Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 26 Dec, 2025 09:40 PM

निगमायुक्त प्रदीप दहिया ने नगर निगम और जीएमडीए अधिकारियों के साथ खुशबु चौक, फरीदाबाद रोड, महरौली रोड, ग्लेरिया मार्केट रोड सहित आसपास के क्षेत्रों का दौरा कर सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और अतिक्रमण की स्थिति का जायजा लिया।
गुड़गांव, (ब्यूरो): निगमायुक्त प्रदीप दहिया ने नगर निगम और जीएमडीए अधिकारियों के साथ खुशबु चौक, फरीदाबाद रोड, महरौली रोड, ग्लेरिया मार्केट रोड सहित आसपास के क्षेत्रों का दौरा कर सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और अतिक्रमण की स्थिति का जायजा लिया। इस अवसर पर उनके साथ अतिरिक्त निगमायुक्त यश जालुका, चीफ इंजीनियर विजय ढाका तथा आईएम गुडग़ांव संस्था से लतिका ठुकराल भी उपस्थित रहीं।
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समाधान हब और इको रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट का निरीक्षण:
निरीक्षण के दौरान निगमायुक्त ने खुशबु चौक पर आईएम गुड़गांव द्वारा विकसित समाधान हब का अवलोकन किया। वहीं बनाए जा रहे नए इको रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट की प्रगति की भी समीक्षा की। आईएम गुड़गांव की प्रतिनिधि लतिका ठुकराल ने बताया कि शहर में बढ़ते कचरे की गंभीर समस्या से निपटने के लिए स्थापित वेस्ट रीसाइक्लिंग यूनिट्स (समाधान हब) पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी और टिकाऊ मॉडल बनकर उभरी हैं। वर्तमान में गुरुग्राम में खुशबू चौक, बादशाहपुर, सिकंदरपुर मंदिर और क्रीक क्षेत्र में कुल चार वेस्ट रीसाइक्लिंग यूनिट्स सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं। इन यूनिट्स का मुख्य उद्देश्य सूखे कचरे को रीसाइक्लिंग के माध्यम से लैंडफिल में जाने से रोकना है।
अतिक्रमण और सफाई व्यवस्था पर सख्त निर्देश:
निरीक्षण के दौरान निगमायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को मुख्य सडक़ों, फुटपाथों और सार्वजनिक स्थानों को अतिक्रमण मुक्त रखने, कचरा एवं सीएंडडी वेस्ट की समयबद्ध उठान सुनिश्चित करने, सफाई व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने तथा बागवानी कार्यों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। निगमायुक्त ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि शहर की मुख्य सडक़ों पर धूल-मिट्टी, सीएंडडी वेस्ट, कचरा, प्लास्टिक वेस्ट और बागवानी वेस्ट किसी भी स्थिति में दिखाई नहीं देना चाहिए।
निगमायुक्त प्रदीप दहिया ने कहा कि गुरुग्राम को स्वच्छ, हरित और टिकाऊ शहर बनाने के लिए कचरा प्रबंधन, सफाई और अतिक्रमण नियंत्रण पर किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समाधान हब जैसी पहलें पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को भी मजबूती देती हैं और इसमें आम नागरिकों की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है।