाला की बैठक में बिश्नोई के खिलाफ बांटे गए पर्चों में आदमपुर हलके में भाजपा की हार का जिक्र था। इसके साथ ही यह बताया गया है कि आदमपुर में बिश्नोईयों के गांव में रणजीत चौटाला की किस कद्र हार हुई है। इस पर्चे में पूरा एनालिसिस किया हुआ है। जब पत्रकरों ने रणजीत चौटाला से पर्चों के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता किसने पर्चे बांटे हैं। चौटाला ने कहा कि हार गए तो हार गए। हमने उसी समय प्रकिया दे दी थी। हाईकमान को भी इसकी रिपोर्ट दी जा चुकी है।
इतना ही नहीं हरियाणा सरकार के मंत्री व हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके भाजपा नेता रणजीत सिंह चौटाला ने बीजेपी के उन नेताओं को चलती फिरती सवारी और मंदबुद्धि कहा है जो रानिया विधानसभा सीट से रणजीत सिंह चौटाला की दावेदारी पर सवाल उठा रहे हैं। ये बात उन्होंने हिसार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उनसे जब पूछा गया कि वो विधानसभा चुनाव रानियां से लड़ेंगे तो उन्होंने कहा कि पार्टी अगर चुनाव लड़ाएगी तो वो रानियां से ही लड़ेंगे।
उनसे जब ये पूछा गया कि कुछ बीजेपी नेता रानियां से उनकी दावेदारी पर सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि पार्टी तय करेगी कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। इस सवाल पर रणजीत सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वो मंत्री स्तर के नेता हैं और उनकी दावेदारी पर कोई मंत्री स्तर का नेता या पार्टी अध्यक्ष जवाब देते हैं तो ही कोई प्रतिक्रिया दी जा सकती है, नहीं तो ऐसे सवाल उठाने वाला न समझ या मंदबुद्धि नेता हैं।
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